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38th National Games:बड़ी उपलब्धि और इसके अनढंके-ढंके नायक:CM पुष्कर के बगैर ना-मुमकिन थी मेजबानी-आयोजन:जो UP-देश के अन्य राज्य नहीं कर पाए युवा उत्तराखंड ने कर दिखाया

हर खेल के लिए स्थाई Infrastructure:बड़े Tournaments लगातार होने चाहिए:सरकार-Uttaranchal Olympic Association की मेहनत-लगन-संकल्प को न भुलाएँ

The Corner View

Chetan Gurung

PM नरेंद्र मोदी 38वें National Games के आगाज की अद्भुत छटा और अंदाज देख देहरादून के राजीव गांधी International Stadium में बेहद खुश और चकित दिख रहे थे। सच कहूँ तो आह्लादित दिखे। याद नहीं आता कि किस राज्य में किस राज्य में ऐसा समां देश के सबसे बड़े खेल आयोजन की शुरुआत में बंधा था। गुजरात-गोवा में 3 साल के भीतर जो दो NG हुए, वे मैंने देखे थे। वे कहीं नहीं टिकते थे। मोदी के भाषण के दौरान उनकी आवाज में लंबे अरसे बाद ओज और लोगों में जोश का जबर्दस्त संगम दिखा। मोदी ने खुद को खिलाड़ियों का परम मित्र करार दिया। अब आगे के आयोजन के लिए संबन्धित खेल Federations और उसकी तरफ से नियुक्त DoC (Director of Competition) अधिक जिम्मेदार रहेंगे। सरकार को जो करना था बहुत अधिक हद तक कर दिया। अब वह सहयोगी भूमिका में होगी। सौ बात की एक बात। ये खेल बिना CM पुष्कर सिंह धामी के न तो मुमकिन थे न ही ऐसे प्रकाश वर्ष की रफ्तार से चंद महीनों में इसको अंजाम दे दिया जाता। सरकार और Uttaranchal Olympic Association की बेहतरीन जुगलबंदी की ये कामयाब नजीर साबित होने जा रही।

पत्रकार हूँ और पत्रकारिता मेरा पेशा है लेकिन समानान्तर तौर पर खेल मेरा जुनून भी है। इसमें तनाव और मेहनत-दौड़ धूप जितनी भी हो, और लुत्फ आता है। Table Tennis और उत्तरांचल ओलिम्पिक एसोशिएशन का जिम्मेदार ओहदेदार हूँ। पत्रकारिता के चलते NG के आयोजन की अहमियत और इसके पीछे की मेहनत को आसानी से समझता हूँ। बाहर-भीतर की दुनिया को देखता और समझता हूँ। हर शख्स की भूमिका और उसकी मेहनत-क्षमता के भरपूर इस्तेमाल को करीब से देख रहा हूँ। कुछ महीने पहले CM पुष्कर खुद Indian Olympic Association के दफ्तर में टल-लटक रही NG Dates लेने जा रहे थे। ऐसा आज तक कहाँ हुआ है कि कोई मुख्यमंत्री इस कार्य के लिए IoA President से मिलने उनके ही दफ्तर पहुँच जाए। ये खेलों और स्वस्थ युवाओं के प्रति PSD की सोच और गंभीरता को बयां करने के लिए काफी है।

वह जब PT उषा से मिलने जा रहे थे तो मेरी उनसे फोन पर बात हुई थी। मैं हैरान था कि क्या कोई और CM ऐसा करने की सोच भी सकता है! और सुनें। Goa में नवंबर-2023 में National Games के दौरान रात को मुझे फोन आया कि शायद उत्तराखंड के बजाए असम को मेजबानी सौंपने की बात चल रही। PSD तक ये बात पहुंची। रातों-रात उन्होंने सारे दस्तावेज़, जिसमें PM मोदी के पिथौरागढ़ में दिए गए भाषण का वह अंश भी था, जिसमें उत्तराखंड को राष्ट्रीय खेल की मेजबानी पर बधाई थी, तैयार कर IoA के दफ्तर में तत्काल भिजवाया। IoA की अपनी दुनिया और अपनी सियासत होती है। जरा सी असावधानी-लापरवाही और चूक भारी पड़ सकती है।

PSD ने देर रात जानकारी मिलने के बावजूद कमान अपने हाथ में उसी वक्त संभाली थी। आज राष्ट्रीय खेलों का सफलतम उदघाटन देखने का सुनहरा अवसर लोगों को उनके बिना शायद ही देखने को मिलता। मुख्यमंत्री ने NG को किसी भी सूरत में भव्य-बेहतरीन-सफल बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। ये कहने में गुरेज किसी को नहीं होना चाहिए। Games Technical Conduct Committee के हाथों में NG के आयोजन से जुड़े हर बड़े फैसले करने का अधिकार होता है। Infrastructure को तेजी से तैयार करने और विश्व स्तरीय बनाने में अफसरों-इंजीनियरों की फ़ौज झोंकने के साथ ही GTCC को जो सम्मान उत्तराखंड सरकार ने दिया उसकी भी मिसाल पहले कभी नहीं मिली। उनको हेलीकाप्टर मुहैया कराए। 5 सितारा होटलों में ठहराया। State Guest का दर्जा दिया। Police की Pilot गाड़ी साथ रही। उनके साथ Dinner-High Tea करते रहे। अपनी और सरकार की तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी।

