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अरंडी के पत्तों से औषधीय बैंडेज भी बन सकती हैं:Graphic Era में Start Up पर Workshop में पेश हुए Ideas

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फार्मेसी पर Start Up से नाता रखने वालों का दावा है कि अरंडी के पत्तों से औषधीय बैंडेज भी बनाई जा सकती है। Workshop में उन्होंने तमाम नए और अहम Ideas इस बाबत दिए।

ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी में राष्ट्रीय फार्मेसी दिवस के अवसर पर फार्मा और फार्मेसी प्रैक्टिस में उद्यमिता और स्टार्टअप विषय पर छात्र-छात्राओं ने फार्मेसी क्षेत्र में नए स्टार्टअप पर कई Innovative Ideas दिए।

उन्होंने कहा कि अरंडी के पत्तों का उपयोग कर औषधीय बैंडेज विकसित किए जा सकते हैं। औषधीय अपशिष्ट को सजावटी वस्तुओं में परिवर्तित करने, मच्छर निरोधक केक, वर्चुअल औषधी परामर्श में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े Ideas भी उन्होंने पेश किए।

युनाइटेड बायोस्यिुटिकल्स (हरिद्वार) के निदेशक दीपक जुनेजा ने कहा कि अच्छा उद्यमी बनने के लिये सही लक्ष्य को पहचानना आवश्यक है। उद्यमी के जीवन में अनेक कठिनाइयां आती हैं लेकिन खुद पर विश्वास करना बहुत जरूरी है। समस्याओं से तभी निपटा जा सकता है।

स्किन डीएक्स बायोस्यिुटिकल्स, नई दिल्ली के संस्थापक एवं निदेशक डा. आशीष जोशी और घाद नेचुरल्स, देहरादून के सह-संस्थापक विशाल गर्ग ने फार्मेसी क्षेत्र से जुड़े विषयों पर महत्वपूर्ण जानकारी दी। अच्छे आईडियाज देने वाले प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए।

कार्यशाला का आयोजन स्कूल आफ फार्मेसी ने किया। कार्यशाला में HoD डा. नरदेव सिंह के साथ अहमद नवाज, आलोक भट्ट, प्रेरणा उनियाल, वैशाली गोयल मौजूद रहे।

Marketing के जरिये बद्री फल का Production बढ़ाएँ:शोध पत्र प्रतियोगिता में डा. विजय लक्ष्मी विजेता


बद्री फल (सीबकथोर्न) के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विशेषज्ञों ने व्यापक स्तर पर इसकी मार्केटिंग करने का सुझाव दिया।
ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में बद्रीफल पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में उत्तराखंड सहित हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा व उड़ीसा के वैज्ञानिकों व शोधकर्ताओं ने भाग लिया। सम्मेलन में बद्रीफल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विशेषज्ञों ने मार्केटिंग के साथ बेहतर नीतियां बनाने, सीमांत क्षेत्रों में इसकी खेती करने, किसानों को जागरूक करने, खाद्य पदार्थों व दवाई में इसका उपयोग करने, इसकी कटाई के लिए मशीन बनाने व प्रीसीजन फार्मिंग का उपयोग करने जैसे सुझाव दिए।


दो दिवसीय सम्मेलन में इस विषय से सम्बन्धित 20 शोध पत्र व 24 पोस्टर प्रस्तुत किए गए। सम्मेलन के आखिरी दिन आज शोध पत्र प्रतियोगिता में गढ़वाल यूनिवर्सिटी की डा. विजय लक्ष्मी त्रिवेदी ने बाजी मारी। पोस्टर प्रतियोगिता की पारिस्थितिक वितरण एवं आनुवंशिकी विविधता की श्रेणी में ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के अंशुमन रावत व मनमोहन पटेल ने प्रथम स्थान हासिल किया। पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन से मुकाबले की श्रेणी में गढ़वाल यूनिवर्सिटी की जया बिष्ट ने पहला स्थान प्राप्त किया।

दवा व औषधीय महत्व की श्रेणी में जियोंन लाइफ साइंसेज, नोएडा की शालू चैहान अव्वल रही। बद्रीफल के सामाजिक आर्थिक विकास की श्रेणी में गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान, लद्दाख की स्टेनजिन डोलमा ने पहला स्थान हासिल किया।
राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन ग्राफिक एरा के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने सीबकथोर्न एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सहयोग से किया।

 

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