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CM पुष्कर ने PM मोदी के सामने पेश की UCC Progress Report:4 महीने में 1.5 लाख आवेदन:हर धर्म की महिलाओं-किसी भी किस्म से जन्मे बच्चों को संपत्ति में बराबर हक:हलाला-इद्दत-बहू विवाह-बाल विवाह-3 तलाक को अलविदा

किसी भी धर्म की मूल मान्यता-परंपरा से छेड़छाड़ नहीं-PSD:PM-HM अमित शाह का आभार जताया

Chetan Gurung

CM पुष्कर सिंह धामी ने PM नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में UCC (समान नागरिक संहिता) पर मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड में लागू समान नागरिक संहिता पर Presentation के दौरान बताया कि उत्तराखंड सरकार को सिर्फ 4 महीने में ही इस कानून के अंतर्गत 1.5 लाख आवेदन मिले हैं। प्रक्रिया को अधिक सुलभ और सहज बनाने के लिए Portal और Dedicated Mobile App  विकसित किया गया है। ग्राम स्तर पर 14,000 से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर्स (CSC) को इससे जोड़ा गया है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि रजिस्ट्रेशन के दौरान होने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए ऑटो एस्केलेशन और ग्रीवेंस रिड्रेसल सिस्टम भी लागू किया गया है। Digital और भौतिक नेटवर्किंग के चलते चार महीने में ही राज्य भर से लगभग डेढ़ लाख से अधिक आवेदन UCC में प्राप्त हुए हैं। जो लगभग 98 प्रतिशत गांवों से हैं। अवाम का इसको जम के समर्थन मिल रहा है।

CM पुष्कर ने UCC को लागू करने में मार्गदर्शन और सहयोग के लिए प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का आभार जताया और कहा कि  प्रधानमंत्री के नेतृत्व और मार्गदर्शन में साल-2022 के विधानसभा चुनाव में अपने दृष्टिपत्र के माध्यम से राज्य की लोगों को जनादेश मिलने पर UCC को उत्तराखंड में लागू करने का वादा किया गया था। सभी राजनीतिक दलों और विभिन्न वैधानिक आयोगों के प्रमुखों से भी इसको लागू करने से पहले बातचीत की गई थी।

27 जनवरी, 2025 को समान नागरिक संहिता विधिवत रूप से लागू कर दी गई। उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना, जिसने संविधान के अनुच्छेद-44 की भावना को मूर्त रूप देते हुए समान नागरिक संहिता को व्यवहारिक धरातल पर लागू किया। ये कानून जाति, धर्म, लिंग में अन्तर के आधार पर कानूनी मामलों में होने वाले भेदभाव को खत्म करने का एक संविधानिक उपाय है। इसके जरिये सभी नागरिकों को समान अधिकार देने का प्रयास किया गया है। इसके लागू होने से प्रदेश में सच्चे अर्थों में महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित हो सकेगा। हलाला, इद्दत, बहुविवाह, बाल विवाह, 3 तलाक सरीखी कुप्रथाओं पर पूर्णतः रोक लगाई जा सकेगी।

PSD ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-342 के अंतर्गत वर्णित अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता से बाहर रखा है। इससे उन जनजातियों का और उनके रीति रिवाजों का संरक्षण किया जा सकेगा। UCC किसी धर्म या पंथ के खिलाफ नहीं है। ये समाज की कुप्रथाओं को मिटाकर सभी नागरिकों में समानता से समरसता स्थापित करने का एक कानूनी प्रयास है। किसी भी धर्म की मूल मान्यताओं और प्रथाओं को इसमें नहीं बदला गया है। इसके अंतर्गत सभी धर्मों के नागरिकों के लिए विवाह, तलाक और उत्तराधिकार से संबंधित मामलों में एक समान विधिक प्रक्रिया निर्धारित की गई है। अब पति-पत्नी को विवाह विच्छेद के लिए निर्धारित न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य होगा। बहुविवाह की प्रथा पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इन कानूनों के अंतर्गत सभी धर्म और समुदायों में बेटी को भी संपत्ति में समान अधिकार प्रदान किए गए हैं। इसके साथ ही, संपत्ति के अधिकार में बच्चों में किसी भी प्रकार का भेद नहीं किया गया है। प्राकृतिक संबंधों के आधार पर, सहायक विधियों के जरिये या Live-In संबंधों से जन्मे बच्चों का भी संपत्ति में बराबर अधिकार माना जाएगा। UCC के अंतर्गत बच्चों की संपत्ति में माता-पिता को भी अधिकार प्रदान किया गया है। ऐसा बुजुर्गों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया गया है। लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण को अनिवार्य किया गया है। पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार उनके माता-पिता या अभिभावक को देगा। ये जानकारी गोपनीय रखी जाएंगी। जन्म एवं मृत्यु के पंजीकरण की भांति विवाह और विवाह-विच्छेद दोनों का पंजीकरण भी किया जा सकेगा।

 

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