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सालम क्रांति के नायकों नरसिंह-टीका सिंह को देश सदा याद रखेगा-CM पुष्कर:दोनों के शहीद स्मारक के सौन्दर्यीकरण के लिए 50 लाख का ऐलान

शहीद दुर्गा मल्ल की देशभक्ति-हिम्मत को याद कर श्रद्धांजलि

Chetan Gurung
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को अल्मोड़ा में जैंती के धामदेव में सालम क्रांति दिवस पर शहीद नर सिंह एवं टीका सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि दोनों ने देश की आजादी की खातिर British सल्तनत से लड़ते हुए 25 अगस्त 1942 को प्राणोत्सर्ग कर इतिहास में अपना नाम अमिट कर दिया था.उनकी बरसी पर हर साल धामदेव में सालम क्रांति दिवस मनाया जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सालम क्रांति का देश में विशेष महत्व है। टीका सिंह धामदेव का नाम उन गिने-चुने स्थानीय नायकों में आता है जिन्होंने अपने साहस और बलिदान से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय गोपाल नाथ की पत्नी सरोली देवी को शॉल ओढ़ा के सम्मानित किया।


CM ने सालम शहीद स्मारक के विकास एवं सौंदर्यीकरण के लिए 50 लाख रूपये की घोषणा की. मोरनौल जैंती से चौकुना दन्योला मोटर मार्ग का नाम शहीद स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नरसिंह धानक के नाम पर करने तथा उनकी स्मृति में उनके पैतृक गांव में स्मारक बनाये जाने की घोषणा की। सालम शहीद स्मारक स्थल का पर्यटन विभाग एवं संस्कृति विभाग से मास्टर प्लान बनाकर विकसित करने का वादा भी किया.
PSD ने ने कहा कि हमारे शहीदों के सपनों के अनुरूप विकसित भारत बनाने का संकल्प प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिया है। आज देश के सैनिकों एवं भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए अनेक कार्य किए जा रहे हैं। शहीद स्मारकों का निर्माण किया जा रहा जागेश्वर के विधायक मोहन सिंह मेहरा ने भी वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर जिलाधिकारी विनीत तोमर, एसएसपी देवेंद्र पींचा, मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा कोंडे भी मौजूद थे.

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—अंग्रेजों से माफ़ी मांगने के बजाए फांसी चुनने वाले शहीद दुर्गा मल्ल को श्रद्धांजलि–

डाकरा कैंट में ब्रिटिश हुकूमत के जान के बदले के माफ़ी मांगने की पेशकश ठुकरा के दिल्ली के लाल किले में फांसी के फंदे को चूमने वाले डोईवाला (देहरादून) के शहीद दुर्गा मल्ल को श्रद्धांजलि अर्पित की गई.इस मौके पर देश भक्ति से ओतप्रोत प्रस्तुतियां पेश की गईं.मंत्री गणेश जोशी ने दुर्गा मल्ल की तस्वीर पर फूल अर्पित कर उनको नमन कर उनकी शहादत को महान करार दिया.

पहले बरतानवी सेना की तरफ से दूसरे विश्व युद्ध में लड़ते हुए आजाद हिन्द फ़ौज के कब्जे में आए दुर्गा मल्ल सुभाष चन्द्र बोस को सुन के ब्रिटिश सरकार के खिलाफ INA की तरफ से युद्ध में उतरे.ब्रिटिश सेना ने युद्ध बंदी बनाने के दौरान उनके आगे माफ़ी मांग के उसकी तरफ से लड़ने या फिर मौत की सजा को चुनने का प्रस्ताव रखा.दुर्गा ने देश की आजादी को सर्वोच्च बताया और हँसते हुए आज ही के दिन (25 अगत-1944) फांसी के फंदे को चूम लिया.वह गोरखा मिलिटरी स्कूल के छात्र थे.1913 में उनका जन्म हुआ था.उनके पिता नायब सूबेदार गंगा राम मल्ल क्षेत्री भी सेना में थे.

दुर्गा मल्ल पार्क में उनके 80वें श्रद्धांजलि दिवस का आयोजन उत्तराखंड राज्य नेपाली भाषा समिति ने किया.समिति के अध्यक्ष मधुसूदन शर्मा-प्रभा शाह-गोरखाली सुधार सभा के अध्यक्ष पदम थापा-श्याम राणा-OP गुरुंग भी इस मौके पर उपस्थित थे.समाज सेवियों और कारगिल शहीद के परिवार के लोगों को भी इस दौरान सम्मानित किया गया.

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