Chetan Gurung
अयोध्या में मिले गहरे जख्म को CM पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ Assembly By-Election को शानदार ढंग से फतह कर Seat BJP और उससे अधिक PM नरेंद्र मोदी को बतौर तोहफा सौंप के धो डाला। इस नतीजे को उनकी सरकार को अवाम का विश्वास मत (Vote of Confidence) मिलना भी कहा जा रहा। PSD ने उप चुनाव को बहुत सलीके-सूझबूझ और मेहनत से इस अंदाज में लड़ा कि आखिरी दौर में#NamoDhami जबर्दस्त ढंग से Trend करने लगा था। इस विजय से पुष्कर को मोदी के और लाडले में शुमार किया जाना तय है। अब PSD को उनकी पसंद का नया Cabinet मोदी-शाह दे सकते हैं। ऐसा हुआ तो कई मंत्रियों के सिर पर तलवार लटकी मानी जा सकती है। अब नई चुनौती निकाय चुनाव को जीतना होगा।
CM पुष्कर सिंह धामी ने PM नरेंद्र मोदी को उनके आराध्य बाबा केदारनाथ के डेरे की सीट का तोहफा शानदार ढंग से भेंट किया
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अयोध्या में पराजय से BJP और आला कमान में बेचैनी थी।बद्रीनाथ Assembly By-Election में समीकरणों और हालात के चलते हुई शिकस्त ने पार्टी को मोदी के आराध्य केदारनाथ बाबा के डेरे वाली सीट को जीतने के लिए बेहद बेकरार कर दिया था। पुष्कर ने ये कमान महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपने तगड़े Strike Rate के चलते मिली जिम्मेदारियों के बावजूद बहुत जीदारी से संभाली। मोदी की छांव में उन्होंने आखिरी पलों में खुद को तो चुनावी समर में झोंका ही,अपने सिपहसालारों और कार्यकर्ताओं को भी रात-दिन एक करने के लिए भरपूर प्रेरित किया।
समीक्षकों का मानना है कि केदारनाथ का By-Election इतनी आसानी से BJP की झोली में नहीं आया। इसके लिए मोदी के Brand Name-काम के साथ ही PSD की मेहनत ने बड़ी अहम भूमिका निभाई। उनके सामने दोहरी चुनौती थी। पार्टी के बाहर के हमलों के साथ ही भीतर भी चल रहे छल-फल से भी उनको पार पाना था। ताज्जुब नहीं होना चाहिए कि पहले से मोदी के Blue Eyed Boy पुष्कर की ताकत आज के बाद और बढ़ जाएगी। मुमकिन है कि उनको अपना मंत्रिमंडल अपने हिसाब से नए सूरत संग पुनर्गठित करने की इजाजत-छूट मिल जाए।
ये छिपा पहलू नहीं है कि मंत्रिमंडल को पुनर्गठित करने का हल्ला-शोर बार-बार होता रहा है।फिर अचानक ज्वार-भाटे की तरह हल्ला बैठ भी जाता रहा है।कभी लोकसभा चुनाव सामने आया तो कभी महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव तक रुकने की मजबूरी आई। मंत्रिमंडल में विस्तार भी होना है। कई सीटें खाली हैं।उस पर कई विधायकों की नजर गड़ी हुई हैं। खुद BJP के प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी मंत्रिमंडल विस्तार किस्म के बयान देते भी रहे हैं। अब शायद ये अंजाम तक पहुँच सके। चुनावों के खत्म होने के बाद अब और रुकने की मजबूरी खत्म हो गई है।
मुख्यमंत्री ने अभी तक मंत्रिमंडल का पुनर्गठन नहीं किया है। उन पर मंत्री बनने की हसरत रखने वालों और उनको बनाने की मंशा रखने वालों का भारी दबाव भी पड़ता रहता है। ताजा सियासी हालात के बाद उनको मोदी-शाह अपने पसंद का नया मंत्रिमंडल बनाने और विस्तार करने की छूट दे सकते हैं। केदारनाथ सीट BJP के पल्ले में डालने के बाद पुष्कर की TRP काफी ऊपर है। अंदरखाने की खबरों को माने तो मंत्रिमंडल में और बाहर ऐसे चेहरों की कमी नहीं है, जो पार्टी और सरकार के लिए मददगार के बजाए परेशानी की मीनार हैं।
आला कमान की हरी झंडी मिलती है तो PSD अपने मंत्रिमंडल में विस्तार के साथ ही मौजूदा में से कुछ के बदले नए और अधिक विश्वासपात्र चेहरों को मौका दे सकते हैं। पार्टी के एक बड़े नेता के मुताबिक वाकई मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों पर तलवार लटकी है और ये कपोल कल्पना नहीं है। केदारनाथ चुनाव में पुष्कर की अगुवाई में मिली फतह का बड़ा असर दिखाई देना तय है।