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ऐतिहासिक खलंगा युद्ध क्षेत्र में जंगल कटान का विरोध:आन्दोलनकारियों को मिला Congress का साथ

Water Treatment Plant के लिए काटे जा रहे साल के जंगल

Chetan Gurung

East India Company और गोरखा कमांडर बलभद्र कुंवर की अगुवाई वाली फ़ौज के मध्य साल 1814-16 में भीषण ऐतिहासिक युद्ध वाले खलंगा पहाड़ी टीले पर हजारों हरे पेड़ों के कटान के विरोध में चल रहे आन्दोलन को आज Congress का भी साथ मिल गया.

सौंग Water Treatment Plant के लिए तकरीबन नौ हजार साल के पेड़ों को काटा जाना है.इसका पर्यवरण वादी और स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं.वे पेड़ों के साथ चिपक के उनको काटे जाने पर रोष प्रकट कर रहे हैं.उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के चीफ मीडिया कोऑर्डिनेटर राजीव महर्षि और कई पार्टी नेता-कार्यकर्ता उनका साथ देने जंगल पहुंचे.

हरे वृक्षों को काटने के फैसले को गलत करार देते हुए उन्होंने इसे राज्य सरकार की चूक बताया। उन्होंने कहा कि विकास परियोजना के नाम पर सदियों पुराने साल के जंगल की बलि लेना ठीक नहीं है.ये वैसा ही है जैसा कोई नीम हकीम गुर्दा प्रत्यारोपण के नाम पर शरीर से फेफड़े काट दे। जिसको ये भी मालूम न हो कि फेफड़े निकाल देने के बाद शरीर निर्जीव हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि विकास होना चाहिए लेकिन ये भी ख्याल रखना होगा कि देहरादून में तेजी से प्रदूषण बढ़ रहा है.उसकी रोकथाम यही जंगल कर रहे हैं. इस जंगल को नेस्तनाबूत करना कहीं से सही फैसला नहीं होगा। महर्षि ने मौके पर आन्दोलनकारियों को यकीन दिलाया कि उनके आंदोलन को कांग्रेस हरसंभव सहयोग देगी. यह सवाल देहरादून के अस्तित्व से जुड़ा हुआ है।

महर्षि ने राज्य सरकार से गुजारिश की कि बेशकीमती वृक्षों के बलिदान से पूर्व वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करे। महर्षि के साथ राम सिंह थापा (पूर्व अध्यक्ष बलभद्र थापा स्मारक समिति), प्रभा शाह (महासचिव-बलभद्र समिति), बीना गुरुंग (उपाध्यक्ष-बलभद्र समिति), सचिन त्रिवेदी (पूर्व VP-DAV कॉलेज भी थे।

 

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