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Big Story::Cabinet Reshuffle!पुष्कर-Party की वफादारी को खास तरजीह!सिर्फ फेरबदल या Backlog भी भरे जाएंगे!Outgoing-Incoming पर तगड़ा Homework:2 साल बाद के Assembly Election के मद्देनजर PSD को खुद की टीम चुनने के लिए Free Hand!

खुद के कारनामों को जानने वाले मंत्री ज्यादा बेचैन:खराब सुर्ख़ियों को लूटने वालों की कुर्सी लुटने के अधिक आसार:क्षेत्रीय समीकरणों को तवज्जो की उम्मीद कम:जातीय संतुलन पर टिक सकती है नजर

Chetan Gurung

PM नरेंद्र मोदी और HM अमित शाह की हरी झंडी मिल जाए तो उत्तराखंड में अब मंत्रिमंडल बदलाव काफी करीब दिखने लगे हैं.इस बाबत CM पुष्कर सिंह धामी आला कमान-संगठन के साथ तगड़ा Home Work कर चुके हैं.कुछ ही कार्य बचे हुए हैं.उन पर भी सोच-विचार-मंथन चल रहा.ऐसा दिल्ली सूत्र बता रहे हैं.ये साफ़ नहीं हुआ है कि सिर्फ मंत्री ही बाहर किए जाएंगे और उनकी जगह भरी जाएंगी या फिर खाली 4 सीटों पर भी मंत्री बिठाए जा सकते हैं.2 साल बाद होने वाले Assembly Election को निगाहों में रख के साफ़ और चुस्त-अविवादित-काबिल-लोकप्रिय चेहरों को मंत्री के तौर पर Team Pushkar का हिस्सा बनाया जा सकता है.ये कौन होंगे, उन नामों को ले के खूब शोर-हवा उड़ रही.इतना जरूर है कि बचेंगे और मंत्री वही बन सकेंगे,जिन पर पुष्कर और पार्टी के वफादार होने का ठप्पा होगा.पुष्कर को शायद इस बार इसके लिए Free Hand दिया जा सकता है.2 साल बाद विधानसभा चुनावों के नतीजों पर सवाल उनसे ही पूछे जाएंगे.गलत वजह से सुर्ख़ियों को लूटने वाले मंत्रियों में अधिक बेचैनी झलक रही है.

मोदी-शाह शायद नहीं चाहेंगे कि अपने सबसे बेहतरीन CM को भविष्य में किसी किस्म की अंदरूनी सियासत से चुनौती मिले.पुष्कर को उनकी पसंद का मंत्रिमंडल दिए जाने के आसार इसलिए अधिक समझे जाने की ये ही वजह हो सकती है.कम से कम 3 या 4 मंत्रियों से कुर्सी छिनने की सम्भावना जतलाई जा रही है.इनके नाम राजनीतिक वायुमंडल लम्बे समय से तैर रहे हैं.वे बचे हुए हैं,ये ही सबसे बड़ा आश्चर्य समझा जा रहा है.किसको हटाना है और किनको उनकी जगह लाना है,इस पर गृह कार्य होने के साथ ही खाली 4 कुर्सियों को भी भरने की सोच पर मुख्यमंत्री आला कमान के साथ बैठ के कार्य कर रहे हैं.

PM Narendra Modi and CM Pushkar Singh Dhami (Left) (File Foto)

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मंत्री बनने की सोच और ख्वाहिश रखने वालों में सपना पूरा होने की इतनी व्याकुलता नहीं है. Blood Pressure उन मंत्रियों का बढ़ा हुआ है जिनको खुद के बारे में ढंग से जानकारी है.उनको अपने सिर पर तलवार लटकने का अहसास है.सियासी विश्लेषक और पत्रकार जगत ही नहीं सयाने हो चुके आम लोगों के पास भी संभावित Outgoing मंत्रियों का पूरा रिपोर्ट कार्ड है.कहा जा रहा है कि उनकी विदाई की बेला आ गई है.बेशक Action होने तक ये सब अभी कयासों का खेल समझा जा रहा है.इतना जरूर है कि नाम उनके ही उछल रहे, जो बहुत अधिक विवादों और बेवजह या फिर खराब ढंग से सुर्ख़ियों को लूट रहे.उनके हटने को ले के लोग यकीन कर भी रहे.लोकसभा चुनावों में मोदी-शाह-धामी की तिकड़ी देवभूमि की 5 सीटें जीत के 100 फ़ीसदी नतीजा देने में सफल हो गई थी.

