Chetan Gurung
परमार्थ निकेतन आश्रम (ऋषिकेश) के अध्यक्ष व आध्यात्मिक प्रमुख स्वामी चिदानन्द ने जलसंकट की बढ़ती समस्या के मुख्य कारणों में लोगों में चेतना का आभाव भी प्रमुख रूप से शामिल है।
आज ग्राफिक एरा में आयोजित H2O Movement walk for water कार्यक्रम को Online कहा कि जल संरक्षण के लिए जीवन शैली में छोटे-छोटे बदलावों को आत्मसात करना आवश्यक है। स्वच्छ पानी की अनुपलब्धता कई घातक रोगों को जन्म देती है।
उन्होंने पानी के संरक्षण के लिए पौधा रोपण करने और तन व मन को हमेशा साफ रखने का आह्वान किया। Give Life Foundation चेयरमैन डा. बराट फिशर ने बोन मैरो रजिस्ट्री की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि पानी की तरह स्टैम सेल भी जीवन का आधार है। बोन मैरो में पाये जाने वाले स्टैम सेल विभिन्न तरह की रोगों के ईलाज में कारगर होते हैं। मैती आन्दोलन के संस्थापक पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने राज्य में घटते पानी के स्त्रोतों की समस्या पर कहा कि पानी उत्तराखण्ड की संस्कृति और यहां की परम्पराओं में रचा बसा हुआ है। मनुष्य की गतिविधियों से हिमालय, ग्लेशियर, वन व पेड़ पौधे खतम हो रहे हैं. इस वजह से पानी का संकट बढ़ रहा है।
इस संकट से मनुष्य के साथ ही जानवर भी प्रभावित हो रहे हैं। आज ईको फ्रैन्डली व्यवहार अपनाने की जरूरत है.बिसलरी के CEO एन्जलो जोर्ज ने कहा कि जल संकट बड़े से बड़े व्यापार के लिए भी घातक साबित हो सकता है। एक लीटर पानी की बोतल को उपभोक्ता तक पहुँचाने में 14 लीटर पानी बर्बाद होता है। अन्य जल पदार्थों में यह संख्या और भी ज्यादा है। Carbon Credit सरीखा Water Credit Concept जल संरक्षण को बढ़ावा देने में मददगार साबित होगा। कम से कम प्लास्टिक का उपयोग करना होगा।
Windlass बायोटेक के चेयरमैन अशोक कुमार ने पानी के संरक्षण के लिए खुद में बदलाव लाने और आगे आकर काम करने की बात कही। परमार्थ निकेतन की आध्यात्मिक नेता साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि दुनिया में अधिकांश लोगों की मृत्यु स्वच्छ पानी की उपलब्धता न होने की वजह से होती है। शाकाहारी जीवन अपनाने, प्राकृतिक उत्पादों से बने कपड़ों का प्रयोग करने और जिम्मेदारी से पानी का उपयोग करने से जल संकट से निपटने में सहायता मिलेगी।
सामाजिक कार्यकर्ता व पैक्ट की संस्थापक संजना जॉन ने ऐथिकल कनज्यूमर बनने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। ग्लोबल स्कूल की छात्रा पंखुड़ी ने जल संकट की समस्या पर विचार रखे. छात्राओं ने नृत्य प्रस्तुति दी. संचालन डा. दीपशिखा शुक्ला ने किया। फैशन डिजाइन विभाग की HoD डा. ज्योति छाबड़ा ने धन्यवाद किया। इस अवसर पर ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी, ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी और ग्राफिक एरा ग्लोबल स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाओं व छात्र-छात्राओं ने रैली निकालकर जल संकट के प्रति जागरूकता फैलाने का सन्देश दिया। पौधा रोपण भी किया गया।
कार्यक्रम का आयोजन ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग और ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी ने मिलकर किया। कार्यक्रम में ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी के कुलपति डा. नरपिन्दर सिंह, ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के कुलपति डा. संजय जसोला, डीम्ड यूनिवर्सिटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के HoD डा. के के. गुप्ता और समन्वयक डा. संजीव कुमार भी मौजूद रहे।