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Big Debate::पक्के DGP पर CM पुष्कर के फैसले पर टिकी नजरें:अभिनव अभी भी मुकाबले में या वाकई बाहर!UPSC ने तकनीकी तौर पर दीपम-PVK-अमित को ही माना Eligible:पसोपेश का बाजार लगातार गर्म

पचड़ा इस पर भी कि आयोग ने UP में रह रहे UK Cadre वाले IPS अफसरों को UP का ही माना

Chetan Gurung

उत्तराखंड के DGP की कुर्सी पर बैठने के लिए UPSC ने दीपम सेठ-PVK प्रसाद और अमित सिन्हा के नाम पैनल में भेजे हैं लेकिन ये सवाल भी उठ रहा कि फिलहाल पुलिस प्रमुख की जिम्मेदारी संभाल रहे अभिनव कुमार वाकई इस दौड़ से फारिग हो गए हैं या फिर उनकी उम्मीदों के बादल अभी भी बरस सकते हैं.पसोपेश का बाजार बेहद सर्द-गर्म है.सभी की नजरें CM पुष्कर सिंह धामी पर टिकी हुई हैं.वह क्या और कब इस पर फैसला लेते हैं.

CM Pushkar Singh Dhami को DGP पर अंतिम ठप्पा लगाने का अधिकार है

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फ़िलहाल Panel में शामिल सभी दावेदार और अभिनव ADGP Rank के हैं.1 जनवरी को DG बनने के लिए असली अर्हता दीपम और PVK हासिल कर लेंगे.अंदरखाने की खबर ये है कि सरकार कोई भी फैसला लेने में जल्दबाजी से बच रही.वह इस पहलू को भी देख रही कि अभिनव को UP Cadre का मान के Panel से बाहर करने से कोई कानूनी पचड़ा न पड़ जाए.उनको Cat और High Court से Stay मिला हुआ है.इसी बिना पर वह UP के बजाए खुद को उत्तराखंड का मानते हैं. उत्तराखंड सरकार ने भी इसी लिए उनको State Police Chief बनाया है.

Top 3 Musketeers of Uttarakhand Police (Left to Right-Abhinav Kumar-Deepam Seth-PVK Prasad)

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संघ लोक सेवा आयोग ने अभिनव को सिर्फ इस आधार पर DGP Panel में शामिल नहीं किया कि वह उत्तराखंड कैडर के न हो के अभी UP Cadre से हैं.उसने इस पहलू को नजर अंदाज किया कि अभिनव को अलग-अलग जगह से Stay मिला हुआ है.वह उत्तराखंड राज्य के गठन के दौरान से ही यहीं हैं.उनको उत्तराखंड सरकार ने ही Deputation पर केंद्र सरकार में जाने के लिए मंजूरी दी थी.केंद्र ने उसको स्वीकार भी किया था.UPSC ने अभिनव को उत्तराखंड में होने के बावजूद UP का माना तो दूसरी तरफ UK Cadre के IPS अफसरों को पूरी सेवा UP में ही करने के चलते UP का ही माना.न कि उत्तराखंड का.इसी बिंदु पर DGP का मामला फंस रहा है.

DGP Abhinav Kumar

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UPSC के इस दोहरे रुख और इसके चलते भविष्य में कोई विधिक समस्या पैदा न हो जाए, इसके मद्देनजर सरकार फिलहाल अपने स्तर पर कानूनी पहलुओं पर गौर और अध्ययन कर रही है.जरूरत पड़ी तो वह न्याय विभाग की भी राय ले सकती है.UP में नौकरी करने के चलते उत्तराखंड वालों को UP का माना तो फिर उत्तराखंड में नौकरी करने वालों को उत्तराखंड का कैसे नहीं माना जाए,इस पर आयोग का फैसला सरकार की पेशानी पर बल न डाल दे,इसलिए सरकार तेजी दिखाने से बच रही.बेशक नियम के मुताबिक आयोग के भेजे Panel में मौजूद नामों से ही DGP का चयन होना है.

अगर अभिनव को मुकाबले से बाहर मान भी लें तो ये देखना बेहद दिलचस्प रहेगा कि उनकी जगह फिर कौन DGP की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं.Gradation List (IPS) और Batch के मुताबिक दीपम सेठ पहले नंबर पर और उनके ही बैच PVK प्रसाद दूसरे नम्बर पर हैं.दोनों 1995 बैच से हैं.उनके बाद Amit Sinha का नंबर है.वह 2 batch पीछे (साल-1997) हैं.इसके बावजूद ये समझा जा रहा है कि DGP की कुर्सी वाकई अभिनव खाली कर रहे हैं तो फिर दीपम और PVK में से ही CM पुष्कर चुनाव करेंगे.जिन राज्यों में DG Rank के IPS नहीं हैं, वहां ADG को भी DGP बनाने की नई व्यवस्था और सुविधा आयोग ने लागू की है लेकिन 1 जनवरी-2025 को दीपम-PVK DG बन जाएंगे.ऐसे में किसी ADG के लिए DGP बनने की राह में कांटे बिछ सकते हैं.अभिनव साल-1996 बैच के हैं.

ये छिपा सत्य नहीं है कि अभिनव को मुख्यमंत्री के बेहद विश्वासपात्रों में शुमार किया जाता है.उनके भविष्य को ले के इसलिए कोई भविष्यवाणी आसानी के साथ नहीं की जा सकती है.दीपम अभी ITBP में प्रतिनियुक्ति पर हैं.अभिनव के DGP बनने के बाद से PVK को Home guard के DG का जिम्मा सौंपा हुआ है.सभी की निगाहें CM की तरफ उठी हुई है कि वह DGP पर क्या और कब तक फैसला लेते हैं.मुख्यमंत्री चाहें तो अभी भी तमाम अगर-मगर हो सकते हैं.

ये भी सोचा जा रहा है कि नया DGP आता ही है तो फिर अभिनव के लिए सरकार क्या सोचेगी!उस सूरत में उनको फिर शासन में अहम ओहदे में लाया जाता है तो ताज्जुब नहीं होगा.वह पहले भी विशेष प्रमुख सचिव (CM-खेल-सूचना) रह चुके हैं.शासन में प्रमुख भूमिका में आना उनके ली वैकल्पिक तौर पर सम्मानजनक भूमिका हो सकती है.इस मामले में शासन स्तर पर फिलहाल कोई भी अफसर आधिकारिक बयान देने में हिचक रहे हैं.

 

 

 

 

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