Big Story::Builder बाबा साहनी की आत्महत्या से पेपर्दा हुआ देहरादून में जमीन-संपत्ति का काला धंधा!माफिया-नौकरशाह-कारोबारी-राजनेताओं-पुलिस में दुरभिसंधि!बहुचर्चित अजय गुप्ता-अनिल गुप्ता की चन्द घंटों में गिरफ़्तारी पुष्कर सरकार की Zero Tolerance का नतीजा
नामी उद्यमी सुधीर विंडलास-संजय चौधरी में भी जमीन पर कब्जे-धोखाधड़ी की छिड़ी है लड़ाई:राजनेताओं-IAS-IPS-अफसरों के पास बेहिसाब बेनामी संपत्तियां!

ChetanGurung
राजधानी की तमाम बड़ी और अहम-अरबों की कीमत वाली भव्य इमारतें-Shopping Mall-Housing Society के Construction से जुड़े नामी Builder बाबा साहनी (सतेन्द्र सिंह) की 8वीं मंजिल से कूद के जान दे देने से राजधानी की High Profile Society-आला अफसरों-नेताओं और तमाम किस्म के कारोबारियों में खलबली मची हुई है.ये भी कह सकते हैं कि कईयों की सिट्टी-पिट्टी गुम है.South Africa में सियासी खलबली मचा के भागे सुर्ख़ियों में रहने के आदी अजय गुप्ता की हाथों-हाथ इस मामले में गिरफ़्तारी से बड़े और कथित रसूखदारों में CM पुष्कर सिंह धामी ने खौफ कायम कर दिया है.बाबा की मौत के साथ ही जमीन और Real Estate के कारोबार में अब सवाल एक बार फिर से जिंदगी और मौत का उठने लगा है.UP से उत्तराखंड के अलग होने के तकरीबन एक दशक तक पश्चिमी UP के कुख्यात Don के दबदबे के बाद माहौल शांत होने लगा था.अब नई किस्म के शातिर-माफिया-दबंग राजधानी में दबदबा कायम कर अपना काला Empire खड़ा करने और जमाने में जुट चुके हैं.इस पर अंकुश पुलिस और सरकार के लिए सबसे नई और बड़ी चुनौती बन चुकी है.
CM Pushkar Singh Dhami-माफिया कितना भी रसूखदार हो, नहीं छोड़ा जाएगा
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देहरादून में उत्तराखंड बनने के तुरंत बाद ही जमीन बहुत महँगी होने लगी थी.तकरीबन 5 गुणी तो तत्काल हो गई थी.फिर ये तेजी से महँगी होती चली गई.दुनिया में आर्थिक मंदी (साल-2008) में भी इस कारोबार पर फर्क नहीं पड़ा.Covid-19 ने सारे धंधे ठप्प कर दिए.सिवाय Real Estate के.देहरादून और उत्तराखंड में सबसे ज्यादा और सूर्य की रोशनी की रफ़्तार से मुनाफा देने वाला धंधा जमीन का ही हो चुका है.गुजरे 7-8 सालों में आलम ये है कि जिन जमीनों की कीमत 1 हजार रूपये गज दूर-देहातों-दुर्गम इलाकों में थी, वह भी आज 8-9 हजार रूपये गज हो चुकी है.इस धंधे ने अवैध कब्जों-झगड़ों-कानूनी विवादों को ऑक्सीजन दी.
DGP अभिनव कुमार (बाएँ):सख्त और तत्काल कार्रवाई की ख्याति
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देहरादून में जमीनों की बढ़ती कीमतों का अंदाज और अहसास करना है तो पुरकुल गांव-मसूरी रोड को देख लें.किस बुरी कदर दोनों जगह की धरती को नोच और छील के माफिया दोनों हाथों से पैसा बटोर रहे.अवैध कब्जे और अतिक्रमण का हाल इन दो जगहों के साथ ही राजपुर रोड पर Diversion के बाद बाईं तरफ देख सकते हैं.नालों-नदियों को पाट और जंगलों को काट-फांड़ दिया गया है.बंगले-होटल-रेस्तरां-सोसायटी बन रही हैं.किमाड़ी गांव और उसकी तरफ जाने वाली सड़क (गजियावाला-घटटेखोला से हो के) पर जंगल को उजाड़ के जबर्दस्त Plotting-होटल-Housing सोसायटी खड़े होते जा रहे.सरकारी मशीनरी-राजनेता-नौकरशाह-माफिया में गठजोड़ पर्यावरण और शांति-सुकून के लिए विख्यात देहरादून को लूटने-बदसूरत करने में जुटे हैं.MDDA-आवास-वन-खनन महकमा-प्रशासन की ख़ामोशी उनकी मिलीभगत का इशारा ज्यादा करती है.
Baba Sahni (Satender Singh)
Ajay Gupta (Right) and Anil Gupta (blue T shirt)
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पूर्व की सरकारों ने भी आँखें बंद करने को बेहतर समझा.यूं ही कई विधायक-मंत्री आज अनाधिकारिक तौर पर करोड़पति-अरबपति नहीं हैं.उनकी पृष्ठभूमि देख लें.मजदूरों से बदतर हालत हुआ करती थी.उनका साथ इस गोरखधंधे में नौकरशाह-भू माफिया देते हैं. आज आलम ये है कि कई बड़े और नामी कारोबारी अपने मूल कारोबार से ज्यादा तवज्जो या तो जमीनों और Real Estate के धंधे को दे रहे हैं या उसमें अधिक दिलचस्पी ले रहे हैं.ऐसे मंत्री-MLAs-IAS-IPS कम ही होंगे जिनकी संपत्ति और फार्महाउस देहरादून या फिर पहाड़ों में खूबसूरत Locations पर न हो.
