Super Breaking::मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का रुँधे गले-सुबकियों-हिचकियों में इस्तीफे का ऐलान फिर CM पुष्कर को आवास पर जा के हाथों-हाथ सौंप भी दिया:भारी पड़ा असंसदीय शब्द-पहाड़ विरोधी मानसिकता का ठप्पा:मंत्रिमंडल से छुट्टी लंबे समय से Pending थी:Queue में और 3 मंत्री!
नए चेहरे कौन होंगे जो बनेंगे मंत्री? बोले PCA,`आंदोलनकारी रहा हूँ,इसलिए पहाड़ विरोधी के आरोप से आहत हूँ’:BJP High Command में पकड़ रखने के बावजूद कुर्सी जाना `PSD’ की बढ़ती ताकत की झलक

Chetan Gurung
हफ्तों से सुर्खियों में घिरे वित्त तथा संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने आखिर जनाक्रोश तथा दबाव के बाद आलाकमान की हिदायत मिलते ही आज सुबुकते और हिचकियाँ भरते हुए रुँधे गले के साथ अपने सरकारी आवास पर Press Conference बुला के इस्तीफे का ऐलान कर दिया और हाथों-हाथ मुख्यमंत्री को कुछ देर बाद ही उनके आवास पर लॉन में बैठ के इस्तीफा सौंप भी दिया। पहाड़ विरोधी मानसिकता का ठप्पा लगने और पहाड़ से मैदान तक लोगों का आक्रोश लगातार फैलने के बाद ये तय सा ही लग रहा था कि PCA का इस्तीफा या मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी कभी भी मुमकिन है। हकीकत ये है कि प्रेमचंद लंबे समय से विवादों में अलग-अलग कारणों से थे और देखा जाए तो उन्होंने लंबी पारी फिर भी खेल डाली। इसके साथ ही पुष्कर Cabinet में बदलाव का फाटक खुल गया है और कम से कम 3 चेहरों से मंत्री का ओहदा छिनने की तलवार लटकी हुई है। वे कब तक अपनी पारी खेल पाते हैं, इस पर निगाहें टिकी हुई हैं। इसके साथ ही उन MLAs की भी उम्मीदें अचानक परवाज़ भरने लगी हैं, जो मंत्री बनने की तमन्ना रखते हैं और बेहद व्याकुल हैं।
CM पुष्कर सिंह धामी को उनके आवास पर अपना इस्तीफा सौंपते मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल
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CM Pushkar Singh Dhami with PM Narendra Modi in Dehradun (File Photo):मंत्री प्रेमचंद पर फैसले की Script इसी दिन लिख दी गई थी!
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होली के बाद 2 दिन तक ही प्रेमचंद अपनी सियासी पारी को खींच पाए। उनके मंत्री का रंग उतारने में आला कमान और CM ने कतई वक्त नहीं लिया। विधानसभा के Budget Session में बहस के दौरान जब तैश में उनके मुख से असंसदीय और पहाड़ को उबालने वाला शब्द निकाल गया था। इसके बाद वह तो लोगों के निशाने पर आए ही, उनसे जुड़े मसले पर टिप्पणी और रुख के चलते विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी और BJP के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट पर भी लोग टूटने लगे थे। हालांकि, ऋतु और महेंद्र को ले के लोगों की नाराजगी का स्तर प्रेमचंद सरीखा नहीं था। प्रेमचंद की BJP High Command में मजबूत पैठ थी। इसके बावजूद उनका इस्तीफा मुख्यमंत्री की बढ़ती ताकत की झलक दिखा गया। पुष्कर न चाहते तो PCA शायद अभी और लंबा चलते। आगे कुछ वक्त बाद क्या होता, ये भी पता नहीं चलता।
