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Big Story::बद्रीनाथ-मंगलौर Assembly By-Election!Congress ने दोनों सीटों पर गाड़ा झंडा:BJP का राजू भंडारी को पाले में लाने का फैसला गलत निकला:हारने के बावजूद भडाना ने काजी निजामुद्दीन के पसीने छुड़ा दिए

अकेले CM पुष्कर ही जान लगाते रहे:बाकी क्षत्रपों ने मुंह दिखाई की रस्म भर निभाई:BJP कार्यकर्ताओं में दिखी भंडारी के लिए बेरुखी

Chetan Gurung

हालिया लोकसभा चुनाव में भारी शिकस्त खाने के बाद Congress ने बद्रीनाथ-मंगलौर विधानसभा By-Election में झंडा गाड़ते हुए BJP को दोनों सीटों पर शिकस्त दे दी.मंगलौर में BJP के करतार सिंह भडाना ने विजयी घोषित कांग्रेस के काजी निजामुद्दीन की साँसे आखिरी पलों तक हलक में फंसाए रखी.BJP को तगड़ा झटका बद्रीनाथ सीट पर Congress से लोकसभा चुनावों से पहले लाए गए राजेन्द्र भंडारी की करारी शिकस्त से लगा.ये दांव उल्टे बांस बरेली वाला साबित हुआ.अकेले CM पुष्कर सिंह धामी के ही दोनों मोर्चों पर जुटे रहने और अधिकांश कथित क्षत्रपों के सिर्फ मुंह दिखाई की रस्म निभाई ने कमल को दोनों सीटों पर कुम्हलाने-मुरझाने के लिए मजबूर कर दिया.सोचने वाली बात ये है कि बोलने वाले भगवान बद्रीनाथ कहे जाने वाले टिहरी के महाराजा की महारानी माला राज्यलक्ष्मी के BJP की MP होने से भी कोई फर्क नहीं पडा.

PM नरेंद्र मोदी के साथ CM पुष्कर सिंह धामी (हालिया मुलाकात के दौरान की फाइल फोटो):अकेले मोर्चा सँभालते रहे

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विजयी घोषित होने के बाद लखपत सिंह बुटोला को समर्थकों ने कन्धों पर उठा लिया:दाएं-काजी निजामुद्दीन


BY-ELECTIONS में फतह के बाद देहरादून में समर्थकों के कन्धों पर CONGRESS के उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा

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बद्रीनाथ सीट फतह होने के बाद कांग्रेस के नेता गुलाल-फूल मालाओं से लाद दिए गए

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ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि मंगलौर में BJP को कड़ी चुनौती कांग्रेस-BSP से मिलेगी लेकिन बद्रीनाथ सीट उसके पास आ जाएगी.मंगलौर में बाहरी का ठप्पा लिए उतरे भडाना ने हैरतनाक अंदाज में बेहद सशक्त कांग्रेस प्रत्याशी काजी की सांस नतीजे घोषित होने तक रोक के दिखा दिया कि उनको टिकट देने का फैसला गलत नहीं था.BJP के पास इस सीट पर ढंग का चेहरा उपलब्ध नहीं था और करतार ने चुनाव CM पुष्कर के साए में बेहतरीन ढंग से लड़ा.काजी 422 वोटों से उनको पीछे छोड़ने में कामयाब रहे.ये सीट BSP के सरबत करीम अंसारी के निधन के चलते खाली हुई थी.

राजेन्द्र भंडारी को कांग्रेस के लखपत सिंह बुटोला ने 5224 वोटों से हरा कर खलबली जरूर मचाई लेकिन अंदरखाने की खबर रखने वालों को नतीजे के उलट होने का अहसास था.राजेन्द्र को ले के BJP के ही स्थानीय कार्यकर्ताओं-समर्थकों में असंतोष का आलम था.उनको भंडारी की अपनी पार्टी में Entry गैर जरूरी लगने के चलते रास नहीं आ रही थी.BJP में कुछ विधायक और मंत्री उनको जीतते देखना पसंद नहीं कर रहे थे.ये हल्ला और शोर भीतर ही भीतर था कि जिस सूबेदार के जरिये राजू ने कमल के फूल की सवारी का टिकट लिया, वह उनको मंत्रिमंडल का टिकट भी दिलाने वाले हैं.इसमें कितनी हकीकत और कितना फ़साना है, मालूम नहीं.ये जरूर है कि ऐसे तथ्य-हवाएं-शोर सियासत में अहम भूमिका निभाते हैं.इसको नकारा नहीं जा सकता है.

