
Chetan Gurung
देहरादून-हरिद्वार समेत तमाम शहरों में चल रहे 38वें National Games में अपने चमकदार और अप्रत्याशित प्रदर्शन से उत्तराखंड पूरे देश के खेल जगत को हैरान कर रहा है। वह खेलों की दुनिया में राष्ट्रीय Super Power पंजाब-अपने बड़े भाई UP और देश की राजधानी दिल्ली को कहीं पीछे छोड़ Medal Tally में 6th Position पर काबिज हो चुका है। देवभूमि के खिलाड़ियों का जोश देखते ही बन रहा है। उनके ऐतिहासिक धूम-धड़ाके से लोग अचंभित हैं। हाल ही में पहले Local Bodies फिर दिल्ली Assembly Elections में भी खुद को सियासी तौर पर पारस (जो छू ले तो पत्थर भी सोना बन जाए) साबित करने के बाद National Olympics समझे जाने वाले National Games में देवभूमि के अद्भुत-शानदार प्रदर्शन-खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाने और प्रेरित करने के लिए सिर्फ CM पुष्कर सिंह धामी की चौमुखी भूमिका को समझना जरूरी है जो खिलाड़ियों से उनका सर्वश्रेष्ठ निकलवाने के लिए अकेले जिम्मेदार हैं। बेशक Uttaranchal Olympic Association कंधे से कंधा मिला के उनका साथ दे रहा। ताजा सूरते हाल ये है कि Overall पदक तालिका में उत्तराखंड दूसरे स्थान पर काबिज कर्नाटक से भी 4 पदक आगे चल रहा है।
राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखंड का Best प्रदर्शन साल-2002 में हैदराबाद में अधिकतम 5 Gold Medal रहा था, जब उसका नाम उत्तरांचल हुआ करता था। ये सभी स्वर्ण पदक पिस्तौल निशानेबाज जसपाल राणा ने जीते थे। पिछले साल गोवा और उससे एक साल पहले गुजरात राष्ट्रीय खेलों में राज्य का प्रदर्शन किसी भी नजरिए से सम्मानजनक या श्रेष्ठ नहीं था। उत्तराखंड को खेलों की ताकत के तौर पर खड़ा करने के लिए इसके बाद युवा मुख्यमंत्री पुष्कर तेजी से आगे आए। उन्होंने सियासी मोर्चे के साथ ही इस मोर्चे पर भी खुद को रात-दिन झोंक डाला। उत्तरांचल ओलिम्पिक संघ को उन्होंने एक किस्म से पूरी छूट दी कि वे खेलों को आगे बढ़ाने के लिए खुल के काम कर सके।
रुद्रपुर का नया नवेला शानदार Shotgun Shooting Range सिर्फ UoA-वहाँ के DM नितिन भदौरिया और खुद CM के सचिव शैलेश बगौली की कोशिशों का नतीजा है। ये Event रद्द होने की कगार पर था। मुख्यमंत्री ने अपने आला अफसरों CS राधा रतूड़ी-प्रमुख सचिव रमेश कुमार सुधांशु-सचिव शैलेश बगौली को मोर्चा संभालने के लिए लगाया हुआ है। खेलों के लिए धन संकट न आए इसके लिए Finance Secretary दिलीप जावलकर को खास तौर पर ज़िम्मेदारी सौंपी। किसी ने भी अपनी भूमिका के साथ ना-इंसाफ़ी नहीं की। सच तो ये है कि मुख्यमंत्री के आदेशों को परवान चढ़ाने में सभी ने खेल महकमे के Special Principal Secretary और Cool Mind Director जोड़ी अमित सिन्हा-प्रशांत आर्य की जोड़ी को कभी हतोत्साहित नहीं होने दिया। खेल मंत्री रेखा आर्य भी खिलाड़ियों के मध्य हर पल नजर आती रहीं। उनको हर हाल-मैदान में देखा जा रहा।
