
Chetan Gurung
गलत सुर्खियों में फंस के डूब गए प्रेमचंद अग्रवाल की CM पुष्कर सिंह धामी की Cabinet से छुट्टी होते ही बचे 6 मंत्री खुद की कुर्सी बचाने की कोशिश-फिक्र में जुटने के साथ ही खाली हो गए Finance-Urban Development-Housing पर नजर मारे हुए हैं। जो MLAs लंबे समय से Cabinet के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं, वे अब Entry के लिए हाथ-पाँव तेजी से मार रहे। देखना दिलचस्प रहेगा कि आला कमान खाली 5 सीटों में कितनी भरना पसंद करेगा और नौजवानों तथा बुजुर्गों-अनुभवियों में संतुलन रखना चाहेगा या फिर नए खून-नए जोश को तवज्जो देगा। सबसे ऊपर ये कि PSD किन-किन के कंधों पर हाथ रखेंगे और किसके सिर से हटा लेंगे। विभागों का पुनर्र्बंटवारा हो या फिर नए चेहरों को मंत्री बनाना हो, PM नरेंद्र मोदी और HM अमित शाह मुख्यमंत्री की सिफ़ारिशों और सुझावों को तरजीह देंगे,ये तय है। मंत्रियों-MLAs के लिए भी हाजी मुफीद दिख रहा कि मोदी-शाह तक पहुँचना ना-मुमकिन होने के चलते PSD की ही परिक्रमा कर मुरादें पूरी करने की कोशिश की जाए।
PM Narendra Modi and CM Pushkar Singh Dhami:दोनों के अगले Move पर नजर
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पहाड़-मैदान मुद्दे पर छिड़े महासमर में प्रेमचंद का जाना तय था। मुख्यमंत्री और BJP के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट उनको इस्तीफा दे के मामले को शांत करने की लगातार सलाह शुरू से दे रहे थे, ऐसा ठोस स्रोत बताते हैं। मामला मोदी और शाह के दरबार में जा पहुंचा तो बेमन और छलछलाती आँखों से PCA को इस्तीफे का ऐलान करना पड़ा और फिर मुख्यमंत्री को सौंप भी दिया। प्रेमचंद को BJP के कुछ बड़े नामों का जबर्दस्त सहारा था। इसके बावजूद उनकी मंत्रिमंडल से रवानगी नहीं रुक पाई। खास पहलू ये भी रहा कि प्रेमचंद के अफलातून किस्म के जुबानों ने पुष्कर सरकार की मेहनत पर विधानसभा के Budget सत्र में पानी फिर गया। मुख्यमंत्री को उम्मीद थी कि UCC-1 लाख करोड़ रुपये के ऐतिहासिक बजट और उत्तराखंड में पहली बार आयोजित National Games की ऐतिहासिक कामयाबी पर उनके हिस्से बधाई-धन्यवाद प्रस्ताव सदन में आएगा। हंगामों ने सदन निबटा डाला।
5 मंत्रियों की खाली सीटों को भरने के लिए मोदी-शाह हामी भरेंगे, इसमें शक है। दोनों कुछ सीटों को खाली छोड़े रखने में यकीन रखते हैं। फिर भी कम से कम 3 सीटों को भरा जा सकता है। कम से कम 3 सीटें अभी ऐसी भी समझी जा रही, जो खाली हो सकती हैं। इस पसोपेश के चलते मंत्रियों में खुद को बाहर होने से बचाने की कशमकश में रहने के दौरान प्रेमचंद के हटाए गए मंत्रालयों को हासिल करने की ख़्वाहिशों का ज़ोर मारना भी स्वाभाविक है। वित्त, शहरी विकास और आवास विभाग हर कोण से बेहद अहम हैं। अस्वाभाविक मृत्यु को प्राप्त चंदन रामदास के मंत्रालयों का बंटवारा नहीं किया गया था। उनको मुख्यमंत्री ने खुद ही संभाल लिया। इनमें Transport सरीखा अहम महकमा भी है।
ये कयास लग रहे हैं कि मुख्यमंत्री प्रेमचंद के भी मंत्रालय खुद रखेंगे या फिर इस बार वे बाँट दिए जाएंगे। ऐसा भी मुमकिन है कि वह Finance-Housing खुद रख लें और बाकी अपने पास के कुछ कम अहम महकमे बाँट दें। मुमकिन कुछ भी है। सभी विकास प्राधिकरण आवास मंत्रालय के आधीन हैं। Tax महकमा Finance के अंतर्गत आता है। नगर निगम-नगर पालिका-नगर पंचायतें शहरी विकास मंत्रालय के आधीन हैं। मुख्यमंत्री के पास अभी 2 दर्जन के करीब महकमे हैं। इनमें Labour-IT-Science Technology-Rehabilitation-सरीखे कम अहम और Civil Aviation सरीखे अहम लेकिन छोटे महकमे शामिल हैं। कार्मिक-Home-PWD-Power-Industry-Mining-Drinking Water-Environment-Excise-Transport सरीखे वजनी महकमे CM के पास हैं।
अहमतरीन पहलू मंत्रालयों के बँटवारों में ये भी होगा कि कुछ मंत्रियों के पास बेशक महकमे कम हैं लेकिन वे खुद भी Safe Zone में नहीं समझे जा रहे। कुछ अपनी कार्यशैली-अंदाज से सरकार तथा BJP के लिए असहजता उत्पन्न कर रहे हैं। मुख्यमंत्री उन पर वरदहस्त बनाए रखते हैं तो ताज्जुब होगा। ज्यादा गुंजाइश इसकी लग रही है कि पहले नए मंत्रियों की भर्ती और कुछ और जिनको अलविदा कहना है, कह दिया जाएगा, तब जा के मंत्रालयों का बंटवारा फिर से होगा या फिर जोड़े-घटाए जाएंगे। मंत्रियों की नई खेप आती है तो इस पर बहस हो सकती है कि नए और ऊर्जावान युवा चेहरों को मोर्चे पर झोंका जाए या पुरानों को फिर से कसौटी पर कसा जाए। नए-युवाओं का तात्पर्य Under-50 Age हो सकती है।
युवा और ऊर्जावान नेतृत्व Party को फायदा दे सकता है, ये पुष्कर को CM बना के मोदी-शाह देख रहे हैं। वह बिना शक उत्तराखंड के आज तक के सबसे तेज-तर्रार-सुलझे और चपल-ऊर्जा से ओत-प्रोत मुख्यमंत्री हैं। वह ऐसे CM के तौर पर उभरे हैं, जो सुबह कहीं, दोपहर कहीं,शाम कहीं और रात कहीं अन्य शहर में नजर आते हैं। धूप-बारिश-सर्दी-बर्फबारी-मैदान-पहाड़ को देखे बिना मौके पर पहुँचने में यकीन रखते हैं। मंत्रियों से भी इसी पैमाने पर खरा उतरने की उम्मीद की जा सकती है। बुजुर्ग की दहलीज Cross करने के साथ ही मंत्री के तौर पर पहले निराश कर चुके या फिर नाकाम मंत्री रहे नामों को फिर Cabinet में जगह मिलती है तो हैरानी होगी। ऐसे नाम कई हैं। जो भले भारी लगते हैं लेकिन मोदी-शाह के मानकों में अब शायद Fit नहीं बैठते हैं।