Big Story::`पुष्कर’ सरकार गिराने की साजिश!ये कहीं पे निगाहें-कहीं पे निशाना का मामला तो नहीं!MLA उमेश के हमले पर Gupta Brothers तो खामोश लेकिन BJP के ही Ex CM TSR-निशंक हुए आक्रामक:CM PSD का सियासी बवंडर से बेपरवाह हो कामकाज पर Focus

ChetanGurung
गैरसैंण में विधानसभा सत्र के दौरान South Africa वाले Zuptas (गुप्ता बन्धु) पर पुष्कर सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप लगा के सनसनी मचाने के बाद उत्तराखंड की सियासत में भूचाल लाने वाले आजाद MLA उमेश कुमार पर हैरतनाक ढंग से BJP के ही 2 Ex CM ने हमला बोलते हुए जम के मोर्चा खोल डाला है.समानता ये है कि मुख्यमंत्री रहने के दौरान दोनों शख्स डॉ रमेश पोखरियाल निशंक और त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ उमेश कुमार की जग प्रसिद्ध अदावत खुल के चली थी.दोनों पर ही उमेश ने हालांकि सदन में एक लफ्ज नहीं बोला था.
CM पुष्कर सिंह धामी के साथ MP और पूर्व CM त्रिवेंद्र सिंह रावत
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निशंक जब CM थे तो उमेश को देवभूमि क्या देश ही छोड़ के फरार होना पड़ा था.पुलिस उनको गिरफ्तार करने के लिए जगह-जगह छापों पर छापे मारे जा रही थी.बाद में निशंक कुर्सी से हट गए तो दोनों के बीच दुश्मनी की आग बुझ गई और राख भी ठंडी पड़ती चली गई दिखने लगी थी.BJP साल-2018 में सत्ता में लौटी तो त्रिवेंद्र CM बने.उनके साथ भी जल्द ही उमेश ने मोर्चा खोल दिया.TSR लेकिन अधिक सख्त और जिद्दी साबित हुए.
पूर्व CM डॉ रमेश पोखरियाल निशंक
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उन्होंने तमाम गंभीर धाराओं में उमेश को गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया था.बड़ी मुश्किल से उमेश जेल से जमानत पर बाहर आ पाए थे. इससे पहले उमेश Congress की हरीश रावत सरकार के किले को स्टिंग ऑपरेशन के जरिये कांग्रेस के ही हरक सिंह रावत का सहारा ले के ढहा चुके थे.हरीश सुप्रीम कोर्ट से जीत के सरकार में लौट आए.उम्र का अनुभव या सियासी परिपक्वता कहें कि हरीश ने नुक्सान और तनाव सहने के बावजूद उमेश के साथ उतना सख्त बर्ताव करने से बचने की कोशिश की, जो TSR-निशंक ने किया था.
विधानसभा सत्र के दौरान मंत्री डॉ धन सिंह रावत (दाएं) के साथ उमेश शर्मा
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त्रिवेंद्र और तीरथ की सरकार के बाद पुष्कर सरकार आई तो 3 साल पहले आम चुनाव जीत के उमेश भी विधानसभा के सदस्य बन गए.उमेश पूर्व में पत्रकार रहे हैं.विधायक बनने के बावजूद वह इस छाप से खुद को अलग न कर पाए हैं न करने की इच्छा रखते दिखते हैं.उनके पत्रकारिता वाले तीखे तेवर दिखाई देते रहते हैं.उन्होंने सदन में उत्तराखंड क्रिकेट में चल रहे भ्रष्टाचार को जबरदस्त ढंग से तब उठाया था जब Media-सरकार और विपक्ष (कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और एक वक्त विधायक रहे करण माहरा को छोड़ के) इतने बड़े और युवा क्रिकेट खिलाड़ियों से जुड़े अहम मुद्दे पर जुबान सिले हुए थी.
Ajay Gupta (left) with Anil Gupta (Right)
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दक्षिण अफ्रीका से भगौड़े का दर्जा पाए और गुप्ता भाइयों में सबसे बड़े अजय गुप्ता देहरादून में ही डालनवाला में रहते हैं.उन पर राजधानी के जाने-माने Builder सतेन्द्र साहनी (बाबा) की आत्महत्या मामले में मुकदमा चल रहा.जेल की रोटियाँ खाने के बाद जमानत पर हैं.इस मामले में भट्टी की आंच अभी ठंडी पड़ी भी नहीं और सदन में उमेश ने गुप्ता बंधुओं पर पुष्कर सरकार गिराने के लिए 500 करोड़ रूपये तक खर्च करने की साजिश का आरोप लगा के सनसनी मचा दी है.
