दांव पर मंत्रियों की कुर्सियाँ-पोर्ट फोलियो!महंगा पड़ सकता है टिकट दिलाने के बावजूद खराब नतीजा:65 फीसदी से ज्यादा मतदान:Local Bodies Elections
बार-बार फेरबदल की हवा बहती रही है लेकिन इस मर्तबा ज़ोर का झटका ज़ोर से ही मुमकिन! फिर Assembly Elections तक Cabinet में हेर-फेर की गुंजाइश कम!

Chetan Gurung
कई मंत्रियों की कुर्सियों और Port Folio को Local Bodies Elections के नतीजे डस दे तो हैरानी नहीं होगी। फर्जी मतदान-वोट काट दिए जाने-हंगामों के बावजूद 65 फीसदी से अधिक मतदान के नतीजे 2 दिन बाद मंत्रियों के दिलों की धड़कन बढ़ाने के लिए काफी साबित होंगे। अपने क्षेत्र में खराब नतीजे या फिर जिनको टिकट दिलाए, उनका प्रदर्शन उम्मीदों के खिलाफ रहना, उनके लिए बहुत भारी पड़ सकता है।
रह-रह के मंत्रिमंडल में फेरबदल की हवा बहती रही है लेकिन 2 साल से भी कम वक्त में Assembly Elections होने हैं और मंत्रिमंडल को ताजी और नई सशक्त सूरत देने के लिए CM पुष्कर सिंह धामी के पास छोटी सरकार के नतीजे बहुत बड़ा Criteria साबित हो सकते हैं। अंदरखाने की खबर ये है कि BJP आला कमान पहले से ही उत्तराखंड मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाबत विचार कर रहा था। किसी न किसी वजह और एक के बाद एक कई चुनावों के चलते ये सोच अंजाम तक नहीं पहुँच पा रही थी।
आला कमान का मतलब सिर्फ PM नरेंद्र मोदी और HM अमित शाह हैं, जो लोकसभा चुनावों में सीटें कम होने के बावजूद बेहद ताकतवर हैं। उनके पास एक-एक मंत्री की रिपोर्ट होगी, इसमें कोई अगर-मगर ही नहीं है। Local Bodies Elections के निबट जाने के बाद इस के नतीजे भी मंत्रियों को बाहर करने या फिर अभय दान देने के साथ ही उनके महकमे (Port Folio) बढ़ाने या फिर छीनने का आधार बन सकते हैं।
मंत्रिमंडल में फेरबदल की पुरवाई कई बार चल चुकी है लेकिन इस बार कयास मजबूत लगने की तगड़ी वजह है। कुछ मंत्रियों से न अवाम और न ही संगठन खुश या संतुष्ट है। उनको मंत्रिमंडल से हटा के BJP को सरकार विरोधी लहर को उठने से रोका जा सकता है। और भी कारण फेरबदल के हो सकते हैं। कुछ विश्वासपात्रों और करीबियों को मंत्रिमंडल में शामिल करने की इच्छा PSD भी रखना चाहेंगे।
विवादों से रिश्तेदारी रखने और काम काज में असरहीन रहने वाले मंत्रियों पर कुल्हाड़ी पड़ जाए तो ताज्जुब नहीं होगा। CM पुष्कर अपना सिर हाँ या ना में हिला दे तो उनका पत्ता कटने या अभयदान से कोई नहीं रोक सकता है। पुष्कर अपने प्रदर्शन और अंदाज से मोदी-शाह-संघ का विश्वास मजबूती से जीत चुके हैं। ये छिपा सत्य नहीं है कि वह जो चाहते हैं,मोदी-शाह उस पर ठप्पा लगाने में बिल्कुल भी नहीं हिचकते हैं। पुष्कर एक के बाद एक इंतिखाबी फतह अर्जित करते रहे हैं।
बाहरी राज्यों के चुनावों में भी उनकी भारी मांग के पीछे ये पहलू माना जाता है कि जिन सीटों पर वह प्रचार करते हैं, उनमें विजय तय होने की संभावना अधिक है। फिर भी 3-4 मंत्रियों को सतर्क रह के अपने आकाओं तथा मुख्यमंत्री के संपर्क में अधिक रहना होगा। कामकाज के तौर तरीकों में भी बदलाव लाना होगा। खुद को बचाए रखने के लिए ये जरूरी होगा।
मंत्रिमंडल में सीट बचाने में सफल रहने के बावजूद ये भी मुमकिन है कि कुछ मंत्रियों के महकमों में फेरबदल नजर आए। स्थानीय निकाय चुनावों में कई बड़े नामों-मंत्रियों ने अपने चेलों को टिकट दिलवाए। अब उनको ही जितवाने में नाकाम रहना उनके लिए भारी पड़ना तय है। ये संभव है कि Cabinet में कुर्सियाँ भले कुछेक की ही जाए लेकिन कुछ के महकमे बदल दिए जा सकते हैं।