
Chetan Gurung
Local Bodies Elections में मुख्य विपक्षी दल Congress आपसी जूतम-पैजार के दलदल में धँसती दिख रही। टिकट के बहाने उसके Top Commanders-सूबेदार-मनसबदार तक आपसी खुन्नस और दुश्मनी एक-दूसरे से निकाल रहे। घातक चक्रव्यूह सजाए बैठे इंतिखाबी फतह के फनकार CM पुष्कर सिंह धामी ऐसे हालात में उनकी सियासत का सदा के लिए कत्ल कर डालें तो ताज्जुब नहीं होगा।
PCC Chief karan Mahra:अपनों से हलकान
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विधानसभा चुनाव को अभी बहुत वक्त है लेकिन Congress का भविष्य Mayor-नगर पालिका-नगर पंचायत अध्यक्ष चुनाव में ही झलकने लगा है। आलम ये है कि लोकसभा-विधानसभा चुनावों में फतह दिलाने का हुनर रखने की शोहरत कायम कर चुके मुख्यमंत्री पुष्कर के झन्नाटेदार चुनावी हमलों का डट के सामना करने के बजाए Congress की टांगें आपस में ही उलझा के गिरने की सूरत हो गई है। उसके बड़े से ले के मँझोले-छुटके किस्म के नेता BJP से पहले पार्टी में मौजूद अपने दुश्मनों और प्रतिद्वंद्वियों को ख़लास करने में जी-जान से जुट गए हैं।
वे एक-दूसरे पर खुल के वार करने से नहीं हिचक रहे। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करण सिंह माहरा की घर के ही दिग्गजों से 36 का आंकड़ा था, जो अब और उफान पर आ गया है। करण की दशा आखिरी मुगल बहादुर शाह जफर सरीखी कमजोर करने के लिए BJP के बजाए उनके घर-खानदान-दल के ही लोग जिम्मेदार हैं। उन पर टिकट बेचने के खुले आरोप लगा के कुनबे वाले ही उनकी सल्तनत को जंग से पहले ही बुरी तरह झकझोर चुके हैं।
हालात ये हो चुके हैं कि PCC Chief खुद पर लगे आरोपों से बेहद खफा हैं। अपना क्रोध-झल्लाहट खुल के जाहिर करने से बचने की कोशिश भी नहीं कर रहे। टिकट बेचने के आरोप लगाने वालों पर वह खूब बरस रहे। उनके पूर्ववर्ती और Congress के Local बड़े नाम गणेश गोदियाल से भी उनकी दूरी में इजाफा हुआ है। उनसे एक टिप्पणी पर गोरखाली समाज की नाराजगी के लिए भी पर्दे के पीछे KM को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा। आरोप हैं कि उनके ईशारे पर ही गोरखाली समाज गोदियाल को घेर रहा।
घात-प्रतिघात में खुद Congress के संगठन मंत्री मथुरादत्त जोशी और पिथौरागढ़ के MLA मयूख महर के भी खुल के बोलने और उतरने से Congress की दशा जंग और चुनावी तोपों की गर्जना से पहले ही हिली दिख रही। मथुरा के दस्तखत से टिकट बांटे गए लेकिन वह अर्धांगिनी को चुनावी गंगा नहलाने में नाकाम हो गए। इसी पर वह बेहद खफा हैं। खुल के पार्टी के खिलाफ भावनाओं का सैलाब ला रहे। ये सिर्फ कुछ बानगी है। तमाम सीटों पर और निगम पार्षदों-सभासदों-सदस्यों की जंग में भी तस्वीर बहुत अच्छी नहीं है।
BJP की अगुवाई CM PSD कर रहे और उनको चुनावी समर भूमि में शिकस्त देना देश के अन्य हिस्सों में भी विपक्ष के लिए बहुत टेढ़ी खीर साबित हुआ है। मुख्यमंत्री पुष्कर ने तमाम ऐसे चुनावों की हवा खुद के बूते बदल डाली जहां BJP के लिए हालात बहुत मुश्किल या फिर उल्टे समझे जा रहे थे। बागेश्वर-बद्रीनाथ Assembly By-Elections में सियासी समीक्षकों को अंदेशा था कि BJP शायद झटका खाएगी। दोनों मुक़ाबले BJP सिर्फ मुख्यमंत्री के बूते जीती।
मुख्यमंत्री पुष्कर की सदारत में BJP में किसी किस्म की नाराजगी का एहसास तक नहीं झलक रहा। BJP के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के साथ उनका तालमेल बेहतरीन माना जाता है। देहरादून नगर निगम में युवा सौरभ थपलियाल को Mayor का टिकट दे के साफ संदेश देने में कामयाब रहे कि वह पार्टी हित के आगे किसी की की परवाह नहीं करते हैं। वक्त पर बड़े दबाव तक को झेल सकते हैं।
सौरभ की टिकट दावेदारी को कई बड़े नामों से चुनौती मिल रही थी। उनके पीछे भी बड़े सूबेदार थे। खास पहलू ये है कि सौरभ के मुक़ाबले Congress ने भी उन्हीं की तरह सौम्य चेहरा वीरेंद्र पोखरियाल `पप्पू’ उतारा है। सौरभ और पप्पू देहरादून के DAV (PG) College की पौधशाला से सियासत का ककहरा सीख के आए हैं। श्रीनगर Mayor सीट पर अलबत्ता, तगड़ी जंग देखने लायक हो सकती है। यहाँ BJP प्रत्याशी आशा उपाध्याय को मंत्री डॉ धन सिंह रावत खेमे का समझा जाता है। सीट जिताने की ज़िम्मेदारी भी अब उनकी मानी जा रही।
मुख्यमंत्री ने इस सीट पर टिकट बँटवारे में दखल नहीं दिया। Congress ने मीना रावत को आशा की उम्मीदों को ध्वस्त करने के लिए मैदान में उतारा है। श्रीनगर में BJP-Congress की जंग घमासान होने की उम्मीद लगाई जा रही। इसके नतीजे पर सभी की नजर रहेगी। साल-2027 में होने वाले Assembly Elections से पहले का ये आखिरी बड़ा चुनाव है। इसका नतीजा पुष्कर सरकार पर जनादेश भी समझा जा रहा है। साफ है कि PSD चुनाव में Congress के सफाए में कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। उनका काम Congress के ही छोटे-बड़े नेता एक-दूसरे की छिछालेदर कर खूब आसान कर रहे।