
Chetan Gurung
Graphic Era विवि समूह के प्रमुख डॉ कमल घनशाला के जन्मदिन पर हर साल देश भर के दिग्गज कवि अपनी रचनाओं के महासागर में श्रोताओं को डुबोए रखते हैं.आज भी नामचीन कवियों ने लोगों को अपनी बेहतरीन कविताओं से बांधे रखा. तालियाँ-सराहना लूटी.प्रख्यात कवि डॉ विष्णु सक्सेना को इस साल के `काव्य गौरव’ सम्मान से अलंकृत किया गया.
मौजूदा सामाजिक और राजनीतिक हालात को कवियों ने अपने ही अंदाज में उठाया.उन पर लोगों को खिलखिलाने और सोचने के लिए विवश किया.Graphic Era डीम्ड यूनिवर्सिटी के Silver Jubilee ऑडी में कवियों को सुनने आए लोगों का समूह इतना बड़ा था कि तिल रखने की भी जगह नहीं थी. Audi के Convention Centre में आयोजित सम्मेलन का की शुरुआत Graphic Era Group of Institutiions के Chairman डॉ कमल घनशाला ने कवियों संग दीप जला के की. डॉ विष्णु सक्सेना ने सरस्वती वंदना के साथ कवि सम्मेलन का आगाज किया।
चिराग जैन ने रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े किस्से रोचक अंदाज में सुना कर श्रोताओं के पेट में हंसा-हंसा के दर्द पैदा कर दिया.उनकी `त्याग दी हर कामना, निष्काम बनने के लिए, तीन पहरों तक तपा दिन, शाम बनने के लिए, घर नगर परिवार ममता प्रेम अपनापन, दुलार, राम ने खोया बहुत “श्रीराम” बनने के लिए…को खूब सराहा गया। चिराग ने मीडिया को निशाना बनाने में कसर नहीं छोड़ी और खूब कटाक्ष अपनी रचना में किए. उन्होंने `एक रात एक न्यूज़ चैनल स्पीड की सारी हदें पार कर गया, न्यूज एंकर ने मेरे टीवी पर मुझे ही बताया कि मैं मर गया, नेशनल चैनल की न्यूज़ थी, इसलिए संदेह भी नहीं कर सकता था, और मीडिया का इतना सम्मान करता हूँ कि इस ख़बर को सच साबित करने के लिए मैं सचमुच मर सकता था…’ने लोगों के मुख से वाह-वाह निकलने के लिए मजबूर कर डाला।
सम्मेलन का संचालन डॉ प्रवीण शुक्ल ने अपने खास अंदाज में किया.बीच-बीच में वह रोचक टिप्पणियों से श्रोताओं को हंसाने में भी कसर नहीं छोड़ रहे थे। उनकी कविता `सारे दीन, दुखियों के राम साथ-साथ हैं, माता-पिता, गुरु को नवाते रोज माथ हैं, सृष्टि के नियंता और काल के भी पार हैं, राम जी ही दिन और राम जी ही रात हैं, ये कहते चंदा तारे, हमारे राम पधारे, अयोध्या धाम पधारे…’ ने खूब असर छोड़ा।
डॉ विष्णु सक्सेना की कविता -` रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा, एक आई लहर कुछ बचेगा नहीं, तुमने पत्थर का दिल हमको कह तो दिया, पत्थरों पर लिखोगे मिटेगा नहीं.’..को जम के तारीफ मिलीं. उन्होंने श्रोताओं के अनुरोध पर कई कविताएं सुनाईं. डॉ कलीम कैसर ने भी खूब रंग जमाया.उनकी रचना `ये तुम भी देखना व्यभिचारी शासन हार जाएगा, हमारे राम जी से फिर ये रावण हार जायेगा, समर्पण की कोई तुलना नहीं उस प्रेम जोगन के, इसी इक बिंदु पर राधा से मोहन हार जाएगा…’लाजवाब रही।
सुदीप भोला की राम मंदिर पर रचना,` बन गया मंदिर परमानेंट, वहीं बना है जहां लगा था राम लला का टेंट, कारसेवकों ने दिखलाया था अपना टैलेंट, राम लला क़सम निभा दी हमने सौ परसेंट…’वाकई शानदार प्रस्तुति साबित हुई। प्रताप फौजदार ने खूब हंसाया। अपने खास अंदाज में प्रस्तुत उनकी रचनाएं – ` मैंने तरबूज कंधे पर उठाया, अंग्रेज चौंका और फ़रमाया, ये फल नया है ये क्या है, मैंने कहा, हमारा जो भी काम है भरपूर है, अंग्रेज ध्यान से देख, यह हमारे देश का अंगूर है … और वफ़ा ईमान की बातें किताबों में ही मिलती हैं, भरोसा रोज मिलता है भरोसा रोज डसता है, ज़मीं वो अन्न पैदा कर वफ़ा जो खून मे बोले, भगत सिंह जैसे बेटे को वतन अब भी तरसता है’… काफी पसंद की गईं।
ग्राफिक एरा का प्रतिष्ठित काव्य गौरव सम्मान डॉ विष्णु सक्सेना को डॉ कमल घनशाला, ग्राफिक एरा एजुकेशनल सोसायटी की अध्यक्ष लक्ष्मी घनशाला और ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की वाइस चेयरपर्सन राखी घनशाला ने प्रदान किया.उनको सम्मान के तौर पर 1.5 लाख रूपये रुपये का चेक भी सौंपा गया. कवि सम्मेलन में प्रो चांसलर डॉ राकेश कुमार शर्मा, कुलपति डॉ नरपिंदर सिंह, कुलपति डॉ संजय जसोला भी मौजूद रहे।