उत्तराखंडराजनीति

लोकसभा महासमर!हरिद्वार में हरीश रावत के साहबजादे वीरेन्द्र-नैनीताल व उधमसिंहनगर में प्रकाश जोशी पर `हाथ’:एक छोड़ हर सीट पर सीधे मोदी-पुष्कर से भिड़ना बेहद मुश्किल चुनौती!

ChetanGurung

Congress ने हरिद्वार सीट पर Ex CM हरीश रावत के साहबजादे वीरेन्द्र रावत और नैनीताल-उधमसिंह नगर सीट पर प्रकाश जोशी पर यकीन रखते हुए Candidate घोषित किया लेकिन 5 में से 1 को छोड़ हर सीट पर Party के लिए सीधे PM नरेंद्र मोदी और CM पुष्कर सिंह धामी से भिड़ना बेहद मुश्किल चुनौती मानी जा रही.ये अंदाज लगाया जा रहा है कि BJP के लिए हालात उसी सूरत में कड़वे हो सकते हैं,जब उसके खुद के ही घर में भीषण-जानलेवा मुठभेड़ हो जाए.दो राय नहीं है कि उत्तराखंड में मोदी-पुष्कर के सहारे ही उनके प्रत्याशी चुनावी वैतरणी पार कर सकेंगे.ये भी कि खुद प्रत्याशियों की भी झोली में कुछ माल-मसाला होना चाहिए.नजर साफ़ करने के लिए थोड़ी नजर का होनजरूरी है.

CM Pushkar Singh Dhami will play vital role along with PM Narendra Modi in loksabha elections in uttarakhand’s all five seats

कांग्रेस ने 3 सीटों (टिहरी-पौड़ी और अल्मोड़ा-पिथौरागढ़) पर काफी पहले प्रत्याशी घोषित कर दिए थे लेकिन हरिद्वार और नैनीताल-उधमसिंह नगर सीट पर वह उलझ गई थी.इसके पीछे मजबूत प्रत्याशी की तलाश और टिकट को ले के झंझावतों को जिम्मेदार माना जा रहा था.हरिद्वार में अधिक दिक्कत आ रही थी.वहां हरीश या उनके पुत्र वीरेन्द्र पर दांव खेला जाए, इस पर कांग्रेस भारी कशमकश में फंसी रही.हरीश की इच्छा के मुताबिक आखिर जवां खून पर यकीन करने पर फैसला हुआ.

नैनीताल-उधमसिंह नगर में नए-नए नामों की चर्चाएँ थीं लेकिन यहाँ भी उबलते खून प्रकाश जोशी पर कांग्रेस ने भरोसा करने का फैसला किया.यहाँ प्रकाश के सामने हेवीवेट BJP प्रत्याशी केन्द्रीय मंत्री अजय भट्ट हैं.यह वह सीट है जहाँ CM पुष्कर सिंह धामी का सीधा जलवा है.हरिद्वार सीट पर पूर्व CM त्रिवेंद्र सिंह रावत को सियासत में नौसिखुआ वीरेन्द्र कड़ी टक्कर दे पाएंगे या उनको सियासी समर में शहीद कर सकेंगे, इस पर तगड़ा सट्टा लगाया जा सकता है.

पौन तीन साल सियासी वनवास गुजारने के बाद त्रिवेन्द्र अपनी धमाकेदार वापसी के लिए जान लगा देंगे, इसमें कोई शक नहीं है.इस सीट पर जंग को सेब बनाम संतरे के तौर पर ले सकते हैं.चुनाव नतीजे साबित करेंगे कि कौन सेब है और कौन संतरा!त्रिवेन्द्र के लिए ये अभी नहीं तो कभी नहीं वाला दौर है.ये वह खुद बाखूबी जानते हैं.उन्होंने अपनी निजी और पार्टी की काफी बड़ी कुमुक पौड़ी से उतार के हरिद्वार में झोंक दी है.ये इतनी अधिक है कि इसका असर पौड़ी सीट की जंग में BJP और प्रत्याशी अनिल बलूनी की लड़ाई पर पड़ सकता है.त्रिवेंद्र पौड़ी से भी टिकट मांग रहे थे.उनका इस सीट पर भी तगड़ा असर था.

कांग्रेस ने पौड़ी से गणेश गोदियाल-टिहरी से जोत सिंह गुनसोला और अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ से प्रदीप टम्टा को उतारा है.खास पहलू ये है कि टिहरी सीट पर BJP के ही तमाम लोग दिल से चाहते थे कि महारानी माला राज्यलक्ष्मी के बजाए किसी और मजबूत युवा चेहरे को प्रत्याशी बनाया जाए.कयास भी लगने लगे थे कि शायद BJP महारानी का विकल्प पेश करेगी.ऐसा हुआ नहीं और उनको ही एक बार फिर चुनावी मोर्चे पर उतार दिया.BJP और महारानी के लिए शायद इससे अच्छा नहीं हो सकता था कि कांग्रेस ने संग्रहालय से निकाल के गुनसोला को मैदाने चुनाव में उतार दिया.

गुनसोला के बजाए कोई भी दूसरा ठीक-ठाक चेहरा कांग्रेस प्रत्याशी होता तो महारानी-BJP के माथे पर निश्चित तौर पर भारी शिकन होती.गुनसोला सियासत की दुनिया से तकरीबन खो चुके थे.वह Cricket की रंगीन-विवादित दुनिया में रम गए थे.इतना कि अपने सियासी गुरु और कांग्रेस के दिग्गज हीरा सिंह बिष्ट को क्रिकेट की सियासत में बार-बार जलील तक करने से नहीं चूके.हीरा ही उनको क्रिकेट और सियासत में स्थापित करने वाले थे.कुछ दिन पहले तक वह देश भर में बेहद विवादित और बदनाम Cricket Association of Uttarakhand के अध्यक्ष थे.

गुनसोला पर UP Lobby के ईशारों पर उठने-बैठने-पहाड़ की किशोरी क्रिकेटरों के यौन शोषण और भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन देने या फिर आँखें मूंदे रहने के गंभीर आरोप खुल के लगे.उनकी क्रिकेट लॉबी से जुड़े तमाम लोग गंभीर आपराधिक मामलों में मुकदमे झेल रहे.उनके खासमखास या फिर जिनके इशारों पर वह चले उस CaU के सचिव माहिम वर्मा और उनके पिता पूर्व CaU सचिव PC वर्मा अलग-अलग आरोपों में जमानत पर हैं.BJP के लोगों में महारानी को प्रत्याशी बनाए जाने की निराशा देखी जाए तो गुनसोला के कांग्रेस प्रत्याशी बन जाने से अधिक बढ़ी है.

अब महलों वाली की राह निष्कंटक मानी जा रही है.उल्टे नतीजे को सिर्फ अप्रत्याशित माना जाएगा.देश में सियासी आलम इस बार 5 साल पहले सा नहीं माना जा रहा है लेकिन उत्तराखंड में एक सीट के अलावा सभी सीटों पर कमल के खिलने की सम्भावना प्रबल समझी जा रही है.देवभूमि में मोदी का असर और पुष्कर की मेहनत के तिलिस्म के बावजूद खुद प्रत्याशियों के लिए भी कुछ अंक जुटाना इस बार संसद के निचले सदन में पहुंचने के लिए जरूरी होगा.

 

 

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