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पदम् सम्मानों की फेहरिस्त में छूटे कुछ नामों पर गौर हो सरकार!

The Corner View

ChetanGurung

क्या देश के सबसे प्रतिष्ठित पदम् सम्मानों के लिए वाकई ठोस मानक हैं!क्या जिसको सरकारें (केंद्र-राज्य) चाहेंगी उनको ही ये अवार्ड मिलते रहेंगे?देश की बात नहीं करूँगा लेकिन उत्तराखंड में तकरीबन 62 के करीब नामों को ये अवार्ड मिल चुके हैं.अधिकांश को पद्मश्री मिली है. कुछ पदम् विभूषण (CDS जनरल बिपिन रावत-पर्यावरणविद सुन्दरलाल बहुगुणा-नौकरशाह भैरबदत्त पांडे-बिनोद बिहारी मुखर्जी) और पदम् भूषण (कमलेंदुमती शाह-मुल्कराज चोपड़ा-Ruskin Bond-बछेन्द्रीपाल-डॉ अनिल जोशी-स्वामी दयानंद सरस्वती-स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी-चंडी प्रसाद भट्ट-कुंवर सिंह नेगी-Colonel SP वाही) भी खाते में हैं.

CDS जनरल अनिल चौहान


डॉ कमल घनशाला


हिमानी शिवपुरी

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इनमें से कुछ को पदमश्री भी पहले मिली.जिन लोगों को ये बेहद प्रतिष्ठित अवार्ड मिले हैं, उनमें से अधिकांश की क्षमता-काबिलियत-प्रतिभा-योगदान को ले के शक की गुंजाइश नहीं.कुछ तो बहुत बड़े नाम हैं.इसके बावजूद ये सवाल उठ सकता है कि कई चेहरे ऐसे हैं,जिनकी उपलब्धियां और समाज-देश के प्रति योगदान उनसे अधिक नहीं हैं तो उनके समकक्ष जरूर हैं.इसके बावजूद उनके नाम पर पदम् अवार्ड के लिए कभी विचार नहीं किया गया या फिर अब तक नहीं दिया गया.उत्तराखंड बनने से पहले जिन लोगों को पद्म अवार्ड मिले उनमें से कुछ को और राज्य गठन के बाद वालों में से अधिकांश की उपलब्धियों-गुणों से मैं या तो निजी तौर पर वाकिफ हूँ या फिर काफी हद तक उनके बारे में जानने का मौका मिलता रहा है.

उत्तराखंड के पदम् पुरस्कारों से सम्मानितों में बेशक कुछ नाम ऐसे हैं,जिनको देश ही नहीं दुनिया जानती हैं.मसूरी रहने वाले अंग्रेजी के मशहूर लेखक Ruskin Bond-Irvin Allan Sealy-देश के पहले CDS जनरल बिपिन रावत-पर्यावरणविद सुन्दरलाल बहुगुणा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बड़ी पहचान रखते थे या रखते हैं.कुछ नाम लेकिन ऐसे भी हैं जिनको दुनिया या देश क्या राज्य के लोग भी ठीक से नहीं पहचानते हैं.हो सकता है कि उन्होंने अपने क्षेत्र में वाकई इतनी मेहनत की हो कि उसके बूते ही पद्म पुरस्कार उनको दिया गया.उसका प्रचार ठीक से नहीं हो पाया हो.कुछ को जब पद्म पुरस्कार मिले तो मैंने उनको फोन पर बधाई देने के लिए कॉल किया था.ताज्जुब हुआ कि वे खुश तो बहुत थे लेकिन उपलब्धियों की सूची चाही तो बताते हुए काफी हिचक रहे थे.

