Big Story::केदारनाथ Assembly By-Election:Congress कमांडरों में छिड़ी भीषण जंग:अध्यक्ष माहरा को BJP से पहले हरीश-गणेश-प्रीतम से निबटना होगा:BJP को क्षत्रपों की एकजुटता से Edge!बद्रीनाथ-मंगलौर के बाद मोदी-शाह ने CM पुष्कर की कमान को दी और मजबूती!
कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष पर हर किस्म के Indirect हमलों में तेजी आई:दिग्गजों की शह का शक

Chetan Gurung
केदारनाथ विधानसभा उप-चुनाव की तारीख का ऐलान होने से पहले ही Congress के भीतर उसके तमाम कमांडरों में आपसी भीषण जंग ने तूफ़ान पैदा कर दिया है.उत्तराखंड के अध्यक्ष करण माहरा के लिए BJP को पटखनी देने से ज्यादा मुश्किल खुद पर हो रहे तेजाबी हमलों से बचने को ले के हो रही.अंदरखाने की खबर है कि हरीश रावत-गणेश गोदियांल-प्रीतम सिंह सरीखे दिग्गजों ने Candidate के तौर पर मनोज रावत को उतारने के लिए नेजे पैने कर लगातार गुरिल्ला युद्ध शुरू किया हुआ है.परेशान माहरा के पास बहुत बड़े सिपहसालार नहीं हैं.उनका साथ हरक सिंह रावत और सूर्यकांत धस्माना दे रहे, जिनका जमाना फिलहाल पार्टी में चलता नजर आ रहा.हरक को माहरा केदारनाथ में टिकट दिलाना चाहते हैं.BJP को इस अंदरूनी संघर्ष का भरपूर फायदा हो सकता है.बद्रीनाथ और मंगलौर विधानसभा By-Election की जंग गंवाने के बाद PM नरेंद्र मोदी और HM अमित शाह ने पार्टी के सभी दिग्गजों को CM पुष्कर सिंह धामी की कमान में केदारनाथ का समर फतह करने का Task सौंप दिया है.
करण माहरा-अपनों के ही हमलों से हलकान!
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प्रदेश अध्यक्ष करण पर कई किस्म के परोक्ष हमले एक साथ हो रहे.कई आरोप बेहद और संगीन और निजी किस्म के हैं.इसके बावजूद करण ख़ामोशी का रुख अख्तियार किए हुए हैं.इस पर हैरानी जतलाई जा रही कि वह कोई Action लेने में तेजी या दिलचस्पी क्यों नहीं दिखा रहे.समझा जा रहा है कि पार्टी का माहौल देखते हुए वह फिलहाल किसी भी किस्म के विवाद का हिमालय खड़ा करने से बचने की कोशिश कर रहे.मौका आने पर वह सख्ती से हिसाब चुकता करेंगे.
कांग्रेस की घातक तिकड़ी-गणेश गोदियाल-हरीश रावत-प्रीतम सिंह
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सूत्रों के मुताबिक करण इस कोशिश में हैं कि केदारनाथ में अपने भरोसेमंद और करीबी हरक सिंह रावत को उतारा जाए.उनके बाबत ये राय आम तौर पर है कि वह चुनाव जीतने के सिद्धहस्त हैं.लैंसडौन Assembly Election में वह ढाई साल पहले अपनी बहु अनुकृति को विधानसभा भेज पाने में नाकाम रहे.तभी से कहा जा रहा है कि अब उनमें चुनाव जितने और जितवाने का न दम रह गया है न ही हुनर.लोगों में भी उनकी बार-बार की दल निष्ठा में बदलाव और बयानों में अगम्भीरता से अविश्वसनीयता का भाव पैदा हो चुका है.
CM Pushkar Singh Dhami and MP Anil Baluni
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वह Dinner किसके साथ और Breakfast कुछ ही घंटे बाद किसके साथ करेंगे, इसका अनुमान देवता या हकीम लुकमान भी नहीं लगा सकता है.ये उनको ले के मौजूदा राय है.बहु के BJP में चली जाने के बावजूद हरक पर प्रदेश अध्यक्ष का यकीन कायम है.हरक को साथ ले के करण खुद को पार्टी के भीतर मजबूत करने की कोशिश में हैं.बद्रीनाथ-मंगलौर की लड़ाई अपने पाले में कर के उन्होंने आला कमान और राहुल गाँधी के सामने अपने कद-वजन में बेशक इजाफा किया है.वह जानते हैं कि केदारनाथ की प्रतिष्ठित और बेहद जबर्दस्त होने वाली लड़ाई भी जीतने में सफल होते हैं तो उनके घर के विरोधी बुरी तरह चित हो जाएंगे.यही उनके घर के विरोधी नहीं होने देना चाहते हैं.वे या तो अपने खेमे का प्रत्याशी चाहते हैं या फिर चुनाव फतह के हक़ में नहीं रहेंगे.
