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मौजूं मुद्दा::कारगिल शहीदों को याद कर के क्या होगा!द्रास के Hero मेख गुरुंग के आश्रित को पेट्रोल पम्प चलाना कर दिया नामुमकिन:शहर भर का कूड़ा-सड़े-गले मांस के लोथड़े-हड्डियाँ बगल में फेंकने से सांस लेना तक मुहाल:CM पुष्कर से कार्रवाई की गुहार

सैनिक कल्याण मंत्रालय की आँखें बंद-नगर निगम परेशान करने में जुटा:हरिद्वार बाई पास रोड पर राधा स्वामी सत्संग के करीब है पेट्रोल-डीजल पम्प:आश्रितों में पत्नी के अलावा भाई-बुजुर्ग माता-पिता को कोई सहारा नहीं

Chetan Gurung

कारगिल विजय दिवस पर शहीदों को सरकार ने आंसू भर के याद किया लेकिन हकीकत एकदम जुदा है.आज भी कारगिल शहीदों के आश्रित बेरोजगार भाई-गरीब माता-पिता बेहाल हैं.सिर्फ पत्नी और बेटों तक सरकार की इमदाद पहुंची.परिवार के रक्त सम्बन्धियों के पास 2 जून की रोटी का भी इंतजाम नहीं है.सरकार शहीदों के आश्रितों का ढंग से ख्याल रख भी नहीं रही.द्रास में दुश्मनों को खदेड़ने के दौरान शहीद मेख गुरुंग की पत्नी नैना गुरुंग को मिले पेट्रोल-डीजल पम्प को चलाना बगल में शहर भर का कूड़ा-सड़े-गले मांस के लोथड़े-हड्डियां लगातार फेंके जाने से ना-मुमकिन और सांस लेना मुहाल हो गया है.सैनिक कल्याण विभाग बहस दिखता है और नगर निगम उत्पीड़न कर पम्प बंद कराने के लिए आमादा अधिक दिखता है.CM पुष्कर सिंह धामी और सैनिक कल्याण मंत्रालय कम से कम कारगिल विजय दिवस पर इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए कोई Action लेंगे, ऐसी उम्मीद जताई जा रही है.

 

 

शहर का कूड़ा-सडा गला मांस हड्डियाँ शहीद मेख गुरुंग पेट्रोल पम्प के बगल में फेंका जा रहा

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राधा स्वामी सत्संग के एकदम बगल में स्थित पेट्रोल पम्प से सटे नाले में पम्प के खुलने के बाद ही पिछले कई सालों से कूड़ा-करकट के साथ ही ट्रैक्टर-ट्राली में सड़े-गले मांस और जानवरों की हड्डियां ला के फेंकी जा रही है.इसकी शिकायत कई बार DM-नगर निगम के आयुक्त और सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी के साथ ही CM पुष्कर सिंह धामी से भी की जाती रही है.शहीद की पत्नी नैना गुरुंग के अनुसार एक बार जरूर कुछ वक्त के लिए कूड़ा फेंकना बंद किया गया था.कुछ वक्त बाद और तेजी से कूड़ा फेंकने लगे हैं.

फौजी पुत्र CM पुष्कर सिंह धामी और  सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी से मदद की उम्मीद

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हालात ये है कि लोग अब बदबू और सड़ांध के चलते पम्प पर तेल डलवाने आने से बच रहे हैं.बिक्री गिर कर आधी रह गई है.शिकायतों के बावजूद कोई कार्यवाही और राहत नहीं मिल रही है.ऐसा महसूस होता है मानो कोई माफिया या सरकार के ही कुछ लोग चाहते हैं कि शहीद का पम्प बंद हो जाए.ऐसा शक होता है कि जान बूझ के भीषण गन्दगी और सड़ांध वाले कूड़े पम्प के पास नाले में फेंके जा रहे हैं.बात यहीं तक नहीं रूकती है.पम्प के भीतर से कूड़े की गाड़ियां गुजर रही हैं.मना करने पर गाड़ी वाले मानने के लिए राजी नहीं हैं.वे कूड़े की गाड़ियाँ भी पम्प की सीमा में खड़े कर रहे हैं.

सरकार कागिल विजय दिवस पर हर साल उनके आश्रितों को तलाश के सम्मानित करने की खाना-पूर्ति सालों से कर रही है.बेहतर होगा कि आश्रितों को हो रही परेशानियों को दूर कर असली श्रद्धांजलि शहीदों को अर्पित करें.सरकार ने आज Ex-Gratia में 4 गुणा इजाफा कर 10 लाख के बजाए इसको 50 लाख रूपये कर दिया लेकिन इसका प्रावधान नहीं किया कि शहीद के माता-पिता और बेरोजगार भाई-बहनों का ख्याल भी रखा जाए.कई कारगिल शहीदों की पत्नियों ने पैसा-जमीन-पेट्रोल पम्प-तमाम सुविधाएं-नौकरी-आवासीय योजना का फायदा मिलते ही शहीद के माता-पिता और पूरे परिवार को छोड़ के मायके चली गई थीं.उन्होंने पलट के बेहाल और गरीबी में गुजर कर रहे ससुराल की तरफ एक नजर नहीं मारी.एक पैसे की मदद नहीं की.

बेरोजगार भाई-बहन और माता-पिता खून के घूँट पी के अपने शहीद बेटे और भाई को याद कर मन मसोस के रह गए.कई शहीदों की पत्नियों ने फटाफट दूसरी शादी भी कर के घर बसा लिया.माँ-बाप का बेटा चला गया.भाई-बहन का भाई हमेशा के लिए बिछुड़ गया.सरकार कई आईं-गईं लेकिन किसी ने भी शहीद को जन्म देने वाले और एक ही कोख से पैदा भाई-बहनों के लिए 2 पैसे की मदद करना गवारा नहीं किया.शहीदों के आश्रित अपना नाम नहीं खोलना चाहते हैं लेकिन उनको सेना और सरकार दोनों से ही शिकायत है.सेना ने भी आश्रित का मतलब सिर्फ पत्नी को समझा.शहीद को जन्म देने वाले माता-पिता-भाई-बहनों की तरफ से उसने भी सरकार की तरह आँखें बंद ही रखी.

 

 

 

 

 

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