अंतरराष्ट्रीयउत्तराखंडदेशयूथराष्ट्रीयशिक्षा

मंथन::जहरीली आबो-हवा से दुनिया को महफूज रखने की मुहिम:Graphic Era में अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में जुटे दिग्गज वैज्ञानिक-Experts:क्षमता बढ़ाना व कार्बन उत्सर्जन रोकना होगा-डॉ सोमनाथ

Chetan Gurung

दुनिया को जहरीली आबो-हवा से बचाने के लिए Graphic Era विवि में जुटे वैज्ञानिकों-Experts ने कई समाधान सुझाए और शोध की महत्ता पर बल दिया.कार्बन उत्सर्जन को रोकने की भी दरकार जताई.

केंद्र सरकार के अंतरिक्ष विभाग के सचिव व इसरो के अध्यक्ष डॉ S सोमनाथ ने कम्बश्चन की प्रक्रिया से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए व्यापक शोध पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कम्बश्चन की प्रक्रिया ईंधन जलने की प्रक्रिया की तरह होती है.कम्बश्चन में ऑक्सीजन के साथ रिएक्शन होता है.अधिक मात्रा में एनर्जी रिलीज होती है। इससे यहां भी और अंतरिक्ष में भी प्रदूषण होता है।

उन्होंने कहा कि राकेट में 80 प्रतिशत ईंधन होता है. केवल 10 से 20 प्रतिशत स्थान पर इंजन होता है।इसमें इस्तेमाल होने वाला ईंधन एल्यूमिनियम पाउडर से ऑक्साइड के रूप में होता है। ऐसे ही बहुत सारे खतरनाक पदार्थ जिन्हें ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, उनमें हाइड्रो क्लोराइड भी शामिल है। यह बहुत ज्यादा प्रदूषण करता है। रॉकेट इंजन के डिजायन में ऑटोमाइजेशन होना चाहिए।

इसरो के अध्यक्ष ने कहा कि पहले रॉकेट के वापस आने के बाद उसके इंजन दुबारा इस्तेमाल नहीं हो पाते थे.अब इंजीनियरिंग और विज्ञान-खोजों ने इसे संभव बना दिया है। एनर्जी और कम्बश्चन आज शोध के महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इनकी क्षमता बढ़ाने के साथ ही प्रदूषण कम करना शोध के विषय हैं। हमारे पास उपलब्ध ग्रीन फ्यूल- हाइड्रोजन, मेथेनॉल, अमोनिया का बेहतर उपयोग और इनसे जुड़ी चुनौतियों पर भी कार्य किया जाना है।

उन्होंने कहा कि कोयला, लकड़ियां ऊर्जा के अच्छे स्रोत हैं, लेकिन इनसे कार्बन का उत्सर्जन अधिक होता है। इनको गैस के रूप में बदलकर इनका कैसे उपयोग किया जाए कि प्रदूषण न हो, यह भी रिसर्च का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। प्रख्यात मिसाइल वैज्ञानिक, नीति आयोग के सदस्य व ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ VK सारस्वत ने कहा कि बाढ़, भूस्खलन और मौसम में बदलाव का कारण ग्लोबल वार्मिंग है। उत्तराखंड ही नहीं पूरी दुनिया में ऐसी आपदाएं इसी कारण आ रही हैं। कार्बन डाई ऑक्साइड और ग्रीन हाउस गैसों की वजह से यह सब हो रहा है। इसके लिए हम जिम्मेदार हैं।

उन्होंने कहा कि रॉकेट, एयरक्राफ्ट आदि में इस्तेमाल होने वाले आईसी इंजन की कम्बश्चन की प्रक्रिया को कंट्रोल करने पर हमें ध्यान देना चाहिए। मोबेलिटी, इंडस्ट्री, थर्मल पावर प्लांट, कैमिकल्स प्रोसेस और कम्बश्चन प्रोसेस से कैसे कम से कम प्रदूषण हो, इसके लिए सॉल्यूशन कम हैं। इन क्षेत्रों में रिसर्च की बहुत आवश्यकता है। रिन्यूएबल एनर्जी, इलेक्ट्रिक वाहन, हाईब्रिड वाहन और वैकल्पिक ईंधन वातावरण में सबसे कम प्रदूषण करते हैं।

डॉ सारस्वत ने कहा कि मौजूदा ईंधनों की जगह इनके इस्तेमाल के लिए रणनीति बनाने की आवश्यकता है। मोबेलिटी की मुख्य शक्ति आईसी इंजन होती है, आईसी इंजन की क्षमता बढ़ाने और प्रदूषण में कमी लाने के लिए कार्य करने की आवश्यकता है। दो तरह के ईंधनों को मिलाकर बनने वाले ईंधनों की क्षमता अधिक हो सकती है। इस पर और रिसर्च करने की आवश्यकता है। डीजल और हाइड्रोजन, सीएनजी और हाइड्रोजन को मिलाकर एक मिश्रित ईंधन बनाये जा सकते हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी उसके पूरे कार्यकाल में होने वाले प्रदूषण की हाईब्रिड वाहनों से होने वाले प्रदूषण से तुलना की जाये, तो दोनों एक जैसे ही होते हैं। समय के साथ इलेक्ट्रिक वाहन की क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है।