प्रेमचंद आज कुछ बड़ा कदम उठाने वाले हैं,इसका अंदेशा लोगों को सुबह ही लगने लगा था। वह आज मुजफ्फरनगर में रामपुर तिराहा स्थित उत्तराखंड आंदोलनकारी शहीद स्थल गए। वहाँ शहीद आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की और सिर झुकाया। वह यमुना कॉलोनी स्थित आवास पर लौटे और वहीं पत्रकारों को बुला के इस्तीफे का ऐलान कर दिया। उनका गला भर आया था। आसमान की तरफ सिर्फ कर के आँसू छलकी आँखों से उन्होंने कहा कि ये फैसला वह बहुत आहत भाव से कर रहे हैं। वह खुद आंदोलनकारी रहे हैं और कई कठिन और खतरनाक पलों में वह आंदोलन का हिस्सा रहे। उन पर पहाड़ विरोधी होने का आरोप बिलकुल भी सही नहीं है। वह यहीं की माटी में पले-बढ़े और यहीं उनकी जन्म तथा कर्मभूमि है।
प्रेमचंद मंत्रिमंडल में कितने लंबे समय तक बने रहते हैं, ये काफी हद तक सिर्फ CM और आला कमान पर ही निर्भर था। ये बड़ी बात है कि PSD ने प्रेम को ले के सख्त और पहाड़ तथा पहाड़ी मूल के लोगों को शांत करने की खातिर इस कदर बड़ा फैसला लेने में हिचक नहीं दिखाई। आम तौर पर पुष्कर जल्दी से बदलाव में यकीन नहीं करते हैं। वह चाहते तो अब तक कम से कम 5 मंत्रियों की छुट्टी हो चुकी होती। PSD मंत्रियों को बदलने से अधिक सरकार में स्थिरता का संदेश देने की खातिर उनसे काम लेने में अधिक यकीन रखते हैं। अब जब मंत्रिमंडल में 5 कुर्सी खाली हो गई हैं और 2 साल का कार्यकाल सरकार के पास है, तो PSD ये कोशिश कर सकते हैं कि अब न सिर्फ अपने Cabinet को ताजी सूरत दे के उबाऊ और बासीपन को खत्म कर दिया जाए बल्कि नई ऊर्जा से सज्जित चेहरों को मंत्री बना के सरकार को नई रफ्तार और नए Vision के साथ चलाते हुए Mission-2027 (Assembly Election) को फतह किया जाए।
समझा जा रहा है कि PM नरेंद्र मोदी अभी जब उत्तरकाशी आए और अपने साथ CM पुष्कर को भी दिल्ली ले गए तभी प्रेमचंद की तकदीर पर फैसला हो गया था। बस इसके लिए होली तक का वक्त मुकर्रर किया गया था। ये भी माना जा रहा कि जिन भी अन्य चेहरों पर वाकई फैसला होना है, उन पर भी प्रथम दृष्टया फैसला मंत्रिमंडल में बने रहने देने और बाहर करने तथा उनकी जगह नए चेहरों पर भी काफी हद तक मंथन हो चुका है। ताजा सियासी सूरतेहाल ये नजर आती है कि CM के सामने अधिक महत्वाकांक्षी तथा विवादों से गलबहियाँ करने में सिद्धहस्त कुछ मंत्रियों को हटा के नए और विश्वासपात्र-वफादार MLAs को Cabinet में शामिल करने को ले के कोई संकट नहीं है।
सियासी समीक्षकों और जानकारों की माने तो उनको अच्छी तरह मालूम है कि किनकी जगह पर किन को लाया जा सकता है। प्रेमचंद ने तो इस्तीफा दे के कई हफ्तों से चले आ रहे तनाव तथा दबाव से खुद को Finally फारिग कर लिया लेकिन बचे मंत्रियों की दिलों की धड़कन और BP बहुत ज्यादा बढ़ा डाला है। जो मंत्री बनने की ख़्वाहिशों का समंदर पाले हुए हैं, उनकी व्याकुलता और दौड़-धूप को भी Top Gear में डाल दिया है। अब आने वाले कुछ दिन राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद रोमांचक और कठिनतम पहेलीनुमा हो सकते हैं।