ये भी कड़वा सच है कि विधानसभा चुनाव बहुत बड़ी और खतरनाक चुनौती बन के उभरे हैं.कई राज्यों में हुए इन चुनावों और BJP को बहुत उम्मीद भरे नतीजे न मिलने ने इसको मजबूती से साबित किया है.मोदी-शाह-पुष्कर मंत्रिमंडल में ताजे और अनुभवी चेहरों को ला सकते हैं.आलम ये है कि अभी सिर्फ पुष्कर ही अश्वमेध यज्ञ कर BJP-मोदी-शाह को मजबूत करते दिखते हैं.वह Phantom बन के हर छोटी-बड़ी जगह-हर आपदा और संकटकालीन हालात में मौके पर पहुँच रहे हैं.4 धाम यात्रा-पर्यटन सीजन One Man Army की तरह उन्होंने खुद निबटाया या निबटा रहे हैं.अधिकांश मंत्रियों-सांसदों का अता-पता कम ही दिखा या दिख रहा है.

कई मंत्रियों को सिर्फ विवादों में घिरते-ख़राब नतीजों के बावजूद बेपरवाह देखा जा रहा है.सूत्रों की माने तो ऐसों को अलविदा कहना लाजिमी और तय सा है.उनकी जगह किसको और किस समीकरण के बिना पर लाया जाए, ये फाइनल न हो पाने से ही कई मंत्रियों की लुटिया डूबने से अभी तक बची हुई है.ऐसा लगता नहीं कि संशोधित मंत्रिमंडल बनता है तो उसमें क्षेत्रीय समीकरण पर बहुत अधिक ध्यान दिया जाएगा.12 से अधिक चेहरों (CM समेत) को मंत्री न बनाने की संवैधानिक बाध्यता के दौर में इस किस्म के समीकरणों को तवज्जो देना मुमकिन दिखता भी नहीं है.

जातीय समीकरण को इसके बजाए कहीं अधिक तवज्जो मिलने के आसार हैं.क्षत्रीय-ब्राह्मण-दलित-वैश्य को Cabinet में सीट देने पर मंथन हो सकता है.अहम पहलू ये है कि 3-4 मंत्रियों को Exit Door दिखाया जाता है और बची 4 सीटों को भरने पर फैसला होता है तो ये BJP-सरकार और सबसे अधिक खुद मुख्यमंत्री PSD के लिए बेहद मुफीद रहेगा.नए चेहरों में जल्द खेल करने का दुस्साहस कम होता है.सबसे बड़ी बात ये कि पुष्कर को सरकार में रहते हुए चुनौती देने की सोच रखने वालों के हौसले फिर ध्वस्त हो जाएंगे.ऐसे में विधानसभा चुनाव तक BJP-सरकार में माहौल साफ-सुथरा और शांत रह सकता है.

फेरबदल में चंद अति महत्वाकांक्षियों की भी विदाई मुमकिन है.कुछ Smart-वक्त और सियासत की नब्ज को पहचान लेने वाले अलबत्ता बच सकते हैं.मीडिया में ये बहस चलती रहती है कि नए मंत्रियों की ताजपोशी अलां या फलां शुभ मुहूर्त में हो सकती है.ऐसा कुछ कम से कम मोदी-शाह के युग में नहीं होता है.दोनों को जब सही लगता है तब ऐसे बड़े कदम उठा लिए जाते हैं.बस दोनों ऐसा कब तक करते हैं,इस पर बहस छिड़ी हुई है.

 

 

 

 

 

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