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मनमानी!!मंत्री-DG-कायदों के खिलाफ ख़त्म की Sun Valley School की मान्यता!CEO ने खुद तय कर दिए वैकल्पिक स्कूलों नाम!अल्पसंख्यक स्कूल में RTE प्रवेश मामला:प्रबंधन ने कहा,`उत्पीड़न होता रहा तो Summer Valley स्कूल भी बंद करने पर सोचेंगे’

साल-2025-26 का फैसला 2024 में ही ले लिया:सैकड़ों बच्चों के भविष्य से खिलवाड़:परेशान-बेचैन माता-पिता:प्रवेश में कमीशन का खेल न हो पाना भी वजह!

Chetan Gurung

राजधानी के नामचीन और अल्पसंख्यक श्रेणी के Sun Valley School की मान्यता ख़त्म करने के मुख्य शिक्षा अधिकारी के फैसले ने सैकड़ों बच्चों के भविष्य को अधर में डाल दिया.स्कूल प्रबंधन के साथ ही बच्चों के माता-पिता बेचैन-परेशानहाल घबराए घूम रहे.स्कूल प्रबंधन की दलील है कि उनके खिलाफ न सिर्फ कायदे-कानून के खिलाफ कार्यवाही की गई बल्कि इस मामले में जिस दिन शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत और DG (शिक्षा) बंशीधर तिवारी से इन्साफ होने का ठोस आश्वासन मिला, उसी दिन स्कूल की मान्यता ख़त्म कर CEO ने पूर्वाग्रह और गैर कानूनी कृत्य किया.

Summer Valley School (Senior) और Sun Valley School प्रबंधन से वास्ता रखने वाले अशोक वासु ने www.chetangurung.in से कहा,`नियमानुसार स्कूल ने खुद को अल्पसंख्यक श्रेणी का होने के प्रमाण और शपथ पत्र दिया.इसकी फाइल ऊपर से नीचे तक गई.NoC के लिए साल भर से ऊपर का वक्त निकल गया.कई बार संपर्क करने के बावजूद नहीं दिया गया.व्यवस्था के मुताबिक तय समय सीमा तक NoC नहीं दी जाती है या फिर आवेदन खारिज हो जाता है लेकिन उसकी सूचना स्कूल को नहीं दी जाती है तो स्वतः NoC मान ली जाती है’.Summer valley स्कूल से पढ़ के कई बड़े अफसर निकले हैं.कई आला अफसरों के बच्चे यहाँ पढ़े हैं या पढ़ रहे हैं.

वासु के अनुसार प्रबंधन ने सभी औपचारिकता और प्रक्रिया स्कूल के अल्पसंख्यक श्रेणी का होने के बाबत पूरी की.लगातार विभाग के संपर्क में रहे.DG (शिक्षा) बंशीधर तिवारी और शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत से भी मिले.दोनों ने आश्वस्त किया कि स्कूल के साथ कोई गलत कदम नहीं उठाया जाए.हैरानी की बात है कि जिस दिन मंत्री और DG से स्कूल को आश्वासन मिला, उसी दिन CEO ने मान्यता ख़त्म करने का आदेश जारी कर दिया.उन्होंने कहा कि सरकारी उत्पीड़न पर रोक नहीं लगी तो प्रबंधन को अपने Senior Classes वाले Summer Valley स्कूल को भी बंद कर उसका कोई व्यावसायिक इस्तेमाल करने पर विचार करना पड़ सकता है.गुरु तेग बहादुर रोड पर बेशकीमती भू-खंड पर स्कूल से अधिक उस जगह का कोई अन्य व्यवसायिक इस्तेमाल कहीं बेहतर और नफे का सौदा है.स्कूल सिर्फ बच्चों को स्तरीय और गुणवत्तायुक्त शिक्षा देने के उद्देश्य से संचालित किया जा रहा.

स्कूल का सञ्चालन गुरु नानकदेव एजुकेशनल एंड चेरिटेबल त्रस्त करता है.23 मार्च-2023 को निदेशक (शिक्षा) ने जिला शिक्षा अधिकारी को आदेश दिए थे कि स्कूल के अल्पसंख्यक श्रेणी का होने के बाबत उचित कार्यवाही करें और उनको भी सूचित किया जाए.NoC 90 दिनों के भीतर देने या फिर अमान्य करने का फैसला करना होता है.दोनों नियमों का पालन सन वैली स्कूल मामले में नहीं किया गया.सीधे मान्यता ख़त्म कर दी गई.स्कूल और ट्रस्ट के ओहदेदारों-Principal की मंत्री-DG से मुलाकात और उनके आश्वासन की कोई कीमत नहीं दिखाई दी.

ताज्जुब इस पर भी है कि CEO प्रदीप कुमार ने मान्यता ख़त्म करने के साथ ही उन स्कूलों की भी सूची जारी कर दी,जहाँ अपने बच्चों का प्रवेश अभिभावक करा सकते हैं.ऐसा कर उन्होंने एक किस्म से स्कूलों की Branding की.उन्होंने ये भी नहीं देखा कि स्कूल में प्रवेश के दौरान कितना भारी-भरकम खर्च आता है.अन्य स्कूल में प्रवेश में फिर वही खर्च माता-पिता को उठाना पड़ेगा.सूत्रों के मुताबिक ऐसा फैसला करते समय मंत्री और DG को भी विश्वास में नहीं लिया गया.

ये सारा मसला तब पैदा हुआ जब स्कूल ने ये कह के RTE (शिक्षा का अधिकार) में विभाग के भेजे कुछ बच्चों को स्वीकार नहीं किया कि अल्पसंख्यक श्रेणी (ईसाई-मुस्लिम-सिख-जैन) से वास्ता रखने के चलते वह RTE के दायरे में नहीं आते हैं.स्कूल ने हालांकि कुछ बच्चों को प्रवेश दिए.स्कूल प्रबंधन ने ये भी दलील दी कि विभाग से RTE के बच्चों को प्रवेश देने के लिए सूची भी महीनों देर से दी जाती थी.इससे बच्चों को अन्य बच्चों के साथ बैठ के पढ़ने में खुद को Adjust करने में दिक्कत आती है.सूत्रों की माने तो RTE के जरिये नामी स्कूलों में प्रवेश के खेल में मोटी दलाली की भी अहम भूमिका रहती है.

देहरादून के ख्यातिनाम स्कूलों में प्रवेश हमेशा ही टेढ़ी खीर रही है.ऐसे में माता-पिता जुगाड़ कर RTE के जरिये इन स्कूलों में प्रवेश कराने की कोशिश महकमे के अफसरों-कर्मचारियों एक साथ मिल के करते हैं.शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह ने इस मसले पर कहा कि ये मामला उनके संज्ञान में है.अंतिम फैसला शासन को करना है.किसी भी स्कूल के साथ कोई ना-इंसाफी नहीं होने दी जाएगी.जो नियम में होगा, उसी पर अमल होगा.

 

 

 

 

 

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