उत्तराखंडराजनीति

BJP-Congress के तमाम प्रत्याशियों के सियासी भविष्य पर भी फैसला!कुछ हद तक TSR छोड़ बाकी 4 मोदी-शाह-पुष्कर के भरोसे

PM नमो बेहद Busy:11 अप्रैल को ऋषिकेश से एक साथ साधेंगे पौड़ी-टिहरी-हरिद्वार सीट: अपने प्रत्याशियों के लिए के लिए गदा घुमा-तलवार भांज रहे PSD

ChetanGurung

देवभूमि में BJP और Congress के तमाम प्रत्याशियों की सियासी जिंदगी पर लोकसभा चुनाव के नतीजे फैसलाकून असर छोड़ेंगे.त्रिवेंद्र सिंह रावत को छोड़ BJP के बाकी 4 प्रत्याशियों के बाबत माना जा रहा है कि वे फतह के लिए पूरी तरह PM नरेन्द्र मोदी-HM अमित शाह-CM पुष्कर सिंह धामी की तिकड़ी पर निर्भर हैं.TSR-1 का खुद का भी काफी हद तक वोटर पर असर है.PSD की TRP की जरूरत लेकिन उनको भी है.Congress प्रत्याशियों की दशा और ढीली नजर आ रही.सिवाय गणेश गोदियाल (पौड़ी से प्रत्याशी) के.नतीजे माफिक न होने पर भी उनको कोई फर्क शायद ही पड़ेगा.PM नरेंद्र मोदी को उत्तराखंड में विजय की गारंटी माना जाता है.वह इस बार बेहद व्यस्त हैं.उनकी जनसभा हर सीट पर मुमकिन नहीं है.उनकी उपलब्धता की कमी को पूरा करने का जिम्मा PSD उठाए हुए हैं.वह सुबह-दोपहर-शाम-रात अपने प्रत्याशियों के लिए कोने-कोने-पहाड़-कंदराओं-गलियों-चौबारों-मैदानों तक पहुँच के लोगों को पार्टी प्रत्याशियों में यकीन करने के लिए मनाने में व्यस्त हैं.मोदी की अब 11 अप्रैल को IDPL-ऋषिकेश में एक ही रैली होनी है.इससे पौड़ी-टिहरी-हरिद्वार सीट को Cover करने की कोशिश की जा रही है.इतना जरूर है कि उत्तराखंड में Party का जबरदस्त प्रदर्शन पुष्कर की ताकत-कद को बहुत बढ़ा देगा.

BJP में एक से एक बड़े चेहरे और कद्दावर नाम लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए सालों से बाट जोह रहे.ऐसे में किसी भी प्रत्याशी के पास ये Immunity नहीं होगी कि वह न जीत पाने पर भी अगली बार फिर चुनाव लड़ने के फिर दावेदार हो जाए.या फिर पार्टी में असरदार रह सके.कुमायूं से शुरू करें.सभी जानते हैं कि पुष्कर मंत्रिमंडल की सदस्य रेखा आर्य किस तरह लगातार 3 लोकसभा चुनावों में अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ सीट के टिकट के लिए हाड़-मांस गला चुकी हैं.उनके दावे को एक तरफ कर आला कमान ने फिर अजय टम्टा पर ही भरोसा करना बेहतर समझा.AT एक बार भी नाकाम हुए नहीं कि RA उनको बेदखल कर देंगी.

 

PM और Brand नरेंद्र मोदी की कम उपलब्धता के चलते CM पुष्कर सिंह धामी अपनी लोकप्रियता को लोकसभा चुनाव में भुनाने के पार्टी प्रत्याशियों के लिए मजबूत प्लेटफार्म तैयार करने में जुटे हुए हैं

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नैनीताल-उधमसिंह नगर से केन्द्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट को भी टिकट की लड़ाई में परास्त करने के लिए एक से एक दिग्गज जुटे हुए थे.उन पर मोदी-शाह का यकीन था और खुद CM पुष्कर उनको एक बार फिर लोकसभा में देखना चाह रहे थे.AB की एक भी चूक उनके सियासी जिंदगी पर भारी पड़ सकती है.टिहरी की महारानी माला राज्यलक्ष्मी को सबसे खुशकिस्मत-तकदीर वाली माना जाता है.इसलिए कि उनके बारे में धारणा है कि वह इकलौती ऐसी MP हैं जो बिना कुछ किए टिकट झटक लेती हैं.बिना मेहनत हर बार विजयश्री उनकी गोद में आ गिरती रही है.BJP के कार्यकर्ताओं इस बार उनकी जगह किसी भी अन्य चेहरे को देखने की इच्छा रख रहे थे.

अहम पहलू ये है कि पार्टी के पास टिहरी सीट से मजबूत नामों की कमी नहीं है.बस रानी की तकदीर से कोई पार नहीं पा सक रहा.इसीलिए शायद वह महारानी हैं.इस बार पार्टी में उनको ले के कार्यकर्ताओं में जोश न होने पर भी उनको Congress प्रत्याशी जोत सिंह गुनसोला के सामने फिर भी सशक्त समझा जा रहा. BJP प्रत्याशी को कड़ी टक्कर देने के लिए नौजवान Independent प्रत्याशी बॉबी पंवार को गुनसोला से अधिक सक्षम माना जा रहा है.

