
Chetan Gurung
हरिद्वार Medical College को PPP Mode में देने का सरकारी फैसला शर्तों के मुताबिक Students के लिए नुक्सानदेह नहीं माना जा रहा है और सरकारी खजाने पर बोझ भी नहीं होगा। फर्क सिर्फ ये पड़ा है कि Congress इस फैसले को Local Bodies Elections में हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने की भरपूर कोशिश कर रही है। BJP के प्रदेश Media In-charge मनवीर सिंह ने चिकित्सा और स्वास्थ्य से जुड़े जनहित के अहम मामलों में सियासत न कर Congress को बाज आने की नसीहत दी। सचिव (Medical Education) डॉ R राजेश कुमार ने दावा किया कि Students को दी जाने वाली Degree और Certificates पर भी Government Medical College ही छपा होगा।
सरकार के आला अधिकारी के अनुसार Medical College को PPP में देने का फैसला वित्तीय बचत और मितव्ययता की सोच के साथ Students के भविष्य को ध्यान में रखते हुए किया गया है। ये सुनिश्चित किया गया है कि College की Fees एक पैसे भी बढ़ाई नहीं जाएगी। जो सुविधाएं सरकारी Medical College में मिलती हैं, वे सभी बरकरार रहेंगी। मरीजों को भी आयुष्मान कार्ड और CGHS की तय दर पर ईलाज दिया जाएगा। PPP Mode में हरिद्वार Medical College की गुणवत्ता बेहतर होती रहे, ये भी सरकार ने तय किया है। इसको आधुनिकतम स्वरूप दिया जाएगा।
सरकार का तर्क है कि PPP Mode के चलते उसके 100 करोड़ रूपये सालाना तो सिर्फ Salary में बचेंगे। और खर्च में भी कम से कम 50 Cr बचेंगे। जल्द ही College में Para Medical और speciality-Super Speciality सेवाएँ शुरू होंगी। उस पर भी 200 Cr बचेंगे। College प्रबंधन सरकार को One Time Fees के तौर पर 6 Cr देगी और हर साल 2.5 Cr उत्तराखंड सरकार को देता रहेगा। मनवीर के मुताबिक BJP की सरकार के दौरान स्वास्थ्य-चिकित्सा के क्षेत्र में खूब ध्यान दिया जाता रहा है। कई Medical College-स्तरीय Hospital खोले जाते रहे।
उन्होंने कहा कि इससे किलसाई-खिसियाई Congress बेवजह और मुद्दा विहीन होने के चलते हरिद्वार Medical College के PPP मोड वाले सरकार के फैसले पर तिलमिलाई है। उसको अहसास है कि ये College आने वाले सालों में PPP मोड के लिए मिसाल साबित हो सकता है। Congress का शारदा Educational Trust को PPP में सरकारी Medical College देने के फैसले को इस नजरिए से भुनाने की कोशिश कर रही कि इससे लोगों को महंगा ईलाज मिलेगा और College के Degree की value में कमी आएगी। हकीकत ये है कि प्रबंधन में निजी संस्था का वर्चस्व होने के बावजूद सरकार का इस पर हर किस्म से नियंत्रण होगा।
हरिद्वार Medical College अभी 100 MBBS Seats वाला है। भविष्य में ये 250 Seats का होगा। अस्पताल में 100 सीटें हैं। इसको बढ़ा के 1000 किया जाएगा। सब खर्च शारदा ट्रस्ट ही करेगा। भविष्य में PPP Mode में चलाने के फैसले का नतीजा क्या निकलेगा, ये किसी को नहीं मालूम लेकिन सरकार के तर्कों पर भरोसा करें तो उसका फैसला लोगों को फायदा देगा। उसको वित्तीय बोझ से राहत देगा। PPP Mode का समर्थन करने वालों और कुछ आला पूर्व नौकरशाहों का मानना है कि सरकार को अपनी शर्तों पर लोगों के हितों का संरक्षण करते हुए अस्पतालों-स्कूलों-Medical Colleges-परिवहन समेत तमाम सुविधाओं का निजीकरण करना चाहिए।
उनका तर्क है कि इससे सेवाओं में बेहतरी आएगी। Staff अधिक जवाबदेह-जिम्मेदार होगा। गुणवत्ता में इजाफा होगा। सरकार की ज़िम्मेदारी सिर्फ Controlling Authority वाली होनी चाहिए। अमेरिका में भी सेना और पुलिस को छोड़ दें तो अधिकांश क्षेत्रों में निजीकरण और PPP Formula लागू है। इससे सेवा बेहतर होने के साथ ही स्थाई किस्म की ढांचागत सुविधाओं को उचित संरक्षण मिलेगा। चिकित्सा और स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत का इस मामले में कोई बयान अभी नहीं आया है।