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अंग्रेजों के खिलाफ नालापानी युद्ध में गोरखाओं की बहादुरी-अदम्य साहस की दूसरी मिसाल नहीं-CM पुष्कर:खलंगा मेले को 5 लाख देने का ऐलान

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने मोहा:खूबसूरत जंगल के बीच लोगों ने लूटा नेपाली व्यंजन का स्वाद

Chetan Gurung

CM पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को सागरताल में East India Company के खिलाफ नालापानी युद्ध में Commander बलभद्र कुँवर की अगुवाई में गोरखा सैनिकों और महिलाओं-बच्चों तक की बहादुरी को याद और नमन करते हुए इस युद्ध में उनके शौर्य-अदम्य साहस को बेमिसाल करार दिया। उन्होंने हर साल आयोजित होने वाले खलंगा मेला आयोजन समिति को 5 लाख रूपये देने का ऐलान भी किया।

 

खूबसूरत और घने जंगल के बीच आयोजित ’50वें  खलंगा मेले’ में पहुँच के ‘ 50वाँ खलंगा मेला स्मारिका’ का विमोचन भी किया।सांस्कृतिक कार्यक्रमों का लुत्फ उठाते हुए कहा कि खलंगा मेला गोरखाओं के पूर्वजों की वीरता और अदम्य साहस को स्मरण करने का अवसर है। उन्होंने सेनानायक कुंवर बलभद्र थापा और उनके वीर साथियों, वीरांगनाओं को भी नमन किया।

उन्होंने कहा खलंगा में वर्ष 1814 के एंग्लो-गोरखा युद्ध में बलभद्र थापा और उनके वीर सैनिकों ने ब्रिटिश सैनिकों की विशाल सेना का सामना करते हुए अपनी वीरता और रणनीतिक कौशल से गोरों की सेना के हौसले पस्त कर दिए थे। ये युद्ध हमें देशभक्ति की प्रेरणा देता रहेगा। खलंगा मेले को उन्होंने समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं को सहेजते हुए उसे अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का  माध्यम करार दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी संस्कृति को मजबूत करने का कार्य पूरे देश में किया जा रहा है। खलंगा युद्ध स्मारक को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण में रखना, इसका बड़ा उदाहरण है। राज्य सरकार गोरखा समाज के उत्थान के प्रति कटिबद्ध है। उनके विकास व कल्याण के लिए निरंतर कदम उठाए जा रहे हैं। खलंगा मेला सरीखे आयोजनों से नई पीढ़ी को अपने पूर्वजों की वीरता और बलिदान को याद रखने में मदद मिलेगी।

इस अवसर पर विधायकउमेश शर्मा काऊ, बलभद्र ख़लंगा विकास समिति के अध्यक्ष कर्नल विक्रम सिंह थापा,कुलदीप बुटोला, विश्वास डाबर, विजय बलूनी, पदम सिंह थापा, ब्रिगेडियर राम सिंह थापा मौजूद रहे। गीता थापा ने बताया की खलंगा युद्ध के बाद ही 24 अप्रैल 1815 को सुबाथु (हिमाचल प्रदेश) तथा अल्मोड़ा (उत्तराखंड) में अंग्रेजों ने 3 गोरखा पलटनों की स्थापना की। गोरखा-हैट  इस युद्ध की पहचान बन गया।

मेले में कलाकारों ने रंगारंग नेपाली, गढ़वाली एवं कुमाँऊनी सांस्कृतिक लोकनृत्यों एवं गीतों की प्रस्तुतियों से लोगों को मोह लिया| देविन शाही ,सतीश थापा, दीप्ति राना, विजय शाही   मनीष सोनाली राई ने मधुर गीतों की  प्रस्तुतियाँ दी|  गुराँस सांस्कृतिक कला केंद्र , नालापानी, महिला एकता समिति रायपुर, कलेमेंटाउन,चंद्रबनी, राई समाज, गुरूंग समाज एवं अन्य  कलाकारों ने अपनी  सुंदर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सभी का मन मोह लिया|

विख्यात खुखरी नृत्य एवं-नौमती बाजा (प्राचीन गोर्खाली नौ वाद्य यंत्रों) की मनमोहक रंगारंग प्रस्तुतियों ने खास छाप छोड़ी। मेले में लगाए गए Food Stall पर लोग टूट से पड़े थे। लोगों ने ताजा तैयार नेपाली व्यंजन का भरपूर स्वाद लिया।

 

 

 

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