सुधीर विंडलास को उत्तराखंड के बहुत बड़े कारोबारियों और धन कुबेरों में शुमार किया जाता है.उनका खानदान दशकों से इज्जत पाता रहा है.सियासी रसूख भी रखते हैं.वह भी जमीनों और Real Estate के धंधे में कूद चुके हैं.इसके बावजूद जमीन के फर्जीवाड़े में जेल की हवा खा चुके हैं.सरकारों और तंत्र पर मजबूत पकड़ के बावजूद सलाखों के पीछे जाने का मायने ये निकलता है कि उनको छूट देने की कोई Window खुली नहीं रह गई थी.इसलिए भी कि उनके मुक़ाबिल जमीन विवाद में जो संजय चौधरी खड़ा था, वह भी छोटी मछली नहीं है.उनके साथ भी कई बड़े मगरमच्छ थे.विंडलास से लड़ाई मोल लेने का दम इतना आसान नहीं हो सकता.जोहड़ी गाँव में जिस 19-20 बीघा जमीन को ले के दोनों में कानूनी लड़ाई छिड़ी है, वह करोड़ों की है.इस जंग ने खूब सुर्खियाँ लूटी थीं.ये मामला अभी अदालत में न जाने कब तक चलेगा.
देहरादून में UP की पृष्ठभूमि वाले कई दबंग और डॉन जमीनों-शराब और खनन के धंधे में राज्य गठन से पहले से थे.उत्तराखंड के गठन के कुछ ही साल बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक बड़े Don की देहरादून में रहने वाले अपने एक पूर्व सहयोगी से जमीन के मामले में ही गहरी ठन गई थी.उत्तराखंड पुलिस ने इस मामले में बेहद सक्रियता दिखा के उस डॉन को तब सालों तक भारत की धरती से ही बाहर रहने के लिए मजबूर कर दिया था.उस मामले में भी कई बड़े-बड़े नौकरशाहों और राजनेताओं की यारी का मामला अंदरखाने उछला था.तब जमीनों के खेल में आमतौर पर शातिर बदमाश और डॉन घुसे हुए होते थे.आज बड़े कारोबारी-राजनेता और नौकरशाह-पुलिस जमीनों के खेल में हिस्सेदार हैं.
बाबा साहनी कथित आत्महत्या मामले की भी जांच ढंग से हो तो कई बड़े सफेदपोश-राजनेता-अफसरों की पोल पट्टी खुल सकती है.Suicide नोट में बाबा ने अजय गुप्ता को मुख्य तौर पर अपने अंत के लिए जिम्मेदार ठहराया है.इसमें उनके जीजा अनिल गुप्ता का भी जिक्र है.सुसाइड नोट से लब्बोलुआब ये निकला है कि दोनों ने बाबा को बहुत अधिक परेशान किया.धमकाया और उसको एक किस्म से तबाह करने की कोशिश की.वह दबाव नहीं सह सके और उसी Pacific Golf Estate की आठवीं मंजिल से कूद के जान दे दी, जिसका निर्माण उनकी कम्पनी ने ही किया था.सुसाइड नोट में लिखा गया है कि अजय गुप्ता ने चालबाजी से उसके साथ पार्टनरशिप की.फिर अपने साथ मौजूद हथियारबंद पुलिस की भीड़-दक्षिण अफ्रीका में उसकी करतूतों का हवाला अपनी दबंगई के तौर पर दे के आए दिन तनाव दे रहा था.
खास बात ये है कि आत्महत्या वाला पत्र PM नरेंद्र मोदी और CM पुष्कर सिंह धामी को संबोधित है.बाबा का नाम निर्माण की दुनिया में बहुत तेजी से उभरा था.ये उनके पिता का शुरू किया धंधा था.बताया जा रहा है कि देहरादून में Pacific Golf Estate-कुछ Universites और 1 जून को हरिद्वार रोड पर खुल रहे देहरादून के सबसे बड़े मॉल Mall of Dehradun का निर्माण कार्य उनकी ही कंपनी ने किया है.भवन निर्माण की दुनिया की शीर्ष हस्ती की आत्महत्या से जबर्दस्त खलबली-बेचैनी और सन्नाटे का आलम सियासत-जमीनी-Real Estate कारोबार से जुड़े लोगों और नौकरशाही में है.
ये सवाल जरूर उठ रहा है कि कारोबार में तनाव भर से क्यों बाबा ने खुद को ख़त्म करने का इतना बड़ा फैसला ले लिया.उनको न बड़ा घाटा हुआ था न ही अभी जान पर बन आने का साफ़ संकेत मिला था!सहारनपुर के अजय गुप्ता ने अपने भाइयों के साथ दक्षिण अफ्रीका की सियासत में जलजला और तूफ़ान पैदा कर हालात माकूल न होने पर बचने के लिए फिर India का रुख किया.अब वह उत्तराखंड में भी वही हालात पैदा करते नजर आने लगे हैं.उनके दबदबे के चलते समझा जा रहा था कि पुलिस बाबा साहनी आत्महत्या मामले में जल्द उन पर हाथ नहीं डालेगी.अंदरखाने की खबर है कि CM पुष्कर सिंह धामी ने राजधानी से बाहर होने के बावजूद इस मामले में DGP अभिनव कुमार को सख्त हिदायत दी कि कानूनी तौर पर जो उचित हो, वह कार्रवाई करने से कतई न हिचका जाए.इसके बाद तत्काल ही अजय अपने जीजा के साथ राजपुर थाने की हवालात में पसरे और सलाखों के पीछे खड़े दिखे.