हैरतनाक ढंग से उभरी हकीकत और हालात को देखें तो न खुद CM इस मामले में कुछ कहना चाहते दिख रहे न ही गुप्ता बंधुओं में से किसी का की कोई सफाई आई या आती दिखाई दे रही.अलबत्ता,त्रिवेंद्र और निशंक ने अपनी-अपनी तोपों-टैंकों की नालें उमेश की तरफ तान दी है.उनके करीबी जाने-माने वाले एकाध चेहरों ने भी उमेश को निशाना बनाया है.ऐसा तब है जब BJP की तरफ से इस मामले में आए बयान बेहद संतुलित किस्म के हैं.
Party की तरफ से बोला जा रहा कि PSD सरकार बहुत मजबूत है.PM नरेंद्र मोदी-HM अमित शाह आँख मूँद के पुष्कर पर यकीन करते हैं. उनकी सरकार गिराने की कोई कल्पना भी कर लें, मुमकिन नहीं है.अहम पहलू ये है कि गुप्ता बंधू पर सरकार गिराने के आरोप और उमेश पर दो पूर्व भाजपाई मुख्यमंत्रियों के हमले उस दौर में सामने आ रहे हैं, जब पुष्कर सरकार के अस्थिर करने की कोशिशों-साजिशों में BJP के ही कुछ नाम गुपचुप ढंग से लिए जा रहे हैं.ये भी अंदाज लगाया जा रहा है कि उमेश ने कहीं पे निगाहें जमाते दिखा के कहीं और तो निशाना नहीं लगाया है!
क्या गुप्ता बंधुओं पर उमेश के आरोपों के पीछे असल मकसद अपने राजनीतिक विरोधियों-शत्रुओं को परेशान करना या बेचैन करना है?गुप्ता बंधुओं पर विशिष्ट सुरक्षा देने और उनके परिवार की शादी में एक मुख्यमंत्री के जाने का सवाल सदन में उठाने के पीछे उमेश के शब्दों में छिपे निहितार्थ भी तलाशे जा रहे.सियासी विश्लेषकों या सियासत पर बढ़िया नजर रखने वाले तटस्थ किस्म के लोगों की मानी जाए तो शायद निशंक और त्रिवेंद्र इसी लिए उमेश से खार खा गए हैं कि उन्होंने सदन में परोक्ष तौर पर उनके खिलाफ हमला बोला.
कांग्रेस की भूमिका इस मामले में अधिक सक्रिय नहीं दिखाई देती है.उसने हलके-फुल्के सवाल उमेश के आरोपों पर उठा के अपना पल्ला एक किस्म से झाड़ लिया है. गुप्ता बंधुओं और खुद मुख्यमंत्री को देख के लगता है कि उनको इन आरोपों से कोई वास्ता या उनकी कोई परवाह नहीं है.PSD मुख्यमंत्री के तौर पर जिम्मेदारी निभाने में व्यस्त हैं.इसकी उम्मीद भी नहीं दिखाई देती कि उमेश के बयानों और गुप्ता बंधुओं पर लगे गंभीर-बड़े आरोपों की कभी कोई पुष्टि कहीं से हो पाएगी.
अजय गुप्ता आत्महत्या के लिए बाबा को मजबूर करने में फंसे मुक़दमे से खुद को बचाने की फ़िक्र में घिरे हैं.ऐसे दौर में वह सरकार गिराने की साजिश रच के अपने पाँव चलती आरा मशीन पर रखने की मूर्खता या दुस्साहस शायद ही करेंगे.ऐसा लग रहा है कि उमेश ने एक किस्म से Zuptas के बहाने निशाना अपने राजनीतिक दुश्मनों पर तान के ट्रिगर दबा दिया.BJP की मौजूदा आंतरिक सियासत में इससे गोली नहीं गोला छूट गया.इसी बम के गोले की कम्पन से उत्तराखंड की सियासत हिल गई है.