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The Corner View::CM पुष्कर और 2 साल!हफ्ते से ज्यादा छाए उदास माहौल का खात्मा आज ही हुआ था:तूफानी फैसलों-कानूनों पर अमल से दूसरी पारी में ताबड़तोड़ अंदाज से छाए:BJP में भरी ऊर्जा-जोश

Chetan Gurung

CM के तौर पर पुष्कर सिंह धामी फिर BJP सरकार की कमान संभालेंगे,इसका ऐलान दो साल पहले आज ही के दिन Party आला कमान ने किया था.2 दिन बाद ही शपथ ग्रहण भी हो गया था.सियासी पंडितों-अधिकांश लोगों को तब बेहद हैरानी हुई थी.चुनावी नतीजों के बाद पहली बार खिले-मुस्कुराते चेहरों के साथ PSD ने शपथ ग्रहण के लिए खुद की नई ऊर्जा-आत्मविश्वास बढ़ाने वाली पोशाक तय करने से पहले नए संकल्पों को चुन और ठान लिया था.अपने प्रदर्शन से उन्होंने बिला शक PM नरेंद्र मोदी-HM अमित शाह के साथ ही संघ को भी सुकून पहुँचाया है.घर के ही दगाबाजों के शिकार और पार्टी के लिए अपनी कुर्सी न्यौछावर करने से न चूकने वाले पुष्कर ने दूसरी पारी में एक के बाद एक तमाम तूफानी कानूनों और कदमों को अंजाम देते हुए उनकी उम्मीदों से कई फर्लांग आगे का सफ़र तय कर लिया है.

चम्पावत-लोहियाहेड में CM पुष्कर सिंह धामी ने अपने दूसरी बार मुख्यमंत्री चुने जाने के दिन को लोगों के बीच और मंदिर में पूजा करके गुजारा

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इतना अहम और ऐतिहासिक दिन लेकिन मुख्यमंत्री ने राजधानी में छोटा सा भी औपचारिक जलसा नहीं किया.इसके बजाए लोकसभा चुनावों के साए में चम्पावत-अपने निजी घर गाँव खटीमा के लोहिया हेड (उधम सिंह नगर) में आम लोगों-गाँव वालों और फ़ुटबाल खेल रहे बच्चों के साथ हँसते-खेलते गुजारा.खटीमा के लोग निश्चित तौर पर आज हाथ मल सकते हैं कि वे 5 साल वाले CM की विधानसभा का अंग बनने से रह गए.ये सम्मान चम्पावत ले गया.जहाँ के लोगों ने उप चुनाव में PSD को अपने घर-आंगन में जगह और इज्जत देने के साथ ही अभूतपूर्व Record विजय के साथ फिर MLA बनाया.23 मार्च को पुष्कर ने फिर से शपथ ली थी.दिल तोड़ने वाले चुनावी नतीजे के बाद उनके तथा समर्थकों के चेहरों पर तकरीबन हफ्ते भर घर किए रही उदासी और गुमसुम माहौल ने तब मुस्कुरात्ते-खिलखिलाते चेहरों को जगह देते हुए विदाई ली थी.

Chetan Gurung

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ये चालू हफ्ता निश्चित रूप से पुष्कर को भावुक करने और जिंदगी की सीख को नए सिरे से अपनाने के लिए अहम मोड़ साबित हो सकता है.अपने-परायों में भेद करने के लिए प्रेरित करेगा.ये ही वह हफ्ता है जब वह कार्यवाहक CM थे लेकिन पार्टी के कई सूरमा उनकी गद्दी संभालने के लिए आकाओं के दरबार में कोर्निश करने में जुटे थे.चंद को छोड़ तकरीबन सभी बड़े नौकरशाहों ने नए संभावित सुल्तानों के दर पर माथा टेकना शुरू कर दिया था.उन्होंने भी, जो चुनाव के दौर में कांग्रेस के कुछ दिग्गजों के यहाँ सुबह-शाम या फिर जब मौका मिले तब चोरी-छिपे जी-हुजूरी-चापलूसी के रिकॉर्ड तोड़ने लगातार पहुँचते रहे थे.उनको ये बड़ी उम्मीद थी कि अगली बार सरकार कांग्रेस की होगी.उत्तराखंड का सियासी रिकॉर्ड यही था.पुष्कर न होते तो ये रिकॉर्ड शायद ही टूटता.कई IAS-IPS अफसरों ने वफादारी तो क्या करते लेकिन दगाबाजी जम के की.CM House चुनाव नतीजों के बाद वीरानगी और सूनेपन में घिरा रहता था.उस दौरान ऐसा भी वक्त आया जब वह कार्यवाहक CM के तौर पर कहीं हेलिकॉप्टर से से गए तो आगवानी करने में अफसर प्रोटोकॉल भूल कन्नी तक काट गए थे.

