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Big Speculation::Cabinet Reshuffle!इस बार हो ही जाएगा!हालात-मौका-दस्तूर सब है:अब नहीं तो कब?CM पुष्कर के पास खुद का पसंदीदा मंत्रिमंडल दस्ता गठित करने-सरकार-BJP को और मजबूत करने का सुनहरा मौका:PM मोदी के पीछे-पीछे Delhi पहुँच डाला डेरा:सियासी मौसम ले रहा अंगड़ाई

Assembly Election से पहले नए चेहरों को लाने-पुरानों की छुट्टी करने-मंत्रालयों में बदलाव की रही है रवायत:PSD की मेहनत पर पानी फेरने-अंदरखाने चुनौती देने की मंशा रखने वालों को झटका!

Chetan Gurung

CM की कुर्सी पर पुष्कर सिंह धामी की दुबारा ऐतिहासिक ताजपोशी के फौरन बाद से ही उनकी Cabinet में नए चेहरों के जुड़ने और पुरानों की छुट्टी की चर्चाओं की बयार बहती रही है। कई बार ऐसा हुआ लेकिन नतीजा सिफर निकला। अगर बहुत भीतर के सूत्रों पर यकीन किया जाए तो हफ्ते भर में कभी भी ऐसी खबर बाहर निकल सकती है जो कई मंत्रियों के ख्वाबों को चकनाचूर कर सकती है तो कईयों को उनके सपनों का शीशमहल मंत्री के तौर पर हासिल हो सकता है। PM नरेंद्र मोदी के उत्तरकाशी से बहुत खुश हो के लौटने के बाद CM पुष्कर के भी उनके पीछे-पीछे दिल्ली पहुँचने से देवभूमि का सियासी मौसम बहुत अधिक अंगड़ाई लेता दिख रहा। राजनीति के Experts और पुराने दिग्गज सियासतदाँ मानते हैं कि PSD के पास अपनी Cabinet को नई रवानगी और ताजा दम करने के लिए इससे बेहतर मौका नहीं होगा। हालात माकूल हैं। मौका भी है कि कुछ को Good Bye कर अपने भरोसेमंद और अधिक काबिल पर मंत्री बनाने का दांव खेला जाए। फिर दस्तूर भी है। Parliament हो या Assembly Elections, सरकारों में मंत्रियों और नए चेहरों की आपस में अदला-बदली होती रहने की रवायत पुरानी है। मंत्रियों के दिल कुर्सी जाने की आशंका और विधायकों की ख्वाब पूरे होने के इतने करीब होने के चलते बेतरह धड़के हुए हैं। मुख्यमंत्री अलबत्ता, अपने दिल्ली दौरे और फेरबदल पर जुबान खोलने को राजी नहीं दिख रहे

CM Pushkar Singh Dhami

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मंत्रिमंडल में फेरबदल की हवा हमेशा आलाकमान और CM पुष्कर की चुप्पी के खामोश तूफान से टकरा के दम तोड़ती रही है। कुछ मौकों पर भले BJP के प्रदेश प्रमुख महेंद्र भट्ट ने भी साफ-साफ कहा कि फेरबदल होगा। मुख्यमंत्री ने हालांकि जुबान खोलने से बचते रहे और मंत्री आज तक बचे हुए हैं। भट्ट एक बार फिर इसी मुद्दे पर इशारा कर रहे। इस बार भी उनकी बोली की गोली जन्नत सिधार जाती है या निशाने पर लगती है, कहना आसान नहीं है। इतना जरूर है कि कुछ मंत्रियों ने हालात फेरबदल के माकूल खुद ही बना डाले हैं। CM के लिए उनको बदलना पहले की बजाए कहीं आसान रहना तय है।

अगर बदले जाते हैं तो कितने मंत्रियों पर फरसा गिरेगा, इस पर कयासों की बौछार जारी है लेकिन कायदे और सियासी गणित के हिसाब से देखा जाए तो 3 पर तो सीधे फेरबदल की मार पड़ना मुमकिन है। देखने वाले इस तादाद को 5 तक ले जाने में गुरेज नहीं करते हैं। 4 सीटें मंत्रिमंडल में पहले से खाली हैं। इन Seats को 50 फीसदी भी भरा जाता है और कम से कम 3 मंत्रियों की छुट्टी की जाती है तो पुष्कर के पास 5 नए और अनुभवी चेहरों को मंत्री बना के खुद को भी सियासी तौर पर घर में भी बेहद मजबूत करने का मौका रहेगा।

