
Chetan Gurung
PM नरेंद्र मोदी-HM अमित शाह समेत पूरे आला कमान को मालूम था कि राजेंद्र भंडारी के Candidate रहते बद्रीनाथ नहीं जीतेंगे और जब उनको By-Election में उतार दिया गया तो साफ़ बता दिया गया था कि हम हार रहे.पूरी रिपोर्ट ऊपर थी.ये सीट पहले से Congress के पास थी.लिहाजा उत्तराखंड BJP इसको जीतना तो चाहती थी लेकिन इसके लिए बेचैन नहीं थी.इसके बजाए उसके War Lords राजू की BJP में Entry के तौर-तरीके से नाखुश थे.Local कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी थी.नतीजे से इस पर मुहर लग गई.
CM पुष्कर सिंह धामी (with PM Narendra Modi):मंगलौर में विजय के करीब पहुँच गए थे:BJP की जड़ें पुख्ता कीं
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BJP प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट:राजेन्द्र भंडारी को प्रत्याशी बनाने के हक़ में नहीं थे!
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राजेन्द्र भंडारी की BJP में Entry के बारे में माना जाता है कि Uttarakhand Leadership की मंजूरी नहीं ली गई थी.एक दिग्गज ने अपने स्तर पर उनको पार्टी में प्रवेश दिला दिया था.उत्तराखंड के सूरमाओं से इस बाबत राय-मशविरा नहीं हुआ.लोकसभा चुनाव में बद्रीनाथ सीट पर 8 हजार की बढ़त BJP को मिली लेकिन इसकी वजह समीक्षक उत्तराखंड में मोदी पर यकीन को अधिक जिम्मेदार मानते हैं.न कि भंडारी के प्रभाव को.
भंडारी को BJP में कांग्रेस से तोड़ के लाया गया था.BJP सीट से उप-चुनाव लड़ाने और अंदरखाने की बातों पर यकीन करें तो मंत्री बनाने के वादे के साथ.शिकस्त से मंत्री बनने का ख्वाब तो ध्वस्त हो गया. एक मंत्री ने कहा,`पूरी पार्टी को मालूम था कि बद्रीनाथ सीट नहीं जीत सकते हैं.वहां के Voters और स्थानीय BJP कार्यकर्ता प्रत्याशी को ले के बेहद नाराज थे.कोई और प्रत्याशी होता तो विजय मिलती.कार्यकर्ता कार्य करने के लिए राजी नहीं हुए और बड़ी तादाद में समर्थक वोट देने निकले नहीं’.
उनके मुताबिक,`ऐसा होगा इसकी रिपोर्ट मोदी-शाह और आला कमान से जुड़े अधिकांश को काफी पहले ही दे दी गई थी’.BJP में खासी पकड़ रखने वाले सूबेदारों के मुताबिक खुद BJP प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की ख़ुशी-ख़ुशी इजाजत भंडारी की पार्टी में Entry को ले के नहीं थी.जिस शख्स ने उनको विधानसभा आम चुनाव में शिकस्त दी हो,उसी को वह पार्टी में अध्यक्ष-MP (RS) रहते शामिल होने देते,ये मुमकिन भी नहीं लगता.
CM पुष्कर सिंह धामी की मंजूरी लेना मजबूरी थी.By-Election में क्या होगा,ये सभी जान चुके थे.एक बड़े नाम के अनुसार आला कमान को घुमा-फिरा के नहीं बल्कि साफ-साफ़ बता दिया गया था कि भंडारी नहीं जीत रहे.एक और बड़े ओहदेदार के अनुसार हार की समीक्षा रिपोर्ट में इसका जिक्र जरूर होगा कि प्रत्याशी चयन के साथ ही उसका एक ख़ास लॉबी से नाता होने की हवा से नुक्सान हुआ.BJP में ये राय उभर के आई है कि बद्रीनाथ में प्रत्याशी दूसरा होता (जो कि मुमकिन नहीं रह गया था) तो नतीजे अलग होते.
हार का अंदेशा पहले होने से कई दिग्गजों ने प्रचार से कन्नी काटी.मंत्री धन सिंह रावत ही CM पुष्कर और महेंद्र भट्ट के अलावा इकलौते चेहरे दिखे जो नतीजों की सोचे बिना प्रचार में डटे रहे. सीट पर उपचुनाव के नतीजे BJP को उत्साहित करने वाले हैं.काजी निजामुद्दीन ने इस धर्म विशेष बाहुल्य वाली सीट Congress के लिए जीत तो ली लेकिन इसके लिए उनको नाको चने BSP के बजाए BJP ने चबवाए.वह भी एक बाहरी के ठप्पे वाले ने.BJP के पास इस सीट पर ढंग का प्रत्याशी लड़ाने के लिए नहीं था.हरियाणा मूल वाले करतार सिंह भडाना को मैदाने चुनावी जंग में इसीलिए उतारना पडा.
इसमें कोई शक नहीं कि भडाना ने चुनाव जी-जान से लड़ा और एक वक्त बुरी तरह हारते दिखने के बाद आखिरकार जीत के मुहाने तक जा पहुंचे.एक बार तो ऐसा लगने लगा था कि कमल खिल तो नहीं रहा.ये भी उनके लिए उपलब्धि से कम नहीं.महेंद्र भट्ट ने कहा भी कि जिस सीट पर BJP को पहले जमानत बचाने के लिए लड़ना पड़ता था वहां वह जीतने की सूरत में पहुँच गई.इस सीट पर CM पुष्कर सिंह धामी ने काफी ताकत लगा दी थी.Local MP त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी खासा जोर लगाया था.मंगलौर ने पुष्कर के बढ़ते असर और सियासी हुनर का प्रदर्शन किया.