सिर्फ पुराने और संघर्ष भरे दिनों के चंद चेहरे ही तब भी उनके साथ लगातार और डट के दिखे.कुछ नौकरशाहों ने उनका हौसला उन कठिन पलों में भी नैतिक साथ दे के बढ़ाया.वे कौन थे, उनका नाम लेने की जरूरत नहीं.वे आज अहमतरीन कुर्सियों-ओहदों को संभाल रहे हैं.पुष्कर की ये खासियत उनके खास लोग ही जान सकते हैं.जान देने वालों के लिए वह कुछ भी करने से नहीं हिचकते रहे हैं.मैं कुछ ऐसे लोगों को जानता हूँ जो आज बड़ी भूमिका निभा रहे और लोगों की आँखों में खटकते भी हैं.PSD बाखूबी हकीकत से वाकिफ हैं कि किसको ले के लोग क्या राय बनाते हैं.उनके विरोधी कैसी-कैसी चुगली करने की कोशिश करते हैं.इसके बावजूद उन्होंने अपनों का साथ छोड़ना तो दूर उनको खुल के या अनौपचारिक तौर पर करीब रखा है.

पुष्कर में प्रशासनिक खूबियाँ और खासियत शुरू से दिखती रही हैं.जब उत्तराखंड बना ही था और भगत सिंह कोश्यारी को नित्यानन्द स्वामी के मंत्रिपरिषद में बतौर ऊर्जा मंत्री जगह दी गई थी तो पुष्कर उनके PRO के तौर पर बेहद परिपक्व ढंग से काम करते नजर आते थे.यकीन करेंगे कि वह तब महज 22 साल के थे.कोश्यारी CM बने तो वह जबरदस्त OSD के तौर पर उभरे थे.आज BJP युवा मोर्चा के अध्यक्ष या अन्य ओहदेदारों को शायद ही कोई पहचानता हो लेकिन उत्तराखंड के BJYM प्रमुख रहने के दौरान PSD ने उस वक्त की Congress सरकार (ND तिवारी वाली) के खिलाफ एक के बाद एक मसलों-मुद्दों पर हमलावर तेवरों-सियासी हमलों-रैलियों-आयोजनों से आसमान सिर पर उठा रखा था.ये ही वे दिन थे जिससे वह बड़े और भविष्य के युवा सियासी नायक के तौर पर उभरे थे.

बार-बार टिकट कटने के बाद साल-2012 में उनको खटीमा का टिकट मिला और वह पहली बार में ही मोर्चा मारते हुए विधानसभा जा पहुंचे थे.उनको तब सबसे सक्रिय विधायक के तौर पर सचिवालय-विधानसभा-मंत्रियों के घरों-CM के यहाँ देखा जा सकता था.पुष्कर की ये खासियत रही है कि कांग्रेस के भी कई बड़े दिग्गजों से उनके रिश्ते बेहद अच्छे रहे.सियासत से इतर.आज भी कई कांग्रेस नेता उन पर निजी प्रहार करने से कन्नी काटते दिखते हैं.सियासत और रिश्तों को उन्होंने कभी आपस में टकराने नहीं दिया.आम लोगों से घुलने-मिलने से ले के विरोधियों को भी अपना बनाने की उनकी कोशिशें और गुणों को कई बार भारतीय राजनीति के दिग्गजों में शुमार मरहूम ND तिवारी सरीखा और कभी-कभी उनसे भी आगे का बताने से सियासी समीक्षक-लोग नहीं चूकते हैं.

पुष्कर में कठिन हालातों-निराशा भरे माहौल का भी डट के सामना करने का गुण कई बार देखे गए हैं.मैं उन चंद लोगों में खुद को शुमार कर सकता हूँ, जिन्होंने पुष्कर को खांटी जमीनी सियासत की शुरुआत करते हुए आज के हर वक्त चौकस-सभी जगह कभी भी पहुँच जाने वाले Phantom वाली छवि वाले CM के तौर पर देखा है.उनकी प्रतिभा और उन पर मोदी-शाह के बड़े भरोसे को महसूस किया.तब भी जब वह खटीमा में आम चुनाव के दौरान विभीषणी-जयचंदी-मीर जाफरी का शिकार हो गए थे.सभी मानने लगे थे कि उनकी सियासी पारी का अंत आकस्मिक उभार की तरह ही हो गया है.मीडिया में नए CM और अगला मुख्यमंत्री कौन पर स्टोरी चल रही थीं.दावेदारों में जो नाम कहीं नहीं था वह पुष्कर था.

