
Chetan Gurung
Supreme Court के न्यायाधीशों ने कहा कि E-Court के बाबत लोगों और वादकरियों को जागरूक करने की दरकार है। हालात ये है कि देश भर की अदालतों में 5.23 करोड़ फैसले Upload किए जा चुके हैं। Download सिर्फ 2.18 करोड़ हुए हैं। SC E-Project को चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ा रहा है। ऑनलाइन ट्रैफिक चालानों का वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से शीघ्र निपटारा जा रहा है।
जाखन में Hyatt Centric होटल में राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी (भोपाल) की तरफ से आयोजित Conference के अंतिम दिन Justice राजेश बिंदल ने कहा कि E-Court और फैसले में रफार के लिए Infrastructure को बढ़ाना होगा।
Justice M सुंदर ने Data को सुरक्षित रखने को सबसे बड़ी चुनौती करार देते हुए कहा कि डेटा के कभी किसी वजह से प्रभावित होने की सूरत में विकल्प के सम्बन्ध में भी विचार करना आवश्यक है। डेटा को एक से अधिक सर्वर में सुरक्षित रखने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कुछ विधिक अनुवाद करने वाले सॉफ्टवेयर के बारे में भी जानकारी दी गई।
Justice संजीव सचदेवा ने E-Service की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जब भी सिस्टम में कोई बदलाव होता है तो मानव प्रकृति यही है कि उसे स्वीकार करने में समय लगता है। Justice संजीव सचदेवा ने वर्तमान में निर्णय/आदेश आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) से तैयार करने के संबंध में तथा वर्तमान टेक्नोलॉजी के बारे में विचार पेश किए।
उन्होंने Online हिंसा और दुर्व्यवहार से निपटने के तरीके पर भी विचार प्रकट किए। Uttarakhand HC के Justice रविन्द्र मैठाणी ने सभी का आभार जताया। HC और जिलों के जजों ने Conference में शिरकत की।