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BJP:सिद्धार्थ अग्रवाल पर नेतृत्व का यकीन बरकरार:यक्ष प्रश्न खड़ा कि सूबे की बागडोर फिर महेंद्र के जिम्मे या फिर नया चेहरा!CM पुष्कर के झोले में कम से कम भी भरोसेमंद चेहरे

निशंक-तीरथ-बृजभूषण-दीप्ति भी भट्ट के साथ State BJP Chief के प्रमुख दावेदारों में शुमार

Chetan Gurung

BJP ने देहरादून महानगर में अध्यक्ष की कमान फिर युवा सिद्धार्थ अग्रवाल को सौंप के कयासों के मुताबिक ही कदम उठाया। बाकी जिलों में भी अध्यक्षों का ऐलान कर उनको होली का तोहफा दिया। सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न अब तन के खड़ा है कि सूबे की कमान किसके हाथों जाएगी! मौजूदा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की फिर से ताजपोशी की जाएगी या कोई घिसा और अनुभवी चेहरा लाया जाएगा। जो भी आएगा, ये तय है कि CM पुष्कर सिंह धामी की OK का उसके पास होना अवश्यंभावी होगा।

प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर ताजपोशी उसी की होगी, जिसको PM नरेंद्र मोदी के बेहद प्रिय और कसौटी पर खरे उतरे CM पुष्कर सिंह धामी Green Signal दिखाएंगे॥

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Siddharth Agrawal

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सिद्धार्थ के नाम को ले के शक इसलिए भी पहले से नहीं था कि Party ने महानगर अध्यक्ष के लिए Age Criteria सिर्फ इस युवा चेहरे की खातिर ही बदला था। कभी CM रहे BC खंडूड़ी के खासमखास दिवंगत उमेश अग्रवाल के साहबजादे पार्टी के बड़े नेताओं की आँख के तारे भी हैं। उनको टक्कर इसलिए भी नहीं मिल रही थी कि इस मामले में खुद मुख्यमंत्री पुष्कर ने भी उनके नाम पर किसी किस्म की असहमति नहीं दिखाई।

जिलों के अध्यक्षों के बाद अब माथापच्ची इस पर हो रही है कि प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर फिर से राज्यसभा सदस्य और इन दिनों पहाड़-मैदान के बयानों से घिरे दिख रहे महेंद्र भट्ट एक हाथों फिर से BJP की रास थमाई जाती है। भट्ट सहज और मुख्यमंत्री के भी भरोसेमंद में शुमार किए जाते हैं। पुष्कर फिर उनके नाम पर ही सहमति जतलाते हैं तो फिर कोई चुनौती उनको नहीं मिलेगी। उनके साथ दिक्कत ये भी है कि पार्टी के भीतर एक व्यक्ति-एक पद की बात करने वाले भी काफी हो गए हैं।

भट्ट नहीं तो फिर कौन? पूर्व CM डॉ रमेश पोखरियाल निशंक और तीरथ सिंह रावत कतई बेरोजगार या फिर Cold Store में डाल दिए गए सरीखे हो रहे। दोनों को संगठन का बाखूबी अंदाज है। लिहाजा दोनों में किसी को भी अध्यक्ष बनाया जाना BJP के लिए घाटे का सौदा नहीं हो सकता। MLA खजानदास को भी मजबूत दावेदारों में शुमार किया जा रहा है। इच्छाओं का कुलांचे भरना स्वाभाविक है। ऐसे में माना जा रहा है कि डोईवाला से MLA बृजभूषण गैरोला को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। उनको भी नए चेहरों में दावेदार समझा जा रहा है।

पुरुष छोड़ के BJP अगर महिलाओं का रुख करती है तो! महिलाओं में भी दावेदारों और योग्य नामों की कतार छोटी नहीं है। इसके बावजूद दीप्ति रावत को सियासी समीक्षक और पार्टी के भीतर के भी कई मजबूत नाम BJP के लिए फायदे का सौदा मान रहे हैं। दीप्ति को बेहद सक्रिय-ज़हीन और सुशिक्षित महिला और पार्टी नेताओं में शुमार किया जाता है। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में भी उनकी पैठ बहुत मानी जाती है। सियासत की मंझी खिलाड़ी हैं। Delhi University Student Union (DUSU) की Secretary General रह चुकी हैं। कोई भी धड़ा ऐसा नहीं है, जो उनके खिलाफ बोले।

भट्ट के अलावा दीप्ति हो या फिर निशंक-तीरथ, सभी के रिश्ते मुख्यमंत्री के साथ बहुत अच्छे माने जाते हैं। गैरोला के नाते-रिश्ते भी पूर्व CM और MP त्रिवेन्द्र सिंह रावत के बहुत ही करीबी होने के बावजूद CM के साथ भी बहुत अच्छे हैं। PSD के लिए इनमें से किसी एक नाम के आगे सही का निशान लगाना धर्म संकट से कम नहीं होगा। High Command ने भले आखिरी मुहर लगानी हो लेकिन उसकी मुहर उसी नाम पर लगेगी, जिसके लिफाफे पर PSD के नाम की मुहर लगी होगी।

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