पौड़ी में अनिल बलूनी ने प्रत्याशी के संघर्ष में एक Ex CM तीरथ सिंह रावत को निराश और एक अन्य पूर्व CM त्रिवेंद्र सिंह रावत को लड़ने के लिए हरिद्वार जाने के लिए मजबूर कर दिया.पार्टी नियंताओं के करीबी बलूनी को उत्तराखंड में खुद को मजबूत स्तम्भ के तौर पर स्थापित करने के लिए सिर्फ जीत जाना काफी नहीं होगा.उनको विजय अंतर भी भारी-भरकम रखना होगा.अन्य पार्टी प्रत्याशियों की तुलना में उनको Congress ने मजबूत चेहरा दे के उनके साथ ही CM पुष्कर को Extra दौड़-धूप करने के लिए मजबूर किया हुआ है. AB के सामने गणेश गोदियाल हैं.वह बिना किसी तैयारी के 11वें घंटे में मनीष खंडूड़ी के मैदान-पार्टी छोड़ BJP में चले जाने के बाद कांग्रेस का झंडा सँभालने उतारे गए.

बलूनी के प्रत्याशी बनने से रमेश पोखरियाल निशंक को भी गहरा झटका लगा.उनकी हरिद्वार सीट पर पौड़ी में भी दावेदार रहे त्रिवेंद्र को Adjust किया गया.पूर्व CM-पूर्व केन्द्रीय मंत्री निशंक अब एकदम और अचानक खाली से हो गए हैं.उनके पास कोई काम नहीं रह गया है.त्रिवेन्द्र ने उनको ही सक्रिय सियासत से एक किस्म से फिलहाल रुखसत कर दिया.पौड़ी सीट हमेशा ही बेहद अहम रही है.यहाँ टिकट हासिल करना-जीतना और फिर अगली बार फिर टिकट लेना किसी के लिए भी कभी हंसी-खेल नहीं रहा है.त्रिवेंद्र को हैरानी भरे माहौल में CM की कुर्सी से अचानक विदा कर दिया था.निजी तौर पर उनकी प्रतिष्ठा खराब नहीं थी.बस आला कमान को अचानक वह खटक गए थे.

3 साल उपेक्षित रहे TSR-1 को अच्छे से समझ आ चुका होगा कि कौन उनके हितैषी हैं और कौन सिर्फ अच्छे दिनों के साथी!सीधे केन्द्रीय सियासत में प्रवेश और फिर से खुद को मजबूत स्तम्भ साबित करने के लिए उनके पास ऐसा बेहतरीन मौका दुबारा शायद फिर नहीं आएगा.उनके लिए भी समझा जा रहा है कि वह तकदीर वाले हैं.इसलिए कि उनको भी बहुत टक्कर देने वाले प्रत्याशी नहीं मिले.कांग्रेस ने हरीश रावत के बेटे वीरेन्द्र को उनके सामने उतारा है.उमेश शर्मा भी उनके सामने ताल ठोंक रहे.वह किस हद तक चुनौती देंगे, इस पर भी नजर रहेगी.BJP प्रत्याशियों और ख़ास तौर पर उत्तराखंड में मोदी नाम जीत की गारंटी रहा है.BJP का जो भी प्रत्याशी सीट नहीं निकाल पाएगा उसके सियासी भविष्य पर बहुत बड़ा ताला लग जाए तो ताज्जुब नहीं होगा.

BJP प्रत्याशियों के लिए दिक्कत ये है कि उनको Brand मोदी की जनसभा रुद्रपुर के बाद सिर्फ ऋषिकेश में मिली है.देश भर में घूम-घूम के प्रचार करने में बेहद व्यस्त होने के चलते PM के लिए संभव नहीं हो पा रहा है कि वह उत्तराखंड में एक और जनसभा कर सके. मोदी की व्यस्तता और कम उपलब्धता के चलते BJP प्रत्याशियों को मजबूत करने और लोगों में उनके प्रति विश्वास भाव जगाने के लिए मुख्यमंत्री जम के दौड़-धूप कर रहे.वह गदा घुमा रहे-तलवार खुल के भांज रहे. हर दिशा-जगह खुद की मौजूदगी दर्ज कराने के चलते पुष्कर को Phantom के तौर पर भी पुकारा जाने लगा है.अपने प्रत्याशियों के लिए ऐसी कोई जगह नहीं है, जहाँ वह बार-बार न पहुँच रहे हों और वोट-समर्थन न जुटा रहे हों.उनकी जनसभा और Road Show में भीड़ हैरान करती है. प्रत्याशियों में भी पुष्कर की मांग खूब है.

Congress में टम्टा-प्रकाश जोशी (नैनीताल-उधमसिंह नगर सीट)-गुनसोला-वीरेंद्र के लिए जीने-मरने का सवाल है.ये सभी वे नाम हैं, जिन्होंने टिकट के लिए खुद भी जम के कोशिशें की.उनके सामने हारना बहुत बड़ा ख़तरा होगा.विजय दर्ज न कर पाने की सूरत में उनको फिर कभी टिकट ले पाना सूरज को रोशनी की लड़ाई में दिए से हराना सरीखा होगा.गोदियाल जरूर ख़ामोशी के साथ बैठे थे.मुकाबला जीते या गंवाए उनको तकलीफ नहीं होगी.वह पार्टी की इच्छा पर लड़ रहे.किसी ठोस प्रत्याशी की अनुपलब्धता पर.ये बात अलग है कि सबसे दिलचस्प लड़ाई इस वक्त पौड़ी सीट पर ही है.दो युवा संभावनाशील चेहरों के बीच कौन बाजी मारेंगे,इस पर सभी का ध्यान है.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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