मौजूदा मंत्रिमंडल भरोसेमंद कम और कामचलाऊ अधिक है। तमाम मंत्री PSD के लिए सिर दर्द बहुत ज्यादा हैं। सरकार चलाने में मदद  उनसे धेले की नहीं मिल रही। पुष्कर को Something Big वाला कदम उठाने में लुत्फ मिलता दिखता है। उन्होंने 1 लाख करोड़ रुपये का उत्तराखंड सरकार का Budget विधानसभा सत्र में पास करा के इतिहास रचा। 38वें National Games को आयोजित करने के साथ ही उत्तराखंड को Medal Tally के Top-7 में पहुँचाने का कारनामा कर दिखाया। इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। ये खेल आज तक UP भी नहीं कर पाया है,जिसकी कोख से उत्तराखंड का जन्म हुआ। प्रदर्शन के लिहाज से उत्तराखंड ने UP-बंगाल-राजस्थान-गुजरात-पंजाब और दिल्ली समेत तमाम प्रमुख खेल शक्ति समझे जाने वाले राज्यों को पछाड़ डाला। UCC पास कर के सभी धर्मों-जाति-वर्गों को एक ही कानून में बांध डाला। इन सभी उपलब्धियों ने देश भर का ध्यान खींचा। PM मोदी और केंद्र सरकार इसको केंद्र स्तर पर भी अमल में लाने के हक में दिख रहे हैं।

इन बड़ी उपलब्धियों के जरिये सरकार शानदार Branding खुद की और राज्य की कर सकती थी। कुछ मंत्रियों ने अपनी हरकतों-जुबान से रंग में भंग डाल दिया। Speaker ऋतु खंडूड़ी ने भी सदन में Congress के लखपत बुटोला को सख्ती से डांट के जन आक्रोश और भड़का डाला। PSD के पास अपने खासमखास MLAs काफी हैं, जो मौके की तलाश में हैं। उनको मंत्री बनाने से Cabinet ताजे फूल की तरह दिखेगा। नए मंत्रियों में कुछ कर गुजरने के जोश का फायदा मिल सकता है। सौ सुनार की एक लुहार की ये कि सियासी तौर पर पुष्कर की दुदुंभी और ऊंची आवाज से बजेगी। मंत्री भी सीमाओं में रहेंगे। PM नरेंद्र मोदी और HM अमित शाह ही इस वक्त BJP और सरकार पर अपनी मर्जी से Rule कर रहे हैं।

ये शानदार संयोग है कि पुष्कर दोनों की आँख के तारे हैं। देश में दोनों के सबसे प्रिय और विश्वासपात्र मुख्यमंत्री BJP शासित राज्यों में सिर्फ पुष्कर को समझा जा रहा है। वह अपनी पसंद से मंत्रिमंडल नए सिरे से बनाना चाहें तो दोनों से उनको `ना’ शायद ही सुनने को मिलेगी या निराशा हाथ लगेगी। ये किसी को मालूम नहीं है कि मोदी ने उनसे उत्तरकाशी के Short-तूफानी दौरे पर मंत्रियों में फेरबदल पर कोई बात या चर्चा की या नहीं लेकिन PM और CM तकरीबन साथ ही दिल्ली गए। मुख्यमंत्री का न कोई पूर्व Program दिल्ली जाने का था न ही कोई कोई अधिकृत कार्यक्रम CMO ने जारी किया है।

जानकारी के मुताबिक CM की दिल्ली में किसी से मिलने का भी कोई कार्यक्रम नहीं है। संभावना ये जतलाई जा रही है कि उनको मोदी-शाह या आला कमान से जुड़े किसी बड़े शख्स से मुलाक़ात का कभी भी फरमान आ सकता है। वे फिलहाल उसी का इंतजार दिल्ली के चाणक्यपुरी में कर रहे हैं। ये भी माना जा रहा है कि PSD शायद सिर्फ Cabinet फेरबदल के लिए मार्गदर्शन लेने नहीं बल्कि पहाड़-देसी के मुद्दे पर पहाड़ के उबलने को शांत करने का रास्ता तलाशने के लिए मोदी-शाह समेत पूरे आलाकमान की मंजूरी लेने भी दिल्ली गए हो सकते हैं। CM के दिल्ली दौरे ने फिलहाल मंत्रियों-विधायकों की दिल की धड़कन-BP बहुत ही बढ़ाया हुआ है। आखिर पुष्कर यूं ही अचानक तो दिल्ली नहीं ही जाते।

मोदी-शाह की BJP में जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को खास तरजीह नहीं दी जाती है। Cabinet फेरबदल पक्का है तो फिर पौड़ी-देहरादून पर छंटनी का फंदा फंस सकता है। 2-2 मंत्रियों वाले दोनों जिलों से 1-1 मंत्री तो शायद तब कट ही जाए। किसका पत्ता कटेगा ये प्रख्यात भविष्यवक्ता नस्त्रोदमस जिंदा होते तो वह भी शायद ही बता सकते। हरिद्वार-पिथौरागढ़-बागेश्वर-नैनीताल-चमोली-रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी के हिस्से में कोई मंत्री नहीं है। मुमकिन है कि इन जिलों पर भी मंत्री पद की कुर्सी की बारिश की फुहार पड़ जाए। सब फिलहाल कयास हैं।

 

 

 

 

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