किसी ने सोचा नहीं था कि उत्तराखंड ऐसा जबर्दस्त और ऐतिहासिक प्रदर्शन इन खेलों में कर के चौंका डालेगा। अभी 5 दिन बचे हैं और वह पदक तालिका में Top-6 पर है। एथलेटिक्स-कयाकिंग-कैनोइंग में वह प्रमुख ताकत न भी हो तो Gold का मजबूत दावेदार है। तय है कि देवभूमि अभी और कई स्वर्ण और अन्य पदक जीतने जा रहा है। ये सब कैसे हो रहा? जब लोगों और ज्यादा दूर न जाए तो 4 महीने पहले तक भी खुद सरकार और उत्तराखंड में ये मानने वालों की कमी नहीं थी कि ये खेल 28 जनवरी-25 से नहीं हो सकेंगे। आगे खिसकना तय है। अवस्थापना सुविधाएं (Stadium-Indoor Hall-Swimming Pool-वेलोड्रम) के अधूरे होने की सुर्खियां थीं। मुख्यमंत्री पुष्कर ने पहले खुद Dates लेने के लिए IoA President PT उषा से मिलने उनके दफ्तर जाने से गुरेज न कर सभी को संदेश दे दिया कि वह इन खेलों के लिए किस कदर गंभीर हैं।
फिर लगातार बैठक-Monitoring कर उत्तरांचल ओलिम्पिक संघ के साथ तालमेल कर इन खेलों को आज इस अंदाज में अंजाम दिया है कि खुद उषा-उनकी IoA Team और दुनिया भर में खेल चुके खिलाड़ी यकीन नहीं कर पा रहे हैं कि National Games इतना बेहतरीन ढंग से भी आयोजित हो सकता है। Uttarakhand National Games अब अन्य राज्यों के लिए Benchmark हो चुका है। ऐसा आयोजन करें या फिर इससे बेहतर करने की कोशिश हों। PSD ने सिर्फ अवस्थापना सुविधाएं ही बेहतर नहीं की। खिलाड़ियों को तैयार करने और माहौल बनाने के लिए Special National Games Coaching Camps आयोजित कर माहौल और उनका Mind Set तैयार किया। देश के श्रेष्ठ और विदेशी प्रशिक्षक तक बुलाए। पैसे की कोई कमी नहीं होने दी।
खिलाड़ियों को Gold Medal पर 12 लाख रूपये का Cash Prize संग सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया। Silver के लिए 8-Bronze के लिए 6 लाख रूपये सरकार दे रही। ये देश में किसी भी राज्य में NG पदक जीतने पर मिलने वाली सबसे बड़ी Prize Money है। Paris Olympic में देश का प्रतिनिधित्व करने गए खिलाड़ियों को 50 लाख रूपये तुरंत दिए। इन सबसे CM पुष्कर ने न सिर्फ खिलाड़ियों में NG के लिए जोश भरा बल्कि यकीन दिला दिया कि वह जो कहते हैं, उस पर अमल में देर नहीं करते हैं। खुद बेहद व्यस्त होने के बावजूद खिलाड़ियों से मिलने-Stadium में पहुँच के उनका उत्साहवर्द्धन करने में दुनी-चौगुनी ताकत लगा रहे। खिलाड़ी भी उनके यकीन पर खरा उतरने के लिए जी-जान लगा रहे।
8 फरवरी-25 का दिन गज़ब का साबित हुआ। एक साथ 6 Gold समेत तकरीबन 10 पदक जीत डाले। एथलेटिक्स में 10 KM की दौड़ में Bronze Medal जीतने वाली उत्तराखंड की सोनिया मारे खुशी के अपने आँसू नहीं रोक पाई। बेहद कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि से आई इस प्रतिभा को इस मुकाम तक पहुँचने की उम्मीद शायद नहीं थी। सरकार की सुविधाओं और उसकी अपनी मेहनत-संकल्प ने इसको साकार कर दिखाया। सियासी कोण तलाशना सियासी लोगों और आलोचकों के लिए आवश्यक है लेकिन हकीकत में पुष्कर सरकार ने जो कारनामा खेलों में कर दिखाया है, वह न सिर्फ दिलचस्प है बल्कि खुद राज्य के खिलाड़ियों और खेल जगत के भी कल्पना के परे है।
