
Chetan Gurung
जलवायु परिवर्तन से उपजे कठिन हालात और संभावित खतरों पर Graphic Era Deemed विवि में आयोजित Workshop में विशेषज्ञों ने इसकी वजह और नतीजों तथा उपायों पर गहन मंथन किया.
कार्यशाला में गुरू गोविन्द सिंह इन्द्रप्रस्थ यूविवर्सिटी के प्रो. अनुभा कौशिक ने कहा कि सस्टेनेबलिटी विकल्प नहीं प्रतिज्ञा होनी चाहिये. पर्यावरण को नुकसान होने से बचाने के लिए ये जरूरी है. आने वाले समय में बढ़ती जनसंख्या एक नई चुनौती होगी। अधिक जनसंख्या के कारण प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग होगा। युवाओं कोपर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक, तीनों पहलुओं के बारे में सोचते हुए कार्य करना होगा.
गुरू जम्बेश्वर यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी, हिसार के पूर्व डीन प्रो. CP कौशिक ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक गम्भीर समस्या है। इसके लिए जरूरी है कि नए एक्शन प्लान बनाए जाएं। मानव जाति जितना ही पर्यावरण को खराब करेगी उतने ही कम अवसर हमारे पास बचेंगे। कोविड 19 इसका जीता जागता सबूत है कि पर्यावरण के दूषित होने से ऐसी गम्भीर बीमारियों की उत्पत्ति होती है।
कार्यक्रम का आयोजन एन्वायरमेण्टल स्टडीज डिपार्टमेण्ट ने किया। कार्यक्रम में प्रो. चांसलर प्रो. राकेश कुमार शर्मा, HoD डा. प्रतिभा नैथानी, डा. प्रदीप कुमार शर्मा, डा. अर्चना बछेती, डा. सुमन नैथानी, डा. रचिन कर्माकर मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन डा. भारती शर्मा ने किया।
कम्प्यूटेशनल तकनीक में मैटिरियल का चुनाव अहम
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विशेषज्ञों ने Grarphic Era में आयोजित सेमीनार में कहा कि कम्प्यूटेशनल तकनीक को प्रभावित करने वाले पदार्थों का चयन सावधानीपूर्वक करना जरूरी है.
ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में कम्प्यूटेशनल तकनीक पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र आज GST उत्तराखण्ड के ज्वांइट कमीशनर निशिकांत सिंह ने कहा कि मशीन लर्निंग, डेटा एनेलिटिक्स, स्मार्ट व नैनो तकनीक कम्प्यूटेशनल तकनीक में उपयोग होने वाले पदार्थों की बारीकियों को समझने और हल्की, मजबूत व कुशल तकनीकों को बढ़ावा देते हैं। ये पदार्थ सस्टेंनेबेल होते हैं।
उन्होंने कम्प्यूटेशनल तकनीक क्षेत्र में छात्र-छात्राओं को ट्रेनिंग देने और जागरूक करने को आवश्यक बताया। नेशनल चिन-यी यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी, ताइवान के प्रतीक नेगी ने सम्मेलन को आनलाइन माध्यम से सम्बोधित करते हुए कहा कि फेज चेन्ज मैटिरियल इंजीनियरिंग क्षेत्र में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। ये पदार्थ पिघनले व जमने की प्रक्रिया के दौरान गर्मी सोखने व वितरित करने की क्षमता रखते हैं।
उन्होंने कहा कि इनका उपयोग थर्मल इन्सूलेशन, कूलिंग तकनीक और संरचनाओं के निर्माण में भी किया जा रहा है।
All India काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन के आईटी एण्ड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर मैनेजर मदन मोहन शरण सिंह ने नई तकनीकों के व्यवसायीकरण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लाईसेंसिंग, नान डिसक्लोजर एग्रीमेण्ट व तमाम समझौतों से सम्बन्धित कानूनों व विनियमों को जांच परख कर ही तकनीकी उत्पाद के खोजकर्ता बौद्धिक सम्पत्ति के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकेंगे।
कुलपति डा. नरपिन्दर सिंह ने कहा कि तकनीकी विकास और उत्पादन लोगों की जरूरतों के मद्देनजर होना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में आज 100 शोधपत्र और 200 पोस्टर प्रस्तुत किए गए।
सम्मेलन का आयोजन डिपार्टमेण्ट ऑफ़ मैकेनिकल इंजीनियरिंग ने किया। सम्मेलन में HoD कपिल कुमार शर्मा, आयोजन सचिव डा. बृजेश प्रसाद, डा. नरेन्द्र गड़िया मौजूद रहे।