पार्टी की स्थानीय जड़ें-शाखाएँ (कार्यकर्ता) ही मजबूती-छाँव देने के लिए राजी न होने का नतीजा है कि मुख्यमंत्री पुष्कर के पूरी ताकत के साथ चुनावी समर में तलवार भांजने के बावजूद `हाथ’ ने `कमल’ के फूल को आखिरकार तोड़ ही डाला.BJP में खुसर-पुसर रहती है कि राजू भंडारी को BJP में लाने के फैसले पर खुद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट संतुष्ट नहीं थे.कहा तो ये भी जाता है कि उनकी सहमति और ख़ुशी के बिना ही ये फैसला गुपचुप ढंग से हुआ था.दिलचस्प पहलू ये है कि राजेन्द्र ने महेंद्र भट्ट को ही हरा के MLA बनने में सफलता पाई थी.भट्ट अध्यक्ष होने के साथ ही MP (राज्यसभा) भी हैं.ऐसे में उनकी इच्छा के बगैर किसी को भी उनकी ही सीट से लाया जाना उनको क्या किसी अन्य को भी शायद ही बर्दाश्त हो.

BJP के कई कथित दिग्गजों की भूमिका बद्रीनाथ By Election में ढीली और हैरान करने वाली दिखाई दी.मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने जरूर मुख्यमंत्री पुष्कर के साथ कई मौकों पर कंधे से कन्धा मिलाया.महेंद्र भट्ट भी मोर्चे पर दिखाई दिए लेकिन पुष्कर की तरह रात-दिन एक करते BJP के अधिकांश सूरमा दिखाई नहीं दिए.उप चुनावों में शिकस्त से बीजेपी को सीटों का नुक्सान नहीं हुआ लेकिन नई सीट जुड़ने की उम्मीद टूट गई.एक महीने से कुछ पहले तक निराश-हताश दिख रही कांग्रेस के लिए `शनिवार’ का दिन `मंगल’ साबित हुआ.

ये मुमकिन है कि BJP में इन नतीजों के लिए जिम्मेदार लोगों की रिपोर्ट CM के स्तर पर तैयार की जा सकती है.रिपोर्ट के बिना पर उनका अमंगल हो जाए तो ताज्जुब नहीं होगा.खास तौर पर ये देखते हुए कि PM नरेंद्र मोदी और HM अमित शाह के खासमखास-विश्वासपात्रों और पार्टी की Second-भावी Front Line में PSD को मजबूती से पैठ जमाते देखा जा रहा है.उनके किसी भी Feedback को दोनों दिग्गज बेहद गंभीरता से लेते हैं.बद्रीनाथ के नतीजों से ये भी जाहिर हुआ कि स्थानीय कार्यकर्ताओं और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को विश्वास में लिए बगैर कोई अहम फैसला करना नुक्सान का सौदा भी साबित हो सकता है.

ये भी सबक मिला कि बार-बार दल और निष्ठा बदलने का चलन अब नई सोच वाली युवा पीढ़ी को रुचता नहीं है.बतौर निर्दलीय विजयी होने के बावजूद वह राजेन्द्र ने कभी BJP की सरकार (BC खंडूड़ी) को समर्थन दिया तो कभी कांग्रेस में शामिल हो के मंत्री सुख लिया.हालात विपरीत या माकूल दिखे तो कांग्रेस भी छोड़ के BJP में घुस गए.उन पर दल-बदलू का ठप्पा भी लग गया है.दो सीटों पर विजय हासिल होने के बाद आज कांग्रेस भवन (Party HQ) में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में गजब का जोश और जश्न का आलम दिखाई दिया.PCC Chief करण माहरा को लोगों ने मिठाई खिलाई और फूल माला पहनाने के बाद कन्धों पर उठा के ख़ुशी का इजहार किया.

 

 

 

 

 

 

 

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