नीति आयोग के सदस्य ने वैकल्पिक ईंधनों का उल्लेख करते हुए कहा कि मिथेनॉल प्रदूषण को 50 प्रतिशत तक कम करता है, इसमें सल्फर गैस कम उत्सर्जित होती है और कार्बन डाई ऑक्साइड भी कम पैदा होती है। हाइड्रोजन सबसे स्वच्छ ईंधन है। आईसी इंजन में कम्बश्चन की प्रक्रिया में  हाइड्रोजन का ईंधन के रूप में उपयोग कर सकते हैं। हाइड्रोजन से स्टोरेज, ट्रांसपोटेशन जैसी कई चुनौतियां जुड़ी होती हैं। हाइड्रोजन उत्पादन के तरीकों की लागत कम से कम करने और स्टोरेज आदि की चुनौतियां कम करने पर कार्य करने की आवश्यकता है।

द कम्बश्चन इंस्टीट्यूट-इण्डियन सेक्शन के सचिव पी. के. पाण्डेय ने इंस्टीट्यूट की उपलब्धियों और गतिविधियों पर प्रकाश डाला। सम्मेलन में दास्तूर एनर्जी के सीईओ व मैनेजिंग डायरेक्टर अटानू मुखर्जी ने कहा कि एनर्जी के स्तर, आर्थिकी और सुरक्षा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि के जितने लाभ हैं, उतनी ही उनकी सीमाएं भी हैं। इसलिए सही तरह के ईंधन का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है।

ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स के चेयरमैन डा. कमल घनशाला ने कहा कि भारत ऐसा पहला देश है जिसने चांद के साउथ पोल पर अंतरिक्ष यान भेजने में कामयाबी हासिल की है। यह इसरो की बड़ी उपलब्धि है। डॉ VK सारस्वत के निर्देशन में पृथ्वी, धनुष और अग्नि जैसी बेमिसाल मिलाइलें देश ने बनाई हैं। डॉ घनशाला ने ग्राफिक एरा के अब तक के सफर और मील के पत्थरों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कार्बन उत्सर्जन घटाने और क्षमता बढ़ाने की चुनौतियों से निपटने की तकनीकों पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में गहन चर्चा होगी।

सम्मेलन में जैव इंधन के उत्पादन व उपयोग, हाइब्रिड इलैक्ट्रिक व्हिकल, सॉफ्टवेयर कन्ट्रोल इंजन, हाइड्रोजन से चलने वाले आईसी इंजन, गैस टरर्बाइन, आईसी इंजन के लिए ऑप्टिकल डायग्नोस्टिक और रॉकेट इंजन, स्प्रे कम्बश्चन, सुपर सोनिक कम्बश्चन से संबंधित तकनीकों पर विचार- विमर्श किया जाएगा। देश-विदेश के वैज्ञानिक इन विषयों पर 120 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। सम्मेलन में यूनाइटेड नेशन्स के डा. उगर ग्यूवेन, सिंगापुर के प्रो. जियांग ह्वांगवी, ताईवान के प्रो. मिंग सुन वू,  नीदरलैण्डस के डा. प्रखर जिन्दल,  आयरलैण्ड के डा. आशीष वशिष्ठ, शिकागो के डा. शांतनु चौधरी, यूएस के डा. नारायणस्वामी वेंकटेश्वरन भी शिरकत कर रहे हैं।

सम्मेलन में यूकोस्ट के महानिदेशक डॉ दुर्गेश पंत, ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के प्रो चांसलर प्रो राकेश कुमार शर्मा, कुलपति डॉ नरपिंदर सिंह और ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ संजय जसोला के साथ ही विश्वविद्यालय के शिक्षक व छात्र-छात्राएं भी मौजूद थे। अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन सचिव व ग्राफिक एरा के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के एचओडी डॉ सुधीर जोशी ने आभार व्यक्त किया। संचालन डॉ एमपी सिंह ने किया।

 

 

 

—स्थापना दिवस पर बधाई–

अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर राज्य के लोगों को बधाई देकर की गई।

चांसलर डॉ वीके सारस्वत ने यह महत्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन उत्तराखंड राज्य के 25वें स्थापना दिवस के दिन आयोजित होने पर खुशी जाहिर करते हुए राज्यवासियों को बधाई दी। उन्होंने बताया कि आज ही कम्बश्चन इंस्टीट्यूट की 50वीं जयंती है।

अंतरिक्ष विभाग के सचिव व इसरो के अध्यक्ष डॉ एस सोमनाथ और ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ कमल घनशाला ने भी उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर शहीदों को नमन करते हुए राज्य के लोगों को शुभकामनाएं दीं।

 

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button