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कमाल Graphic Era के Doctors का:चीरा लगाए बगैर ही बदल डाले Heart के दो वॉल्व:NI का पहला सफल केस:GEGI Chairman डॉ घनशाला ने कहा,`मरीज को कम से कम तकलीफ दे के ईलाज पर Focus’

Chetan Gurung
देहरादून के Graphic Era Hospital के विशेषज्ञ Doctors ने बेहद गंभीर केस में चीरे का सहारा लिए बगैर Heart के दो वाल्व एक साथ बदल कर चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में नया कीर्तिमान रच डाला। चिकित्सा क्षेत्र में North India का ये पहला मामला माना जा रहा है.

GEGI Chariman-Dr kamal Ghanshala

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ग्राफिक एरा अस्पताल के कैथ लैब के निदेशक व ह्रदय रोग विभागाध्यक्ष डॉ राज प्रताप सिंह ने आज पत्रकारों को बताया कि ये ईलाज 70 वर्ष के एक पूर्व सैनिक का किया गया.हार्ट फेलियर की स्थिति में इसी हफ्ते कर्णप्रयाग से इस मरीज को ग्राफिक एरा अस्पताल लाया गया था। करीब 12 साल पहले उनकी ओपन हार्ट सर्जरी हो चुकी थी।

तब उनके हार्ट में दो वॉल्व डाले गए थे। ईको करने पर पाया गया कि मरीज के दो वाल्व खराब हो चुके हैं। मरीज की जान खतरे में थी। वॉल्व बदलने में जान का जोखिम 40 प्रतिशत था। आमतौर पर 20 प्रतिशत से अधिक जोखिम की स्थिति में आपरेशन नहीं किए जाते.मरीज की जीवन रक्षा के लिए फिर बिना चीरा लगाए सर्जरी की गई जो सफल रही.

डॉ राज प्रताप ने बताया कि दूसरी बार ओपन हार्ट सर्जरी करने में बहुत ज्यादा जोखिम रहता है। ज्यादा जोखिम को देखते हुए मरीज की जान बचाने के लिए ट्रांस कैथेटर एओर्टिक वॉल्ब रिप्लेसमेंट टेक्निक (टीएवीआर) का उपयोग करके वॉल्व बिना चीरे के बदले गए। यह तकनीक केवल एओर्टिक वॉल्ब बदलने के लिए इस्तेमाल होती है। ग्राफिक एरा अस्पताल के विशेषज्ञों ने इस तकनीक से एओर्टिक वॉल्ब के साथ ही माईट्रल वॉल्ब भी बदल दिया।
ओपन हार्ट सर्जरी करीब पांच घंटे चलती है और उसमें रिस्क रहता है. इस प्रक्रिया को महज एक घंटे में पूरा कर लिया गया। मरीज के स्वास्थ्य में बहुत सुधार हुआ है। अगले दिन मरीज को अपने पैरों पर चलाया गया। सही स्थिति पाते हुए उन्हें 48 घंटे बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।  विशेषज्ञों की इस टीम में डॉ हिमांशु राणा, डॉ अखिलेश पांडेय और डॉ एस पी गौतम शामिल थे। प्रेस वार्ता में मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ नितिन बंसल और अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे।
ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ कमल घनशाला ने इस शानदार उपलब्धि पर विशेषज्ञों की टीम को बधाई देते हुए कहा कि मरीज को कम से कम तकलीफ देकर जीवन रक्षा करना बहुत महत्वपूर्ण है। ओपन हार्ट सर्जरी के लिए आठ ईंच के आपरेशन के बजाय दो-ढाई ईंच का चीरा लगाकर चेस्ट की हड्डी काटे बगैर इलाज की नई तकनीक अपनाकर विशेषज्ञ इस अस्पताल में कई आपरेशन कर चुके हैं।

 

 

 

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