पूर्व CM हरीश रावत-पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और प्रीतम सिंह मोर्चा खोले हुए हैं.केदारनाथ में प्रत्याशी के तौर पर अपने खेमे के मनोज रावत को टिकट दिलाने के लिए वे जी-जान एक किए हुए हैं.मनोज पहले भी इस सीट पर विधायक रह चुके हैं.टिकट के लिए कमर कसने के साथ ही करण के नैतिक बल और हौसले को तोड़ने की भी कोशिश चल रही.ऐसा कहा जा रहा है.Social Media के जरिये करण पर हो रहे हमलों में कुछ को कमर के नीचे का और Foul Play कहा जा रहा है.फिर भी करण खुद को फिलहाल चुप-चाप जंग की तैयारी में अधिक व्यस्त रखने की कोशिश करते दिख रहे हैं.
ये लगता नहीं कि करण को अंदाज ही न हो कि उन पर हो रहे हमलों के पीछे किन लोगों की शह है.पार्टी में मौजूद विरोधी माहरा पर Indirect हमले गुरिल्ला युद्ध अंदाज में बोल रहे. इस सूरते हाल में करण पार्टी की 56 छेद वाली नौका में सवार हो के केदारनाथ जीत का स्वाद चख सकेंगे, इस पर जल्द से यकीन किसी को नहीं हो रहा.कांग्रेस में महासमर छिड़ने का फायदा उठाने से मुख्यमंत्री पुष्कर शायद ही चूकना चाहेंगे.खास पहलू ये भी है कि कांग्रेस के कई बड़े चेहरे और MLAs अंदरखाने उनके साथ हैं.
पुष्कर को ND तिवारी प्रजाति के राजनेता और CM के तौर पर जाना जाता है.वह अपनों के साथ ही कांग्रेस नेताओं के साथ भी रिश्तों में माधुर्य रखना पसंद करते हैं.मंगलौर में BJP प्रत्याशी उनकी अगुवाई में हुए चुनाव में जीतने से जिस तरह बाल-बाल ही बचे, उसको देख के कांग्रेस को इस मुस्लिम बाहुल्य सीट पर अपने भविष्य की फ़िक्र होने स्वाभाविक है.ये तय है कि मुख्यमंत्री अब घायल शेर की तरह केदारनाथ सीट के चुनाव को बेहद तीखे तेवर और बीरबल बुद्धि के साथ लड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.कांग्रेस के लिए इस सीट पर निस्संदेह हालात बेहद विकट होने वाले हैं.
बद्रीनाथ का चुनाव किस करवट लेगा, ये BJP आला कमान तक को पहले से मालूम हो चुका था.केदारनाथ की सीट BJP और मोदी-शाह अपने पास बनाए रखने के लिए पूरी तरह मुतमईन है.मंथन सिर्फ इस पर हो रहा है कि टिकट दिवंगत MLA शैला रानी की सियासत से दूर रही बेटी को दिया जाए या फिर अन्य चेहरों और विकल्पों को आजमाया जाए.बद्रीनाथ चुनाव के नतीजे के बाद अब मोदी-शाह और आला कमान प्रत्याशी के मामले में PSD की ही राय को अंतिम समझेंगे, इसमें दो राय नहीं है.उससे पहले पुष्कर ने कई चुनाव अपनी अगुवाई में BJP के खाते में डाले थे.
राजेन्द्र भंडारी को कांग्रेस से ला के टिकट देने से नतीजे माकूल नहीं रहे.ये बेहद गलत दांव साबित हुआ.पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट तथा कई अन्य प्रमुख नेताओं ने इसको स्वीकार करने से गुरेज भी नहीं किया.दूध का जला छाछ फूंक के पीने वाली कहावत अब लागू होने वाली है.अन्दर की खबर है कि केदारनाथ By-Election पूरी तरह CM PSD की अगुवाई में लड़ा जाएगा. वही रणनीति तैयार करेंगे.इसके लिए आला कमान और मोदी-शाह पूरी तरह गंभीर और उनके साथ हैं.कोई भी क्षत्रप लापरवाही या कुछ ढिलाई न बरते, या फिर पार्टी के भीतर असहजता पैदा न करे, इसके लिए वे खुद भी मैदान पर आ गए हैं.
मोदी-शाह की उत्तराखंड BJP के बड़े Army और Core Commanders से दिल्ली में मिलाई को इसी नजरिये से देखा जा रहा है.ये संभव है कि वे इलाकाई सेनापतियों को ताकीद कर रहे कि वे हीला-हवाली छोड़ के पुष्कर के साथ मिल के काम करने में जुटें.मुख्यमंत्री भी राज्य के बड़े चेहरों से मिल रहे-भोजन कर रहे.डॉ धन सिंह रावत और MP अनिल बलूनी के साथ उनकी मुस्कुराती Viral तस्वीरों ने साफ़ कर दिया है कि वह मिल-जुल के सभी को भरोसे में ले के चलने को तरजीह देना पसंद करते हैं.इसका फायदा केदारनाथ की जंग में BJP को मिल सकता है.