इसमें दो राय नहीं कि UoA के Secretary General डॉ DK Singh ने IoA और Federations-DoCs के साथ तालमेल रखा और उनको हर कदम पर पूरा समर्थन देने के लिए Special Principal Secretary अमित सिन्हा-Director (Sports) प्रशांत आर्य की जोड़ी जिंदाबाद रही। मंत्री रेखा आर्य ने खुद को राष्ट्रीय खेल और खेल विभाग को ही समर्पित कर CM पुष्कर को और ताकत दी। Team Uttarakhand में सरकार-UoA का अद्भुत मिश्रण है। ऐसी जोड़ी अन्य राज्यों को शायद ही कभी मिली होगी। राष्ट्रीय खेलों का आयोजन किस कदर चुनौतीपूर्ण और कठिन होता है, इसके लिए सिर्फ 2 मिसाल काफी है। 1-1948 के बाद UP सरीखा विशाल और क्षमता सम्पन्न राज्य भी राष्ट्रीय खेल नहीं करा पाया है। 2-देश के लिए Model समझे जाने वाले गुजरात के अहमदाबाद और गांधीनगर में जो NG हुए थे, उसमें रहने की व्यवस्था लाजवाब थी लेकिन प्रतियोगिता स्थल अधूरे और बेहद अस्थाई-काम चलाऊ थे। Athletics-Squash-Shooting समेत तमाम खेलों के मुक़ाबले बहुत साधारण या फिर मामूली सुविधाओं के साथ आयोजित किए गए थे।

Goa NG तो दुर्दशा-नाकामयाबी की बदतरीन मिसाल थी। जर्मन हैंगर में ही अजीबो-गरीब खेलों के साथ आयोजन हुए थे। उत्तराखंड में हर खेल पक्के और शानदार स्थलों पर आयोजित हो रहे। GTCC का दल जब पहली बार सुनैना कुमारी की अगुवाई में देहरादून आया तो वह यहाँ की बुनियादी सुविधाओं को देख के हैरान हो गए। कमलेश मेहता-प्रशांत कुशवाह और अन्य ने साफ कहा,दुनिया में किसी भी देश में, एक जगह-एक शहर में ऐसी World Class खेल सुविधाएं नहीं हैं। हालिया Paris Olympics में भी नहीं थी। ये सरकार की तारीफ के लिए सुनहरे हरफ कहे जा सकते हैं। GTCC ने भी वाकई सरकार और UoA का भरपूर साथ-सहयोग दिया है। इसमें शक-शुबहा नहीं। खेल और युवा कल्याण महकमे के छोटे-बड़े अफसरों-कर्मचारियों की रात-दिन की मेहनत को भी सलाम करना चाहिए। जो कच्चे-पक्के भी हैं, उनको भी। जो न त्यौहार न छुट्टियाँ देख रहे। सिर्फ NG को सफल बनाने में बेहद शिद्दत से जुटे हैं। UoA वालों ने तो एक किस्म से घर-बार-कारोबार-धंधा ही त्याग डाला है।

बस अब 2 पहलुओं पर गौर करना होगा। शानदार Indoor Hall-Grounds का रख रखाव और खिलाड़ियों को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों में अधिक से अधिक Medal जीतने के प्रोत्साहित करते रहना और बड़े आयोजनों के लिए खेल संघों को प्रेरित कर उनको पैसे की इमदाद देते रहना। यकीन मानिए 5 साल लगेंगे सिर्फ। यही अंदाज सरकार का रहा तो। उत्तराखंड को खेलों में देश की शक्ति बनने में। चंद हरफ उनके लिए भी, जिनकी इस आयोजन का बीज डालने में अहम भूमिका रही। साल-2014 की सुबह थी। तब राजीव मेहता IoA के बेहद प्रभावशाली Secretary General थे। एक दिन मुझको उनका फोन आया कि मेरे रहते उत्तराखंड को National Games की मेजबानी लेने का शानदार अवसर है। मेरे हाथ में है। मैंने सरकार में बेहद रसूख रखने वाले मित्र शक्तिशाली नौकरशाह राकेश शर्मा से राजीव के प्रस्ताव का जिक्र किया। उन्होंने तुरंत मुख्यमंत्री हरीश रावत से बात की। बातों को रखने का जो हुनर राकेश शर्मा के पास था और है, वह न पहले न उनके बाद किसी नौकरशाह में आज तक दिखा है। हरीश जी बेहद प्रभावित दिखे। उनको लगा शायद एक-दो साल में ही खेल उनके कार्यकाल में हो जाएंगे। जो भी हो। फैसला हो गया। 38वां National Games उत्तराखंड में होगा।

उस पौधे को CM PSD ने आज बेहद मेहनत से खाद-पानी दे के वट वृक्ष बना के पेश कर दिया। ये दम भी सिर्फ उनमें ही था। फिलहाल आप खेलों का लुत्फ लें और खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाएँ। देश और दुनिया में शीर्ष दर्जा रखने वाले एथलीट फिर कभी एक साथ अपने शहर में एक साथ शायद ही देख पाएंगे। एक बात और। खेल प्रेमियों के शहर और राज्य में NG Opening Ceremony का जुनून इस कदर था कि पुलिस ने फाटक बंद न किए होते तो Stadium में प्रवेश के लिए तकरीबन 5-8 हजार लोग सड़कों पर बाहर खड़े थे। कई खिलाड़ी भी। जिनको March Past में शिरकत करनी थी। पुलिस ने शायद PM के फेर में कुछ अधिक सख्ती कर दी थी। IPS श्वेता चौबे और IAS प्रशांत आर्य ने निजी तौर पर काफी हद तक हालात को काबू किया। जो दर्शक Entry नहीं कर और PM को रूबरू नहीं देख पाए उनके चेहरों की मायूसी देखी जा सकती थी। इतने बड़े आयोजनों में कुछ छोटी-मोटी खामियों को नजर अंदाज किया जा सकता है। सीख ली जा सकती है।

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