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नेपाल में Gen-Z क्रांति:बिना सरकार का देश:फिलहाल फौज-बालेन के हवाले होगा देश!:Social Media Ban महज बहाना:असल गुस्सा भ्रष्टाचार-भ्रष्ट राजनेता के खिलाफ उबला

Chetan Gurung

भारत और चीन से सटे Land Locked हिमालयी देश नेपाल में Gen-Z ने KP Oli सरकार गिरा दी। वह भी सिर्फ 2 दिनों में। एक तरफा रक्तहीन क्रान्ति के जरिये। पुलिस की गोलियों से 25 के करीब युवा-छात्र शहीद हो गए। सैकड़ों घायल हो के अस्पताल में भर्ती हैं। पुलिस या सरकार के किसी शख्स की जान हानि नहीं हुई। Social Media Platforms पर अंकुश के खिलाफ शुरू ये किशोर-युवा क्रांति दरअसल भ्रष्ट राजनेताओं के कुकृत्यों-सरकार में निरंतर अस्थिरता और सरकारी दफ्तरों में चरम पर पहुँच चुके भ्रष्टाचार के खिलाफ जन्म से पैठ जमाए रोष-क्रोध का नतीजा है।

पूर्व PM शेर बहादुर देऊबा और उनकी पत्नी को घर से निकाल के बुरी तरह पीटा गया

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नेपाल की राजधानी काठमाण्डू की सड़कों पर 24 घंटे पहले किशोरों-युवाओं के आंदोलन को किसी भी अन्य छात्र-युवाओं के आंदोलन के तौर पर लिया जा रहा था। अगले दिन की शाम ढलने से पहले ही दुनिया चौंक उठी। इतनी तेजी से सत्ता उखाड़ दिए जाने के बारे में किसी ने नहीं सोचा था। दबाव बढ़ा और आगजनी-तोड़ फोड़-सत्तारूढ़ नेताओं-उनके सहयोगियों और पुलिस पर हमले इस कदर बढ़े कि तख्त पर बैठे CPN (UML) के बेहद बड़बोले ओली की प्रधानमंत्री की कुर्सी तूफानी रफ्तार से चली गई। उन्होंने जान पर खतरा और सेना के रुख को देख इस्तीफा दे दिया। फिर गायब हो गए।

उनके मंत्री और राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल भी इस्तीफा दे जान बचा के भागते नजर आए। मानो डूबते जहाज के चूहे हों, जो कूद के भाग जाना चाहते हों। अब तक राष्ट्रपति आवास-PM आवास-सिंह दरबार-संसद भवन आग की लपटों में घिर चुका था। पूर्व PM शेर बहादुर देऊबा और उनकी पत्नी External Affair Ministerआरजू राणा को उनके घर से निकाल के पीट-पीट के लहू लुहान कर डाला। एक और पूर्व PM झलनाथ खनाल SUV में परिवार सहित बैठ के भाग गए। नेपाली Congress के दफ्तर पर भी हमला हो गया। ओली-उनके मंत्री हेलीकाप्टर से किसी सुरक्षित जगह शरण के लिए निकल चुके हैं। ऐसा माना जा रहा है।

Balendra Shah-अगले Interim PM!

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दशक से अधिक समय तक नेपाल को माओवादी हिंसा में झोंक के राजशाही को बेदखल करने वाले CPN (M) के सबसे बड़े नेता और पूर्व PM पुष्प कमल दहल प्रचंड भी खतरा भाँप दुम दबा के फटाक से छिपते-छिपाते भाग निकले। बंदूक की गोली से अर्जित सत्ता सुख लेने के बाद विलासिता भोग रहे कभी खूंख्वार माओवादी Top Commaner रह चुके प्रचंड को भी खाली हाथ सिर्फ जोश-हिम्मत-बहादुरी और दृढ़ संकल्प के जरिये छात्रों ने दौड़ा दिया। नेपाल के मेहनतकश और युद्ध भूमि पर अपने देश से ज्यादा भारत और British Army की तरफ से वीरता की लगातार कई गाथाएँ लिखने, हिन्दुस्तान में सर्वोच्च वीरता अवार्ड परमवीर चक्र-अशोक चक्र तथा Britain के लिए Victoria Cross जीत के दुनिया भर में सम्मान हासिल करने वाले गुरखा युवाओं और अवाम को राजशाही के अंत के बाद कथित लोकतांत्रिक सरकारों ने खूब लूटा।