Chetan Gurung

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पद्म पुरस्कारों के लिए आवेदन करना कोई राकेट साइंस नहीं है.कोई भी पदम् अवार्डी,सरकार-स्वयं सेवी संस्थाएं भी किसी भी ऐसे नामों की सिफारिश कर सकती हैं, जिनके बाबत उनको लगता है कि वे इसके लिए हकदार हैं.हकीकत लेकिन ये है कि ये सम्मान आम तौर पर उसी सूची में शुमार लोगों को मिलते हैं, जो राज्य सरकार केन्द्रीय गृह मंत्रालय को भेजती है.राज्य सरकारें ये जरूर चाहती हैं कि हर बार उसके राज्य से कुछ लोगों को ये सम्मान अवश्य मिल सके.सत्तारूढ़ दल इसका सियासी फायदा लेने की भी कोशिश करती हैं.सरकार के करीबी या फिर तेज-तर्रार किस्म के जुगाडू चेहरों को पदम् पुरस्कार मिलना कोई अजूबा नहीं रह गया है.इसके बावजूद मेरा मानना है कि कुछ नाम ऐसे अवश्य होते हैं कि उनको पदम् पुरस्कार दिया जाता है तो अवार्ड की सार्थकता और सुदृढ़ होती है.

उत्तराखंड में देखा जाए तो राज्य गठन से पहले जिन नामों को पदम् अवार्ड मिले, उनमें से कईयों की उपलब्धियां वाकई गजब की रहीं.इसके उलट साल-2000 में राज्य गठन के बाद जिन लोगों को पदम् अवार्ड से सम्मानित किया गया, उनमें से कुछ के कद और उपलब्धियों को ले के हैरानी भी प्रकट की जाती रही.ऐसा इसलिए कि उनसे बड़े चेहरे-नाम और उपलब्धियों वाले नकार दिए जा रहे या फिर उनकी तरफ सरकार की निगाह जा नहीं पा रही.कला की दुनिया की बात करें तो दिवंगत Tom Alter-हिमानी शिवपुरी-नरेंद्र नेगी के नाम लिए जा सकते हैं.भले आज उत्तराखंड की तृप्ति डिमरी-राघव जुयाल-अर्चना पूरण सिंह-तिग्मांशु धुलिया-उर्वशी रौतेला-दिशा पाटनी-सोनम बावेजा सरीखे कलाकार और TV की दुनिया के Hit Comedy Show के उस्ताद रहे भरत कुकरेती को लोग जानते हैं लेकिन Silver Screen की दुनिया में Tom और हिमानी ने जो जगह बनाई, उसकी मिसाल जल्दी नहीं मिलती है.Tom बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे.बेहतरीन Sports Columnist-Anchor और खेल प्रेमी थे.मसूरी-राजपुर, जहाँ उनका घर था, उससे उनको अगाध प्रेम था.वह मौक़ा मिलते ही यहाँ आया करते थे.

मैंने टॉम के साथ कई पल बतौर दोस्त गुजारे.बेहद सामान्य और विद्वान Actor के तौर पर उनको याद किया जा सकता है.हिमानी के पिता हरिदत्त भट्ट शैलेश खुद साहित्यकार थे.The Doon School में शिक्षक रहने के दौरान PM रहे राजीव गाँधी और उनके छोटे भाई संजय गाँधी (दिवंगत PM इंदिरा गाँधी के पुत्र) के Local Guardian थे.टॉम को मुंबई का मान के पदमश्री दिया गया.उत्तराखंड सरकार ने उनको कभी अपना माना ही नहीं.हिमानी को ये अवार्ड मिलने का अभी इंतजार है.मौजूदा दौर में कई नाम ऐसे हैं जो देश और समाज तथा अलग-अलग क्षेत्रों में बड़ा और अहम योगदान दे रहे Graphic Era Group of Institutions के Chairman डॉ कमल घनशाला का नाम पदम् अवार्ड में आज तक न होना हैरान करता है.Covid संकट-जोशीमठ आपदा के वक्त पर उन्होंने अद्भुत योगदान दिए.न सिर्फ Covid के शिकार लोगों के बच्चों की उच्च शिक्षा तक की मुफ्त पढ़ाई का जिम्मा लिया बल्कि हर किस्म से मदद करने में भी आए आए.

सरहद पर या देश की खातिर शहीद जवानों के परिवारों की मदद में वह इतनी तेजी से आए आते हैं कि सरकार भी पीछे छूट जाती है.भारत का नाम अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में रोशन करने वाले खिलाड़ियों की आर्थिक मदद और शिक्षा के मामले में सहयोग करने में वह बढ़-चढ़ के सामने आए हैं.बैडमिन्टन में लक्ष्य सेन-हॉकी में वंदना कटारिया को हर किस्म की मदद और 10-10 लाख रूपये का ईनाम उन्होंने सरकार के ऐलान से पहले दे दिया था.Paris Olympic के लिए क्वालीफाई कर चुके कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि वाले बेहद प्रतिभावान एथलीट सूरज पंवार को उन्होंने World Cup खेलने के लिए जाने से पहले फटाफट 5 लाख रूपये दिए.अपनी University में प्रवेश दिया.वह हमेशा ही किसी भी जरूरतमंद शख्स और खिलाड़ियों की मदद के लिए तत्पर दिखे हैं.