इसमें कोई शक नहीं कि आज उत्तराखंड में Sports Culture साफ नजर आ रहा। उत्तराखंड के खिलाड़ियों ने भी प्रमाणित कर डाला कि उनमें प्रतिभा कितनी कूट-कूट के भरी है। यहाँ के लोग अपने खेल प्रेमी होने का सबूत दे रहे। कबड्डी सरीखे देसी खेलों के दौरान हरिद्वार के रोशनाबाद में इतनी भीड़ हो गई थी कि Hall में हजारों लोगों के घुस आने के बाद बाहर खुले में बड़ी Screen लगा के Live दिखाया गया। Hockey मुकाबलों में लोग परिवार और बच्चों के साथ Stadium आ रहे। हल्द्वानी में Wild Card Entry पर खेल रहे उत्तराखंड ने Final तक का सफर तय कर डाला और इतनी Public Stadium में उमड़ी कि Cricket में कई बार One Day और Test मुकाबलों में भी नहीं दिखाई देती। Boxing-वुशु-Modern पेंटाथलन -Badminton में पदक खूब जीते। लक्ष्य सेन का खेल देखने की तमन्ना लिए लोगों को निराश होना पड़ा।
ये हैरानी की बात है कि अब तक 75 लाख रूपये की Prize Money सरकार दे चुकी है लेकिन एक बार भी लक्ष्य ने उत्तराखंड के लिए National Games में प्रतिनिधित्व नहीं किया। गुजरात-Goa और अब घर में भी वह खेलने नहीं उतरा। अगले राष्ट्रीय खेल न जाने कब होंगे और तब तक वह किस स्तर पर खेल रहा होगा, कोई नहीं जानता। ऐसा ही वंदना कटारिया के साथ है। सरकार ने उसके नाम पर रोशनाबाद का Sports Complex रखा है। Cash Award देने खुद मुख्यमंत्री उसके घर हरिद्वार गए। वह भी कभी उत्तराखंड के लिए नहीं खेली। इस बार भी नहीं। PSD सरकार ने पदक विजेताओं को सरकारी नौकरी देने का शासनादेश भी किया है। पुष्कर के कमाल ने खेलों में क्रांति ला दी है, ये कहा जा सकता है। आने वाले सालों में सरकार यूं ही काम और कोशिश करती रहे तो उत्तराखंड International Level पर भी खेलों में छा सकता है।
उत्तराखंड राष्ट्रीय खेलों ने ये भी साबित किया कि सरकार और ओलिम्पिक संघ कदमताल करते हुए चलें तो क्या हो सकता है। उत्तरांचल ओलिम्पिक संघ ने जो रात-दिन एक किया है, उसकी मिसाल भी नहीं मिलती है। किसी भी राज्य में इतना सक्रिय-प्रभावशाली और जुनूनी ओलिम्पिक संघ देखा जाना मुमकिन नहीं। सरकार और संघ में गज़ब के समन्वय ने उत्तराखंड को खेलों में तकरीबन शिखर पर पहुंचा डाला है। संघ के महासचिव डॉ DK सिंह इसके लिए CM पुष्कर को श्रेय देते हुए कहते हैं कि किसी भी राज्य को ऐसा जबर्दस्त खेलप्रेमी मुख्यमंत्री मिले तो उसका खेलों की दुनिया में ऊपर तेजी से चढ़ना लाजिमी है। ये उनका ही कमाल है कि आज देवभूमि को खेल भूमि का दर्जा इस कदर तेजी से मिला है। राज्य की खुशकिस्मती है कि खेल मंत्री रेखा हो या फिर सचिव और निदेशक की टीम, रात-दिन एक कर के मुख्यमंत्री के सपनों को साकार करने में रात-दिन एक कर डाला है। ये अभी आगाज है। आंजाम और बेहतर होगा।
38वें National Games के भव्य उद्घाटन को देखने वालों की आँखें चौंधिया गई थीं। ऐसा उन्होंने ख्वाबों में भी नहीं सोचा था। खुद PM नरेंद्र मोदी को शायद यकीन नहीं आ रहा था। अरसे बाद उनके भाषण में फिर वही ओज और जोश नजर आया था। खूबसूरत वादियों और शहर में खिलाड़ी खोए-बेहद उत्साहित-खुश नजर आ रहे। एथलेटिक Stadium देख के केरल-तमिलनाडु के खिलाड़ी बेहद खुश दिखे। युद्ध स्तर पर तैयार Stadium की खूबसूरती और सुविधाएं देख के वे उत्साहित हैं। Robot के जरिये एथलेटिक्स में मेडल देने और सामान लाने-ले जाने के नए तरीकों को Introduce किया गया है। इसने भी दर्शकों और एथलीटों में रोमांच भरा है। उम्मीद है कि पुष्कर सरकार खेलों की दुनिया में खिलाड़ियों के तौर पर अभी और खरा सोना तैयार करेगी।