सच कहें तो जो भी सरकार आई, उसने सबसे पहले सरकारी खजाने का इस्तेमाल अपने भोग-विलास के लिए किया। फिर लोगों के Tax के पैसे का भरपूर दोहन खुद के लिए किया। आज सागरमाथा (Mt Everest) का ये हरियाली-बर्फ से लक़दक़ खूबसूरत Locations के अकूत खजाने से सज्जित पहाड़ी देश दुनिया के सबसे पिछड़े देशों में शुमार किया जाता है। देश के विकास और समानता के नाम पर माओवाद और हिंसा के सहारे महाराजा ज्ञानेन्द्र शाह को चुपचाप राज सिंहासन छोड़ने के लिए विवश करने वाले प्रचंड और उनके सहयोगी रहे बाबूराम भट्टराई देश के सबसे बड़े खलनायकों में शुमार किए जाते हैं।

प्रचंड के घर पर आज इसी लिए हमला हुआ। नेपाल के लोगों को सीधा-सादा समझा जाता है लेकिन इतिहास गवाह है कि जब भी अत्याचार बढ़ता है तो वे जिंदगी दांव पर लगाने से रत्ती भर नहीं हिचकते। Gen-Z छात्र-छात्राएँ कैमरे के सामने आ के ऐलान कर रहे कि वे माता-पिता-परिवार को अलविदा कह के आए हैं। देश के भ्रष्टाचारी नेताओं का खात्मा करेंगे या फिर खुद खत्म हो जाएंगे।

काठमांडू की सड़क पर खड़े युवक को सीने और आँख के करीब पुलिस की गोली लगने से पट्टियाँ बंधी होने के बावजूद एक हाथ में खून से सनी बनियान और दूसरे में माइक थामे चुनौती देते देखना जाहिर करता है कि वे आखिर किस सीमा तक जा सकते हैं। साथ ही ये बताता है कि कैसे 40 घंटे से कम समय में निहत्थे बच्चों-किशोरों ने एक भी गोली चलाए बिना ओली सरकार गिरा दी और भ्रष्ट राजनेताओं की दुनिया पलक झपकते तहस-नहस कर डाली।

1951 में भी ऐसा हुआ था। तब नेपाल में 3 सरकार के तौर पर पहचानी जानी वाली राणा वंश की सरकार के जुल्मों और सत्ता के खिलाफ नेपाली Congress के विश्वेश्वर प्रसाद कोइराला और मातृका प्रसाद कोइराला भाइयों की अगुवाई में चली हिंसक और सशस्त्र जन क्रांति में लगभग हर नेपाली युवा-महिला और भारतीय सेना में शामिल युवा तक छुट्टी ले के शामिल हुए। उसने राणा वंश के अत्याचारी-जबरन कब्जाए शासन का खात्मा किया था। ये क्रांति एक साल पहले से चल रही थी।

ठीक 75 साल बाद फिर क्रांति हुई लेकिन इस बार बागियों ने एक चाकू तक का इस्तेमाल नहीं किया। नेपाल में भ्रष्टाचार चरम पर पहुँच गया था। राजनीतिक अस्थिरता उफान पर थी। पुष्प कमल दहल और ओली 3-3 बार PM बने। नेपाली Congress के शेर बहादुर देऊबा को सबसे ज्यादा 5 बार PM बनने का श्रेय मिला है। साल-2008 से ले के अब तक 17 सालों में 13 बार सरकारें बनीं और गिराई गईं। देश और गर्त में जाता रहा।

जब मति मारी जाती है या फिर सियार के अंतिम दिन आते हैं तो वह शहर की ओर जाता है। ऐसा कहा जाता है। ओली सरकार ने इसको Social Media के सभी Platform पर बिना सरकार में दर्ता कराए नेपाल में चलने न देने का आदेश कर दिया। उसका तर्क था कि ये सभी Social Media Companies उनके देश से पैसा खूब कमा रहे लेकिन उन पर कोई अंकुश सरकार का नहीं है। इनमें FB-Instagram-Whats app-Viber-X-You Tube भी शामिल थे। इससे इन Apps के जरिये कमा-खा रहे,दुनिया के संपर्क में लगातार रहने के आदि हो चुके युवाओं और खास तौर पर किशोर और छात्र-छात्राओं में उबाल आना स्वाभाविक था। सरकार ने हालात बेकाबू होने के बाद अपना आदेश तो वापिस लिया लेकिन तब तक ओली सरकार का नामो-निशान मिट चुका था।

