
Chetan Gurung
देश के Top Scientists-Experts ने आपदाओं से निबटने के लिए नई खोजों पर लगातार कार्य करते रहने पर बल देते हुए कहा कि तकनीक के सहारे हर दिक्कत-समस्या का समाधान काफी हद तक मुमकिन है। उन्होंने Graphic डीम्ड यूनिवर्सिटी में 5 दिन के Landslide Using Earth Observation Data पर कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में अपने अनुभवों और शोध के आधार पर विचार रखे।
इसरो के भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान के निदेशक डा. RP सिंह ने मुख्य अतिथि के तौर पर कहा कि नई तकनीकें प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में क्रांतीकारी बदलाव ला रही हैं। ये तकनीकें खराब मौसम-भू-स्खलन, साइक्लोन में भी पहले आगाह कर देती हैं। उत्तराखंड में भू-स्खलन का सबसे बड़ा कारण बढ़ती जनसंख्या और पहाड़ों में निर्माण की बढ़ती तादाद है।
वैज्ञानिक डा. NR पटेल ने कहा कि उत्तराखण्ड भू-स्खलन-बाढ़ आपदा से जुड़ी चुनौतियों से घिरा है। इससे निपटने से पहले शोध के जरिये जानना आवश्यक है कि ये आपदाएं बार-बार क्यों आ रही हैं। ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपति डा. नरपिन्दर सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन आने वाले समय की एक बड़ी समस्या है। इसके लिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए जाएँ।कार्यशाला का आयोजन ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के सिविल इंजीनियरिंग और पेट्रोलियम इंजीनियरिंग ने इसरो के सहयोग से किया। कार्यशाला में सिविल इंजीनियरिंग के HoD डा. KK गुप्ता, पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के HoD डा. विरेन्द्र बहादुर सिंह, संयोजक डा.KS रावत, डा. दीपशिखा शुक्ला, डा. संजीव कुमार मौजूद र