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राजेश के सुरों का तिलिस्म-गायकी का अंदाज Graphic Era महफिल-ए-गजल में छाया:बोले डॉ कमल घनशाला,`वक्त के मुताबिक परम्पराओं में भी बदलाव जरूरी’

Chetan Gurung  

सरकारी नौकरी आज के दौर की सबसे बड़ी उपलब्धि समझी जाती है लेकिन राजेश सिंह ने इसको छोड़ के गायकी की दुनिया को तवज्जो दी और गायन की दुनिया को ये नायाब आवाज और अंदाज वाला गायक मिला, जिसने Graphic Era विवि के महफिल-ए-गजल आयोजन के दौरान Silver Jubilee Auditorium में मौजूद हर शख्स को अपने दिलकश अंदाज और स्वर-गायन से सीटों पर ही जकड़े रखा। उनको सिर्फ सिर्फ तालियाँ बजाने-झूमने-वाह-वाह कहने की छूट दी। मौका था Graphic Era Group of Institutions के Chairman डॉ कमल घनशाला के जन्मदिन की पूर्व संध्या का।

Pro Kamal Ghanshala-Chariman (GEGI)

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राजेश ने आगाज अपनी लोकप्रिय ग़ज़ल “बेच दी क्यों जिंदगी दो चार आने के लिए दौड़कर दफ्तर गए भागे वहां से घर गएलंच में फुर्सत नहीं है लंच खाने के लिए….कुछ समय घर के लिए भी अब निकालो दोस्तों दिन बहुत थोड़े बचे हैं घर बचाने के लिए…” से किया। फिर जब श्रोताओं से गुजारिशों का सिलसिला शुरू हुआ तो गजलों-नगमों का खत्म न होने वाला दौर शुरू हो गया। एक के बाद एक कई ग़ज़लें पेश की।

ग़ज़ल “मेरे बचपन का कोई दोस्त आता है अगर मिलने तो उसके दिल में पहले सा अपनापन ढूंढता हूं मैंनए घर में पुराने घर का आंगन ढूंढता हूं मैं,  कभी जब गांव जाता हूं मैं…”,  “थोड़ी सी देर खुद को समझने में क्या हुई,  ताउम्र अपने होने का होता रहा गुमां, सारा कसूर उसका हैकहता था जाने जां बोला तुम्हें भी इश्क है तो हमने कह दी हां सारा कसूर उसका है...” ने वाकई लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कुछ बातों के मतलब है और कुछ मतलब की है बातें, जो यह फर्क समझ लेगा वह दीवाना तो होगाकल रास्ते में उसने हमको पहचाना तो होगा ,याद उसे एक अधूरा अफसाना तो होगा...”, “मौत और जिंदगी में सोचो तो एक धड़कन है फैसला यारों, तेज चलने लगी हवा यारों, जब भी कोई दिया जला यारो…” पर भी खूब वाह-वाही लूटी। लोकप्रिय नगमें-ले दे के मेरे पास हैं कुछ दिल की धड़कनें, तोहफा ये आखिरी मेरा, अब तो कुबूल ले, देने तो फिर ये आखिरी सौगात हो ना हो शायद फिर इस जन्म मुलाकात हो ना हो….भी पेश की।

उन्होंने ये वक्त की फितरत है माहौल बदल देगा, खुशियों ने जो छोड़ा है तो दर्द भी चल देगा… जिंदगी और कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी है…भी  सुनाईं, और हजार से अधिक क्षमता वाला खचाखच भरा सभागार रह-रह के तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा। उन्होंने साहिर लुधियानवी का गीत – कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है, के जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिए… पेश कर अपनी आवाज से लोगों के दिल लूटे। राजेश का साथ उनकी टीम के साथी धीरज कुमार डोंगरे, कन्हैया सिंह ठाकुर, महेंद्र सिंह चौहान व सत्य नारायण मुदलियार ने वाद्ययंत्रों पर खूबसूरती से निभाया।

शुरुआत में GE समूह के प्रमुख डॉ कमल घनशाला ने  कहा कि समय के साथ परम्पराओं का बदलना जरूरी है। 21 साल कवि सम्मेलन करने के बाद यह बदलाव समय की मांग है। केवल करने के लिए ही चीजें नहीं करनी चाहिए। ग्राफेस्ट को देश का सबसे बड़ा उत्सव बनाने के उद्देश्य से इस बार छात्र-छात्राओं के लिए ऐसी प्रतियोगिताएं रखी गई हैं, जिनसे उनका आत्मविश्वास बढ़े और Stage Fear कम हो। ग्राफेस्ट में 32 लाख से 35 लाख तक के नकद पुरस्कार दिये जाएंगे।

GEG के मुख्य संरक्षक RC घनशाला, अध्यक्ष लक्ष्मी घनशाला, VCP डॉ राखी घनशाला, यूकोस्ट के महानिदेशक डॉ दुर्गेश पंत, लाल बहादुर शास्त्री प्रशासन अकादमी के NIC ट्रेनिंग प्रमुख व NIC के सीनियर डायरेक्टर विनोद कुमार तनेजा, ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ नरपिंदर सिंह, ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ राकेश कुमार शर्मा और पदाधिकारीगण भी शाम का लुत्फ उठाने वालों में शामिल हुए।

 

 

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