
Chetan Gurung
आखिरी सीट का नतीजा आने में अभी कुछ वक्त लगेगा लेकिन Local Bodies Elections की मोटी-साफ तस्वीर सामने आ चुकी है। Local Bodies Elections में Mayor और अध्यक्षों के ताज पर BJP ने वोटों के सहारे अधिकार जमा लिया। BJP से अधिक इस बार CM पुष्कर सिंह धामी ने अपने बूते तमाम बड़े और खास तौर पर Mayor के मुक़ाबले पार्टी के लिए फतह कर दिखाए। बेहद फंसे हुए मुकाबलों में उन्होंने फिर तिलस्मी स्पर्श का कमाल दिखा के इंतिखाबी जंग लड़ने के हुनर का दमदार प्रदर्शन किया। इन मुकाबलों की अहमियत इस लिए भी अधिक थी कि साल-2027 के Assembly Elections से पहले इसको Semi Final या फिर पुष्कर सरकार पर जनमत संग्रह (Referendum) समझा जा रहा था। सबसे इतर श्रीनगर महापौर की लड़ाई हारने और शिवालिक नगर पालिका अध्यक्ष की विजय को खास नजरिए से देखा जा सकता है। Mayor और Chairman (नगर पालिका-नगर पंचायत) के नतीजे बहुत उम्मीदें लिए बैठी लेकिन भीतर से टूट-फूट चुकी Congress के लिए वाकई बहुत बड़ा झटका है।
CM पुष्कर सिंह धामी ने Single Handedly चुनाव जितवाया
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चुनाव प्रचार के दौरान एक दौर ऐसा भी आया था जब ये राय बहुत तेजी से उभर आई थी कि कई सीटों पर BJP संकट में है। देहरादून-ऋषिकेश-पिथौरागढ़ Mayor की सीटों पर BJP को खतरे में दिखाया जा रहा था। श्रीनगर Mayor और हरिद्वार के शिवालिक नगर पालिका अध्यक्ष सीट भी इनमें शामिल थी। BJP की भी अंदरूनी सियासत इसकी बड़ी वजह थी। ऋषिकेश में देसी-पहाड़ी चल रहा दिखा तो श्रीनगर में प्रत्याशी को ले के BJP के ही तमाम लोग आश्वस्त नहीं थे। जिन BJP सूबेदारों ने उनको टिकट दिलाया वे ही हाथ-पैर छोड़ गए थे। ताज्जुब है कि इस सीट से सत्तारूढ़ दल के एक से एक दिग्गज नाता रखते हैं। वे सभी नाकाम साबित हुए।
पिथौरागढ़ में Congress से खुली बगावत करने वाले मयूख महर की निर्दलीय प्रत्याशी की तूफानी हवा बताई जा रही थी। उसको BJP ने थाम लिया। पालिका होने के बावजूद बेहद अहम शिवालिक नगर में BJP के ही कुछ MLAs को ले के हवा थी कि वे अपने ही Candidate राजीव शर्मा के लिए कील-कांटे बो रहे। इसमें झूठ सरीखा कुछ था भी नहीं। यहाँ PSD ने Road Show किया और राजीव के लिए राह आसान कर दी। देहरादून में तटस्थ किस्म के और सियासी नब्ज-हवा का रुख समझने वालों को कोई शक-ओ-शुबहा नहीं था कि Congress के वीरेंद्र पोखरियाल भी बेहतर Candidate होने के बावजूद BJP के युवा सौरभ थपलियाल की विजय राह में कोई बाधा आ सकती है।
तब तक मुख्यमंत्री पुष्कर अन्य जरूरी कामकाज में व्यस्त थे। उन्होंने चुनावों के आखिरी दौर में अपना अश्वमेध यज्ञ शुरू किया और जहां-जहां उनके सियासी अश्व ने रुख किया, वहाँ BJP का विजय रणसिंघा बजता गया। ये कोरी हवाबाजी नहीं है कि BJP के बड़े और खुदमुख्तार किस्म के सूबेदारों का कोई असर उससे पहले चुनावी समर में नजर ही नहीं आया। PSD की ख्याति-प्रतिष्ठा और छवि देश भर में ऐसे चेहरे की बन चुकी है, जो न सिर्फ चुनाव का रुख मोड़ने में बहुत बेहतर साबित हो सकते हैं बल्कि पार्टी और प्रत्याशी के लिए Lucky Charm साबित होते हैं। इस बार भी छोटी सरकार के बड़े और अहम नतीजों में बाजी मार दिखा के विधानसभा चुनावों के लिए माहौल बना दिया।
इस हकीकत को सभी बेहिचक स्वीकार कर रहे। सियासी समीक्षकों और आलोचकों को सरकार के कामकाज और CM के अंदाज को ले के टेढ़ी राय बनाने में अब और ज्यादा दिक्कत आ सकती है। आधिकारिक नतीजे अभी भी आ ही रहे हैं लेकिन नतीजों की उजली तस्वीर BJP के हक में आ चुकी है। Members के मुक़ाबलों में नतीजे जरूर प्रत्याशी पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं। उसमें काँग्रेस और Independents के लिए कुछ मौके आए। BJP का दावा है कि अवाम ने उनकी सरकार के बहुत सफल ढंग से चलने को ले के अपनी मुहर लगा दी है। वे विधानसभा चुनाव में भी परचम फहराएँगे।
Congress के पास इससे बेहतर प्रदर्शन करने की कुव्वत और मौका था। वे BJP के मजबूत दुर्ग को भेदने और शक्तिशाली चुनौती को ध्वस्त करने के बजाए आपस में ही एक-दूसरे को निबटाने-गरियाने में फंसे रहे। भितरघात दोनों ही दलों में खूब हुआ लेकिन उसके यहाँ पुष्कर सरीखा चेहरा और शख्सियत नहीं थी, जो उसको नियंत्रित कर अगुवा बन सके। अनुशासन तो पूरी तरह तार-तार दिखा। जसपुर (उधम सिंह नगर) Chairman की सीट पर सम्राट नौशाद की फतह इसलिए भी मायने रखती है कि उसको Congress ने टिकट नहीं दिया था। थैली से सम्पन्न समझे जाने वाले नौशाद पिछली बार भी बहुत छोटे अंतर से चुनाव हार गए थे।