
Chetan Gurung
Graphic Era Hospital के विशेषज्ञ Doctors ने सर्जरी के जरिए पार्किंसन्स से पीड़ित वृद्धा का सफल ईलाज कर दिखाया। राज्य व आस-पास के इलाकों में इस तरह का ये पहला मामला है।
इस सर्जरी के साथ ही ये साफ हो गया कि गति विकार से जूझ रहे मरीजों को अब ईलाज के लिए बड़े शहरों का रूख करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। GEH के न्यूरो साइंस विभाग के निदेशक, न्यूरोसर्जरी विभाग के HoD व सर्जरी करने वाली टीम के प्रमुख डा. पार्था पी. बिष्णु ने बताया कि इडियोपैथिक पार्किंसन्स नामक गम्भीर बीमारी से पीड़ित 67 साल की महिला का ईलाज डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन (डीबीएस) सर्जरी से किया गया।
वह करीब 7 सालों से सामान्य दैनिक कार्य करने में असमर्थ थीं। वह अपनी शारीरिक गतिविधियों पर नियंत्रण खो चुकी थीं। कई अस्पतालों में लम्बे समय तक ईलाज चलने के बावजूद निराशा हाथ लगने पर उन्हें ग्राफिक एरा अस्पताल लाया गया। डा. बिष्णु ने बताया कि इस सर्जरी में मरीज के मस्तिष्क के अंदर एक छोटा उपकरण प्रत्यारोपित किया जाता है। यह उपकरण मस्तिष्क के विशिष्ट क्षेत्रों में इलैक्ट्रिकल इम्पल्स (तरंगे) भेजता है। यह पेसमेकर की तरह काम करके असामान्य गतिविधियों को नियंत्रित करने में सहायता करेगा।
इस मामलें में यह सबथैलिक न्यूक्लिस को नियंत्रित तरीके से सक्रिय करेगा। यह सर्जरी वर्चुअल रिएलिटी साफ्टवेयर के स्टीरियोटैक्टिक निर्देशन से की गई। इसमें मस्तिष्क के दोनों ओर दो पतले माइक्रोइलैक्ट्रोड लगाए गए। उन्हें एक पल्स जनरेटिंग बैटरी से जोड़ा गया। इस प्रक्रिया को सात घंटे में पूरा कर लिया गया।
अधिकांश प्रक्रिया में महिला जगी हुई थीं। उन्हें एनेस्थीसिया नहीं दिया गया। इस दौरान न्यूरोएनेस्थीसिया की टीम लगातार मरीज की जांच करती रही। ऐसे जटिल मामलों में रोगियों का उपचार सर्जरी के बिना सम्भव नहीं है। इस तरह की सर्जरी उत्तराखण्ड व आस-पास के क्षेत्रों में अब तक नहीं हुई थी। यह बहुत चुनौतीपूर्ण व जटिल स्थिति थी।
Doctors के मुताबिक पीड़िता की उम्र देखते हुए एनेस्थीसिया का प्रयोग भी एक बड़ी चुनौती थी। इस तकनीक से सर्जरी करने के बाद मरीज को तुरंत राहत मिली। अब उनके शरीर में कम्पन, अकड़न व असंतुलन बीमारी के लक्षणों में लगातार तेजी से सुधार हो रहा है। सर्जरी टीम में शामिल डा. नेहा अग्रवाल ने बताया कि पर्किंसन्स ने दवाई लेने के बाद मरीज दो से तीन घण्टे तक सामान्य रहकर अपने दैनिक कार्य कर पाता है।
DBS सर्जरी के बाद मरीज 24 घण्टे बिना किसी समस्या के अपनी सामान्य दिनचर्या जी सकेगा। डा. अंकुर कपूर ने बताया कि ग्राफिक एरा में मौजूद 128 स्लाइस सीटी स्कैन व थी्र टैस्ला एमआरआई की विश्वस्तरीय तकनीकों की मदद से मरीज के मस्तिष्क की स्थिति को सटिकता से जांचना सम्भव हुआ।
डा. P पाण्डे ने बताया कि हर तरह के रिस्क को जांचने के बाद योजनाबद्ध तरीके से यह सर्जरी की गई। डा. शेखर बाबू ने बताया कि ऐसे जटिल मामलों में मरीज की सही तरीके से काउंसिलिंग करना बहुत जरूरी है। डा. ज्योति गौतम ने प्रोग्रामिंग पर कहा कि सर्जरी के बाद पल्स जनरेटर की फ्रीक्वेंसी धीरे-धीरे बढ़ाई जाती है। 3-4 दिन तक जांच करने के बाद मरीज की स्थिति के हिसाब से सबसे बेहतर फ्रीक्वेंस को प्रोग्राम में सेट कर दिया जाता है।
डा. शेखर बाबू, डा. निखिल शर्मा, डा. स्वाति सिंघल व डा. रिजेश भी सर्जरी टीम में शामिल थे। प्रेस वार्ता में मेडिकल निदेशक डा. पुनीत त्यागी, मेडिकल College के डीन डा. SL जेठानी भी मौजूद रहे।