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Cantt Board-नौकरशाहों के पाटों में पिस गया 4 महीने पहले ध्वस्त Dakra Road-पुल:PWD-Disaster Management महकमे का साफ इंकार:DM के पास बड़े Budget से जुड़े वित्तीय अधिकार नहीं:Congress को हमला करने का मिला मौका

दशहारा-दिवाली के बाद भी Local Market चौपट:MH Road Extra Traffic से लोग बेहाल:Police का नामो-निशान नहीं

Chetan Gurung

4 महीने पहले भारी बारिश के चलते शहर को Dakra Cantt से जोड़ने वाला Main Road और पुल ध्वस्त हो गया था। Cantt Board खामोश बैठा रहा।लोग परेशान हुए तो DM के पास गुहार लगाई। DM के पास बड़े वित्तीय अधिकार न होने के बाद इसके पुनर्निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेजा गया। शासन में आपदा प्रबंधन और PWD ने इसमें हाथ डालने से ये कहते हुए साफ इंकार कर दिया कि ये भारत सरकार के क्षेत्र का मामला है। नौकरशाहों ने ज्यादा किताबगिरी दिखा के Congress को इस मामले में मोर्चा संभालने का मौका दे दिया। उसके नेता सूर्यकांत धस्माना ने आज मौके पर लश्कर के साथ पहुँच के System पर हमला बोला। खास पहलू ये है कि ये रास्ता बंद होने से Local Market चौपट हो चुका है। Traffic का भारी बोझ MH Road पर पड़ गया है। गढ़ी कोतवाली-सर्किट हाउस Police का दूर-दूर तक निशान नहीं दिखता है।

इस Road और पुल से पल्ला झाड़ने वाले राज्य सरकार के अफसरों का तर्क है कि आपदा मद से इसका निर्माण नहीं किया जा सकता है।भले ये कुदरती आपदा के कहर का नतीजा हो। भारत सरकार के प्रतिबंधों का वे नाम लेते हैं। दूसरा तर्क उनका ये है कि राज्य सरकार क्यों कर के Cantt Area में पैसा खर्च करे। जब DM सोनिका थी तो उन्होंने तत्काल एक टीम को मौके पर निरीक्षण के लिए भेजा था। फिर उनका तबादला हो गया। सविन बंसल उनकी जगह DM आए तो उन्होंने भी Budget प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा। इसके पुनर्निर्माण में 80 लाख रूपये का खर्च प्रस्तावित है।

इसको आपदा महकमे में भेजा। उसके सचिव विनोद कुमार सुमन ने मना कर दिया कि भारत सरकार ने इस किस्म के निर्माण पर रोक लगाई है। PWD के सचिव डॉ पंकज पांडे का कहना है कि ये Defence Area है। राज्य सरकार क्यों उसकी सड़क बनाएँ? DM के पास इतने अधिकार ही नहीं है कि वह अपने स्तर पर इसका निर्माण कर सके। Cantt Board प्रशासन का आलम ये है कि वह धूनी रमाए बैठा है। उसको न अतिक्रमण-अवैध कब्जों-अवैध निर्माण और अवैध Wedding Points और उसमें चलने वाली Cocktail पार्टियों से वास्ता है न ही CEO की तरफ से कोई कोशिश सरकार के पास गुजारिश कर सड़क बनवाने की की गई।

डाकरा बाजार British Rules के दौरान का है और बहुत पुराना तथा बड़ा है। ये आज की तारीख में ग्राहकों के लिए टकटकी लगाए रहता है। रास्ता बंद होने से अब चाट गली बाजार में बाहर का ग्रहक फटकता ही नहीं। दशहारा और फिर दिवाली भी इसके चलते गुजरे साल के मुक़ाबले फीकी गई। दुकानदारों के मायूस और लटके चेहरे इसकी मिसाल है। रास्ता बंद होने से लोगों को अगर गाड़ी में जाना हो तो 100 मीटर जाने के लिए भी दो KM का चक्कर लगाना पड़ रहा। मुख्य मार्ग बंद होने से MH-Dakra वैकल्पिक मार्ग पर पूरा बोझ पड़ गया है। यहाँ हर वक्त और रोजाना गाड़ियों का रेला-जाम रहता है। छोटे हादसे रोज हो रहे। गाड़ियाँ गिर रही।

इस सबके बावजूद Police का एक भी जवान इस Route पर नजर नहीं आता है। कोतवाल या चौकी Incharge को गश्त करते कभी देखा नहीं जाता। हालात तकदीर के भरोसे छोड़ दिए गए हैं। पुलिस की सुस्ती या लापरवाही ने कानून-व्यवस्था को चौपट किया हुआ है।नशे और अवैध खनन के गोरखधंधे को बढ़ावा दिया हुआ है। ताज्जुब की बात ये है कि खुद Local MLA और मंत्री गणेश जोशी अपने Local कार्यकर्ताओं के साथ ध्वस्त पुल पर पहुँच के लोगों को आश्वासन दे चुके हैं कि इसका निर्माण जल्दी हो जाएगा। काम ढेले भर का शुरू नहीं हुआ है।

राज्य सरकार के अफसरों को मंत्री ये नहीं समझा पाए हैं कि कैंट इलाके की भी ज़िम्मेदारी उत्तराखंड सरकार की है। यहाँ भी हजारों Civilians और Voters रहते हैं। MP-MLA निधि खर्च की जाती है।MDDA भी पैसा लगाता रहा है। साल-2010 में कैंट बोर्ड और Post Office के करीब का पुल ढह गया था। तब भी बोर्ड ने हाथ खड़े कर दिए थे कि पैसा नहीं है। उस वक्त के Chief Secretary सुभाष कुमार ने तब के PWD Secretary उत्पल कुमार सिंह (बाद में CS बने और इन दिनों संसद के Secretary General का ओहदा संभाले हुए हैं) को तत्काल इसका निर्माण करने के निर्देश दिए थे।

बिना किसी अगर-मगर-कायदे और कानून को देखे राज्य सरकार ने इसका निर्माण कार्य अगले दिन से ही Estimate तैयार कर युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया था। जो कायदे आज के नौकरशाह समझा रहे, वह तब भी थे। CM पुष्कर सिंह धामी की मेहनत और लोगों को सरकार और अपनी पार्टी से जोड़े रखने की सारी कसरत नौकरशाह हल्का कर दे रहे लगता है। आज Congress Leader सूर्यकांत धस्माना पार्टी लश्कर के साथ ध्वस्त पुल पर पहुंचे और जाते-जाते सरकार को चेता के गए कि जल्दी निर्माण शुरू न हुआ तो वह आंदोलन छेड़ देंगे। अब श्रेय लेने का मौका Congress को मिल गया है।

 

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