मैंने सिलसिलेवार तब भी कई Story संभावित मुख्यमंत्री पर की तो हर बार पुष्कर नाम को प्रमुखता से उनमें शामिल किया.BJP के ही लोग फोन पर या फिर मिलने पर पूछने या फिर कहने से नहीं छूटते थे कि आप जिनको CM के संभावितों में मजबूत दावेदार बता रहे, वह तो चुनाव हार के बैठे हैं.भला वह मुख्यमंत्री कैसे बन सकते हैं!CM के नाम का ऐलान हुआ तो उनको जवाब मिला और मुझे अपनी स्टोरी के सही होने की ख़ुशी.एक पत्रकार और राजनेता के बीच रिश्ते नहीं हो सकते हैं.ऐसा माना जाता है लेकिन दोनों ही अपनी भूमिकाओं को भुला दें तो ये ना-मुमकिन नहीं है.

पुष्कर ने आला कमान और संघ की उम्मीदों से कहीं आगे जा के नतीजे दिए हैं.बड़े और चौंकाने वाले फैसले करने में वह अपने सियासी प्रेरणास्रोत मोदी के बड़े शिष्य के तौर पर उभरे हैं. युवाओं को नौकरियों के इम्तिहान में बार-बार पेपर लीक होने की पीड़ा-क्रोध-रोष से उन्होंने देश के सबसे कड़े नक़ल विरोधी कानून के जरिये मुक्ति दिलाई.धर्मांतरण कानून-Land जिहाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई से संघ को खुश किया है.हर धर्म की महिलाओं को पुरुषों के समान हक़ दिलाने वाला समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने का दम वही दिखा सकते थे.पुष्कर और उत्तराखंड के लिए इससे बड़ा सम्मान नहीं हो सकता है कि नक़ल कानून-UCC को केंद्र सरकार भी अपना रही है.और भी तमाम बड़े फैसले और कानून पुष्कर सरकार ले आई है.

सरकारी नौकरियों के लिए तरस रहे युवाओं के लिए पुष्कर राज में भर्ती के फाटक खुले और लोकसभा चुनाव घोषित होने तक रोज ही हर विभाग के Joining Letters खूब बंटे.उत्तराखंड आन्दोलनकारियों-महिलाओं को नौकरियों में आरक्षण और बड़े खिलाड़ियों को Out of Turn नौकरियां देने के साथ ही कई बड़े लुभावने और राजनीतिक तौर पर फायदा देने वाले कदम भी उठे.मोदी-शाह की टीम के सबसे भरोसेमंद और BJP की Second Line के शीर्ष चेहरों में PSD को आज बिना किसी टक्कर के देखा जा रहा है.मोदी-शाह से  जितनी आसानी के साथ और लंबा वक्त उनको मिलता है, उतना अन्य किसी भी BJP सरकार के CM शायद ही मिलता है.

अच्छी बात है कि कई पूर्ववर्तियों से अलग वह जमीन से जुड़े हुए हैं.विवादों से कोसों परे रहते हैं.जुबान से एक लफ्ज ऐसा नहीं निकलने देते जो खुद के और पार्टी-सरकार के लिए आफत बन जाए.CM आवास-CMO से बाहर निकलने और लोगों से मिलने से बचने वाले कई पूर्व मुख्यमंत्रियों ने जो भुगता, उससे पुष्कर ने या तो सबक सीखा है या फिर वह सब उनकी फितरत से मीलों दूर हैं.समारोह और आयोजनों के दौरान उनका बुजुर्गों के सामने समर्पित हो जाना-माँ के हाथों में समाए नन्हें बच्चों को स्नेहपूर्वक थाम लेना-राह चलते-चलते ठेली पर चाय-मकई-मट्ठी का स्वाद ले के हैरान करना उनको माटी का मानुष बनाता है.उनको सियासत में लम्बी पारी खेलने और ऊंची उड़ान वाला माना जा रहा है.CM के तौर पर पहली पारी के बाद दूसरी पारी के भी दो साल पूरे होने की बधाई इस युवा मुख्यमंत्री को दी जा सकती है.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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