राष्ट्रपति पौडेल ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर खुद भी तुरंत बाहर सुरक्षित जगह का रुख किया। वित्त मंत्री भीड़ के हाथ चढ़ गए। उनको सड़कों पर दौड़ा-दौड़ा के किस तरह लात-घूंसों से मारा गया ये TV और Social Media में खूब दिखाया जा रहा। पूर्व PM देऊबा पर भी बागी किशोर हाथ साफ करने में नहीं चूके। हर देश के हर भ्रष्ट राजनेता और सरकार के लिए नेपाल की क्रांति सबक से कम नहीं है।

नेपाल के Gen Z ने दुनिया को बता दिया कि एकता और दृढ़ संकल्प-मौत से न डरने के गुण में कितनी अधिक शक्ति होती है। पूरी सरकार के इस्तीफे या भाग खड़ी होने और पूर्व PM-पूर्व मंत्रियों,अन्य बड़े नेताओं के Underground होने के बाद अब ये खतरा नेपाल पर मंडरा रहा है कि देश कौन संभालेगा और कैसे चलाया जाएगा। सेना की हिम्मत नहीं कि वह पाकिस्तान की तरह सरकार खुद चलाने लग जाए। पुलिस के लोग वर्दी उतार के छिपने में लगे हैं। उनको भय है कि अब सत्ता बदल जाने के बाद लोगों के कोप का शिकार उनको ही बनाया जाएगा।

भारत और चीन के साथ ही दुनिया के तमाम देशों की नजरें नेपाल के हालात पर गड़ी हुई हैं। पड़ोसी मित्र मुल्क में जल्द से जल्द स्थिरता का आना भारत के लिए भी बहुत जरूरी है। वहाँ किसकी अन्तरिम सरकार बनती है। ये देखना बहुत अहम है। ओली की सरकार के दौरान नेपाल और भारत के रिश्ते बेहद खराब दौर में चले गए थे। Communist होने के नाते ओली का झुकाव चीन की तरफ अधिक था। उनके बयान दोनों देशों के रिश्तों को बहुत तनावपूर्ण करने वाले रहे।

उन्होंने लीपुलेख-लिंपियाधुरा-कालापानी क्षेत्र विवाद को नाहक हवा दी। कभी भगवान राम की जन्मभूमि नेपाल को बता के भारतीय हिंदुओं को भड़काया। उनका सत्ता से हटना भारत के लिए शुभ हो सकता है। Gen-Z ही नहीं पूरे नेपाल की पहली ख़्वाहिश बतौर अन्तरिम PM बालेन्द्र शाह को देखने की है। बालेन के नाम से विख्यात और काठमांडू के Mayor महज 35 साल के इस नौजवान को लोगों के लिए काम करने के अंदाज-तेवर और Supreme Court तक की खुल के अवमानना करने के लिए जाना जाता है। वह Independent लड़ के जीते थे। उनकी कोई Party नहीं है।

स्थाई PM बनने के लिए उनके पास जरूरी पार्टी नहीं होने के चलते ही नेपाल के लोग और Gen-Z की एक प्रमुख मांग ये भी है कि PM का चुनाव सीधे होना चाहिए। न कि उनका चुनाव सांसद करें। मुमकिन है कि बाद में आम चुनाव होने की सूरत में संविधान संशोधन हो और प्रधानमंत्री का भी सीधे चुनाव सरीखी व्यवस्था हो।

काठमांडू के नरदेवी में एक मैथिल मूल के मधेसी परिवार में 27 अप्रैल 1990 में जन्मे बालेन आयुर्वेदिक चिकित्सक पिता राम नारायण शाह और ध्रुवदेवी शाह के सबसे छोटे पुत्र हैं। उनका परिवार  मधेश प्रांत के महोत्तरी जिले से काठमांडू आया। आज की तारीख में बालेन को नेपाल में नायक सरीखा दर्जा हासिल है। वह Structural Engineering में भारत के कर्नाटक के विवि (VTU) से MTech हैं। सवाल लेकिन ये है कि नगर निगम के Mayor के तौर पर काम करने और PM के तौर पर काम करने में जमीन-आसमान का फर्क है।

नेपाल में हिंसा बढ़ती जा रही है। अन्तरिम सरकार का जल्द से जल्द गठन जरूरी है। राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के रबी लामिछाने-सेना का प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल और बालेन अन्तरिम सरकार के गठन के लिए आपस में बैठने लगे हैं, ऐसी उड़ती खबर आ रही। हामी नेपाल NGO के संयोजक और Gen-Z आंदोलन के प्रमुख अगुआ में शुमार सुदन गुरुंग का नाम भी बतौर संभावित PM उभर रहा है।

 

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