
Chetan Gurung
साल-2016 Batch की IAS अनुराधा पाल को आज CM पुष्कर सिंह धामी ने Commissioner (Excise) की अहम और चुनौतीपूर्ण ज़िम्मेदारी भी सौंप दी। ये तब हुआ जब 2015 Batch की IPS रचिता जुयाल ने Dream Job समझे जाने वाली नौकरी को अलविदा कहते हुए VRS ले लिया। खास पहलू ये रहा कि Excise महकमे के आयुक्त की कुर्सी और मजबूरन अंतिम दिनों में खाद्य सचिव बनाए गए IAS हरी सेमवाल बिना Extension के Retire हो गए।
CM पुष्कर सिंह धामी के दौर में महिला अफसरों को खूब प्रोत्साहित किया जा रहा है:उनके मनोबल को खूब बढ़ाया जा रहा है।
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अनुराधा के लिए शराब महकमे के HoD की ज़िम्मेदारी आसान नहीं रहने वाली है। अवैध और नकली शराब को उत्तराखंड में घुसने-बिकने से रोकना-Tax की लंबित वसूलियाँ सरकारी खजाने में जमा करवाना-Bar को वक्त पर बंद कराना और Mafia के दखल को थाम पाना आसान Task नहीं होगा। Transfer-Postings के सियासी दबावों को भी सह पाना सभी के वश का नहीं है। आबकारी महकमे में ये किसी भी अन्य महकमे से अधिक सिर दर्द वाला काम है।
मुख्यमंत्री पुष्कर को महिला अधिकारियों को प्रोत्साहित करने और कठिन तथा चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारियाँ देने के लिए खास तौर पर जाना जाता है। उनके खाते में तमाम महिला DMs-SSPs के साथ ही उत्तराखंड को पहली महिला Chief Secretary और Chief Information Commissioner देने की उपलब्धि भी है। दोनों कुर्सियों पर उन्होंने राधा रतूड़ी को बैठा के इतिहास रचा। अनुराधा को आबकारी आयुक्त सरकार ने तब बनाया जब IPS रचिता के VRS को ले के खूब शोर हर ओर यहाँ तक कि सियासी गलियारे में भी सुनाई दे रहा था।
रचिता ने खुद ही सामने आ के साफ कर दिया कि घर-परिवार के साथ खूब सलाह-मशविरा करने के बाद इस्तीफा देने का फैसला किया। इसके पीछे सिर्फ निजी कारण है। किसी किस्म की कोई नाराजगी उनको किसी से नहीं है। उनके पास भविष्य की योजनाएँ हैं। अंदरखाने की खबर ये है कि रचिता जल्द ही एक बड़ी स्वदेशी औद्योगिक समूह में ऊंचे ओहदे को संभालने की तैयारी में है। भारतीय पुलिस सेवा को छोड़ने की ये बड़ी और अहम वजह है। रचिता की एक अहम पहचान ये भी है कि वह विख्यात फिल्म Actor राघव जुयाल की भाभी हैं।
सेमवाल को उनके विवादित कार्यकाल और दबाव में काम करने के लिए खास तौर पर जाना जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर उनके कामकाज से संतुष्ट नहीं थे। जब उनकी तबीयत खराब हुई तो उनसे सभी महकमे एक-एक कर के हटा लिए गए थे। वह सचिव से सिर्फ आबकारी आयुक्त रह गए थे। ऐसे में वह सचिवालय में दफ्तर लेने के हकदार ही नहीं रह गए थे। IAS अफसर को सचिवालय से ही Retire होना होता है। उनके Retirement वाले सभी दस्तावेज़ वहीं बनते हैं। मजबूरन उनको सचिवालय में लाने के लिए अंतिम दिनों में खाद्य सचिव बनाया गया था।
सेमवाल को शराब कारोबारियों का सहयोग करने और इसके लिए DM (Dehradun) सविन बंसल से भी खुल के उलझ जाने के लिए अधिक जाना जाएगा। उनकी कार्यशैली को देखते हुए ही CM ने उनके सेवा विस्तार का फैसला नहीं किया। Congress सरकार में 11 साल पहले वह एक बार पिथौरागढ़ में Posting के दौरान के एक मामले में कठोर कार्रवाई का सामना करते-करते बच गए थे।