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Land Laws::Ministers-Speaker के बोली-बचन के बवाल से Branding को झटका लेकिन ज़मीनों की कीमत-खरीद पर ब्रेक मुमकिन!City-Cantt Area में भी दिखेगा असर:नतीजे अच्छे दिखे तो नकल कानून-UCC के बाद सबसे ज्यादा Latest फैसले के लिए याद किए जाएंगे CM पुष्कर

Chetan Gurung

सरकारी नौकरियों में नकल कानून लागू कर आयोगों के Exams में पारदर्शिता ला के हजारों नौकरियां देने के बाद CM पुष्कर सिंह धामी सभी धर्मों के लिए एक समान कानून (UCC) पर अमल के बाद देश-विदेश में सुर्खियों के बीच थे। अब सीधे उत्तराखंड को प्रभावित करने वाले Latest Land Laws के नतीजे सही और ठोस निकलते हैं तो उनको लंबे समय तक सियासत की दुनिया में मजबूती से स्थापित होने का मौका मिलेगा। इस किस्म के सख्त और निरंतर उठाए जा रहे कदमों के लिए उनको लंबे समय तक याद किया जाएगा। विडम्बना ये रही कि भूमि-कानून के सहारे सरकार और BJP की खुद की Branding का सुनहरा मौका पहले मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल फिर Speaker ऋतु खंडूड़ी के सदन में बोल-बचन-बर्ताव तथा दोनों के खिलाफ पहाड़ से ले के मैदान तक उबाल ने पानी में मिला डाला। हकीकत तो ये है कि PSD सरकार पहली बार उत्तराखंड के इतिहास में 1 लाख करोड़ रूपये का बजट Assembly में ले के आई और सदन में बवाल ने इस को पर्दे के पीछे धकेल दीया।

आलोचक और असंतुष्ट तर्क दे रहे हैं अभी भी इसको और कठोर बनाया जा सकता था। या ये भी कि इसमें अभी भी कुछ झोल है। इसके बावजूद ये मानने से कोई इंकार नहीं कर रहा कि Pushkar’s Land Laws वाकई खासा सख्त है। पहाड़ और तराई के बड़े हिस्से की ज़मीनों को इस कानून से बहुत हद तक बाहरियों और Land Mafia से संरक्षण मिल सकेगा।

सौ बात की एक बात ये भी कि पहाड़ों में इस भू कानून से हरियाली-पर्यावरण और लोगों के अपनी ही जमीन से हाथ धो बैठने का खतरा खत्म होगा। माफिया और बाहरी पैसे वाले पहाड़ों में औने-पौने दाम में जमीन खरीद के न सिर्फ Resort और आरामगाह बना रहे बल्कि बाप-दादाओं-पूर्वजों की जमीन बेच के Easy Money कमा रहे लोगों को भी अय्याश-आरामखोर बना रहे। नए कानून से पहाड़ों और उसकी संस्कृति को खास तौर पर संरक्षण हासिल होगा।

उधम सिंह नगर और हरिद्वार को इस कानून से मुक्त रखा गया है लेकिन तमाम प्रावधान दोनों के लिए सख्ती से किए गए हैं। State Industrial and Infrastructure Development Corporation Limited (SIIDCUL) और वहाँ देश की बड़ी-बड़ी कंपनियों तथा उनकी Units स्थापित होने और उद्योगों को वहाँ Investment के लिए बढ़ावा देने की सोच के चलते सरकार ने शायद ये कदम उठाया है। राजधानी देहरादून और नैनीताल के तराई हिस्सों को नए कानून से बाहर नहीं रखा गया है।

पुष्कर सरकार इस कानून को लाने के लिए UCC से अधिक बेचैन थी। विधानसभा के Budget Session में इसको तुरंत-फुरन्त मंजूर कराने के लिए ही सत्र के दौरान ही Cabinet की Meeting बुला के इसके प्रस्ताव को हाथों-हाथ मंजूर कराया गया। मुख्यमंत्री की सोच के मुताबिक ही कानून को तैयार किया गया। कृषि व बागवानी के बहाने 12.5 एकड़ भूमि खरीदने की छूट  का बेजा इस्तेमाल माफिया लोग कर रहे थे। जमीनों के  खुर्द-बुर्द होने की शिकायतों का लगातार अंबार दशकों से लग रहा था। इस पर सरकार ने करारी चोट कर दी है।

हरिद्वार व उधम सिंह नगर को छोड़कर अन्य सभी 11 जिलों में इस छूट को पूरी तरह खत्म कर दिया है। पर्वतीय जिलों में अब कृषि व बागवानी के लिए बाहरी व्यक्ति जमीन खरीद ही नहीं खरीद पाएगा। जिन दो जिलों में छूट को खत्म नहीं किया गया है, वहां पर भूमि खरीद की प्रक्रिया को बेहद कठिन बना दिया गया है।  कृषि व बागवानी के लिए भूमि खरीद की अनुमति पहले DM दिया करते थे। इसमें ही खूब खेल होता था। अब इन दो जिलों में जमीन खरीदने के लिए मंजूरी शासन से लेनी होगी।

यह प्रावधान भी किया गया है कि कृषि व बागवानी के लिए भूमि खरीद का जो बाहरी व्यक्ति इच्छुक है, उसे संबंधित विभाग से आवश्यकता प्रमाणपत्र भी उपलब्ध कराना होगा। भू-कानून नगर निकाय और छावनी परिषद क्षेत्रों में लागू नहीं किया गया है। बाहरी व्यक्ति निकाय क्षेत्रों से बाहर आवास के लिए जमीन सिर्फ एक बार ही 250 वर्ग मीटर खरीद पाएगा। इसके लिए शपथपत्र देना Mandatory कर दिया गया है।

नगर निकाय क्षेत्रों के अंतर्गत भूमि का उपयोग निर्धारित भू-उपयोग के अनुरूप न होने पर उसको सरकार अपने कब्जे में ले लेगी। पोर्टल के माध्यम से भूमि खरीद प्रक्रिया की निगरानी का प्रावधान रखा गया है। सभी जिलाधिकारियों के लिए यह जरूरी किया गया है कि वह राजस्व परिषद और शासन को भूमि खरीद प्रक्रिया की नियमित रिपोर्टिग करेंगे।

CM PSD के मुताबिक उनकी सरकार उत्तराखंड और यहाँ के हितों के संरक्षण के लिए कोई भी ठोस और कठोर कदम उठाने से नहीं हिचकेगी। पहाड़ों की संस्कृति-पर्यावरण को नए कानून से प्रोत्साहन और संरक्षण मिलेगा। माफिया पहाड़ों में घुस नहीं पाएंगे। लोगों की पुरखों की जमीन भी बाहरियों के हाथों बिकने से बच जाएगी। भू-कानून का उल्लंघन होने पर सख्त कार्रवाई तय की गई है। इसमें लापरवाही बरतने वालों पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।

 

 

 

 

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