
Chetan Gurung
BJP की प्रदेश चुनाव समिति ने आज CM पुष्कर सिंह धामी की राय लेने के बाद Local Bodies प्रमुखों के टिकट अपनी तरफ से फाइनल कर दिए। Mayor के टिकट पर आखिरी मुहर केंद्रीय आला कमान लेगा। माना जा रहा है कि शुक्रवार को नामों का ऐलान हो सकता है। राजधानी में महापौर कौन होगा, इसको ले के कयासों का समुद्र मंथन लगातार हो रहा।ये बात दीगर है कि निकल कुछ नहीं रहा।
चुनाव समिति की बैठक में निकाय चुनाव प्रत्याशियों के पैनल को विचार विमर्श के बाद तैयार कर लिया गया। बैठक मे नगरपालिका, नगर पंचायत के नामों पर मुहर लगा दी गई। निगम महापौर के नामों का पैनल केंद्रीय नेतृत्व को भेज दिया गया। बेहद व्यस्त होने के बावजूद मुख्यमंत्री पुष्कर भी इस बैठक से VC के जरिये जुड़े। उन्होंने अपनी अहम राय रखी।
इसमें दो राय नहीं है कि टिकटों को तय करने में केन्द्रीय नेतृत्व CM की राय को ही तरजीह देगा। Panel में नाम भी उनकी ही सलाह पर शामिल किए गए हैं। प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने बताया कि बैठक में पार्टी प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम, सह प्रभारी रेखा वर्मा, प्रदेश BJP अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत, विजय बहुगुणा, तीरथ सिंह रावत प्रमुख तौर पर शामिल हुए।
बैठक में गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी, नैनीताल सांसद अजय भट्ट, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार, प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी, खिलेंद्र चौधरी, मंत्री धन सिंह रावत, प्रदेश उपाध्यक्ष कुलदीप कुमार महिला मोर्चा अध्यक्ष आशा नौटियाल भी मौजूद रहीं।
अंदरखाने की खबर पर यकीन किया जाए तो देहरादून नगर निगम के Mayor के टिकट पर घमासान हो रहा। पहाड़ी मूल बनाम वैश्य की लड़ाई में बाजी किसके हाथ रहेगी, इसका दावा करने की सूरत में कोई नहीं दिखता है। पहाड़ी दावेदारों पूर्व Mayor सुनील उनियाल गामा के साथ ही युवा सौरभ थपलियाल और धीरेन्द्र पँवार इस बार दावेदारों के प्रमुख चेहरों में शुमार हैं।
उनकी भीषण टक्कर युवा और BJP महानगर अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल-विशाल गुप्ता-BJP के खुर्राण्ट बेहद अनुभवी चेहरे अनिल गोयल और संघ के बेहद करीब रहे पुनीत मित्तल से हो रही। PSD जिस पर मजबूती से हाथ रख देंगे, उसकी जिंदगी संवर जानी तय है।
कई मेयरों के भविष्य को तय करने वाली समिति के सदस्य त्रिवेन्द्र की CM PSD से कल हुई मुलाक़ात से BJP में जोरदार हलचल है। इस मुलाक़ात के पीछे खास तौर पर देहरादून के मेयर टिकट के लिए गामा की पैरवी को मुख्य समझा जा रहा है। इसके साथ ही हरिद्वार, जहां के वह MP हैं, के मेयरों के प्रत्याशियों के टिकटों पर राय-मशविरा और सिफ़ारिश को देखा जा रहा है।
टिकटों पर फैसले में RSS की भी राय को हमेशा अहम माना जाता रहा है। हालिया सालों में शीर्ष स्तर पर संघ के कमजोर पड़ने के बाद ये गुंजाइश कम ही दिखती है कि उसकी राय को मेयर और अन्य अध्यक्षों की सीट पर टिकट को ले के खास तवज्जो मिल पाएगी। ये हल्ला है कि संघ की कोशिश अपनी पृष्ठभूमि वाले किसी वैश्य को निगम प्रमुख के टिकट पर चुनावी समर में उतारा जाए। इसमें उसको कामयाबी किस हद तक मिलती है, देखना दिलचस्प होगा।