
ChetanGurung
हाल ही में गृह सचिव बनाए गए शैलेश बगौली की जगह चुनाव आयोग ने साल-2003 Batch के IAS अफसर दिलीप जावलकर को उत्तराखंड का नया नया गृह सचिव बनाया है.उनको फ़ौरन Charge लेने के आदेश दिए गए हैं.Congress ने भी जोश में आ के DGP अभिनव कुमार को बदलने की मांग आयोग से की है.आयोग को भेजे गए ज्ञापन में दिए गए तर्कों में हालाँकि दम नहीं दिखता है.दिलीप के पास वित्त विभाग का भी अहम जिम्मा है.
चुनाव आयोग ने उत्तराखंड समेत 6 राज्यों के गृह सचिव कल हटा दिए थे.सचिव (गृह) का जिम्मा शैलेश बगौली के पास था.वह CM के सचिव भी हैं.इसी आधार पर उनसे गृह विभाग ले लिया गया.लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पुलिस की अहम भूमिका और गृह सचिव के पास उसकी पूरी कमान रहती है.CM के सचिव रहने के चलते आयोग और चुनाव की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर आंच न आए, इसके लिए आयोग गृह विभाग CMO से इतर जिम्मेदारी वाले अफसरों को देने में यकीन रखता है.
शैलेश को CM पुष्कर सिंह धामी के बेहद विश्वासपात्रों और करीबियों में शुमार किया जाता है.आसार यही है कि पहले चरण के चुनाव ख़त्म होने पर या फिर आचार संहिता हटने की दशा में शैलेश को फिर गृह में लाया जाएगा.उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव पहले चरण में हैं.गुजरात-बिहार-झारखण्ड-UP-HP के भी गृह सचिव आयोग ने हटा दिए हैं.हटाने की वजह और भी कई आरोप और संदेह के बादल रहते हैं.
उत्तराखंड के Chief Secretary रहे डॉ सुखबीर सिंह संधू यहाँ से जनवरी में Retire होने के बाद हाल ही में चुनाव आयुक्त बने हैं.उनको उत्तराखंड की नौकरशाही और एक-एक गणित की पूरी जानकारी है.शैलेश के हटने की एक बड़ी वजह EC को उत्तराखंड नौकरशाही की पूरी जानकारी होना भी है.दिलीप उत्तराखंड में जितने भी गृह सचिव अभी तक बने हैं, उनमें सबसे जूनियर बैच के हैं.गृह सचिव के लिए उत्तराखंड सरकार ने 3 नामों का पैनल ECI को भेजा था.
अभी तक साल-2002 Batch गृह सचिव के लिए सबसे जूनियर बैच हुआ करता था.पहले त्रिवेन्द्र सिंह रावत के वक्त गृह सचिव रहे नितेश कुमार झा और शैलेश का बैच (साल-2002) एक ही है.ख़ास पहलू ये है कि DGP 1996 batch के हैं.गृह सचिव और DGP भले अलग-अलग Cadre से हैं लेकिन दोनों के बैच में 7 साल का बड़ा अंतर है.
Retire हो गए अशोक कुमार के DGP रहने और नितेश के गृह सचिव रहने के दौरान ये अंतर और बड़ा 14 साल का हुआ करता था.ऐसी सम्भावना जतलाई जा रही थी कि ईलाज के बाद काम पर लौटे हरी सेमवाल को फिर आबकारी सचिव बनाया जा सकता है.शैलेश पर आयोग और डॉ संधू के फैसले के बाद इसकी उम्मीद फिलहाल तो शून्य दिख रही.
अंदरखाने की खबर है कि CS रहने के दौरान डॉ संधू सेमवाल के कामकाज से रत्ती भर खुश नहीं थे.अहम मौके पर उनको आबकारी सचिव वह नहीं बनाएंगे.प्रमुख सचिव L फैनई और आबकारी आयुक्त प्रशांत आर्य की छवि और कार्य शैली आयोग को संतुष्ट करने के लिए काफी है.सेमवाल के हाथ से आबकारी आयुक्त की कुर्सी भी हाल ही में उनके बीमार रहने के दरुआन निकल के प्रशांत के नीचे जा लगी है.
चुनाव आचार संहिता के दौरान चुनाव आयोग ही सरकार होता है.अफसरों के तबादले करने के अधिकार भी उसके पास चले जाते हैं.पूरा System उसके आधीन चला जाता है.CS-DGP-HofF से ले के निचले स्तर तक के कर्मचारी उसके ईशारे पर चलने के लिए बाध्य होते हैं.DM जिला निर्वचन अधिकारी हो जाते हैं.वे-SSPs सीधे आयोग को Report करते हैं.
कांग्रेस ने DGP अभिनव कुमार को CM पुष्कर का पूर्व में विशेष प्रमुख सचिव होने की दुहाई देते हुए उनकी जगह नए Police Chief की तैनाती की गुजारिश की है.कांग्रेस के तर्क में इसलिए दम नहीं है कि पूर्व में CMO में काम करना किसी को मौजूदा ओहदे से हटाने का इकलौता आधार कभी नहीं माना गया है.
सरकार से जुड़ी पार्टी को गलत तरीके से मदद पहुँचाना अलबत्ता गलत माना जाता है.ऐसा कुछ साबित हो तो आयोग उसको फ़ौरन हटा देता है या फिर संवेदनशील आरोप हो तो मुअत्तल भी कर देता है.अभिनव इस किस्म के किसी भी आरोप के दायरे में नहीं आते हैं.