डॉ कमल को मैं उनके संघर्ष के दिनों से जानता हूँ.बीज से अंकुर निकलते और उसके विशाल वट वृक्ष में फैलते और शिक्षा (उच्च-तकनीकी) की दुनिया में बड़ा और भरोसेमंद नाम-Brand बनते करीब से देखता रहा हूँ.जानता हूँ कि किस तरह उनको शुरूआती दौर में राजनेताओं-अफसरों ने तंग कर के रखा.ये उनकी हिम्मत और जीवट का कमाल है कि वह न सिर्फ आज शिक्षा की दुनिया में बल्कि उत्तराखंड के रईसों में भी बड़ी हस्ती हैं.हजारों लोगों को उन्होंने अपने संस्थानों में शानदार और सम्मानजनक नौकरी दी है.उनके यहाँ से पढ़ के निकले युवा आज MNCs में देश-विदेश में करोड़ों रूपये के पैकेज पर बड़े ओहदों पर हैं.

देहरादून में सेलाकुई से पहले धूलकोट के बाद उन्होंने 7 सितारा सुविधाओं वाला अस्पताल खोल के राजधानी में ही बेहतरीन ईलाज को मुमकिन कर दिखाया है.अच्छा पहलू उनका ये है कि आज भी वह जमीन से जुड़े हैं.अपनी संघर्ष के दिनों के साथियों-जानकारों से उसी तरह मुखातिब होते हैं, जैसे 30 साल पहले.उनकी तरह ही मौजूदा CDS Lt General अनिल चौहान हैं.देहरादून के रहने वाले हैं.पौड़ी से ताल्लुक रखते हैं.4 सितारा हैं.Down To Earth.दिवंगत CDS बिपिन रावत की तरह वह भी 11 गोरखा Regiments की पृष्ठभूमि वाले हैं.ख़ामोशी के साथ अपने साधारण से घर (वसंत विहार) में आते हैं.जरूरी काम निबटाते हैं.फिर दिल्ली चले जाते हैं.वह शुरू से उत्तराखंड के रहने वाले हैं.CDS चौहान और डॉ कमल घनशाला के दिमाग में कभी पदम् अवार्ड की चाहत भले न रही हो लेकिन राज्य सरकार का फर्ज बनता है कि उनको ये अवार्ड अवश्य मिले.

एथलीट मनीष रावत ने रियो द जेनेरियो (ब्राजील) ओलिम्पिक में पैदल चाल स्पर्द्धा में शानदार प्रदर्शन किया था.भले वह पदक नहीं जीत सके थे.उनका और महिला क्रिकेटर स्नेह राना का दावा खेलों की दुनिया से पदम् अवार्ड के लिए मजबूत है.लक्ष्य सेन और क्रिकेटर ऋषभ पन्त से बड़ा नाम फिलहाल राज्य खेल की दुनिया में कोई नहीं.उनको क्यों नहीं मिला अभी तक?लक्ष्य तो भारतीय बैडमिन्टन इतिहास के बड़े खिलाड़ियों में छोटी उम्र के बावजूद शुमार हो चुके हैं. ऋषभ देश के सबसे लोकप्रिय खेल क्रिकेट की Indian टीम की कप्तानी भी संभाल चुके हैं. CM पुष्कर सिंह धामी को कुछ अलग और चौंकाने वाले बड़े फैसलों के लिए जाना जाता है.निष्पक्ष सोच के साथ फैसलों के लिए वह जाने जाते हैं.उम्मीद की जा सकती है कि उनके दौर में उत्तराखंड सरकार पदम् अवार्ड के लिए पूरी काबिलियत और अर्हता रखने वालों के लिए प्रेरक कदम उठाएगी.

 

 

 

 

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