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Big Story::IAS-IPS-IFTs संभल जाएं:CM के पास पहुंचे सभी के Record:कुछ नपेंगे-कुछ घिसेंगे-कुछ को ईनाम!आचार संहिता में कुछ नौकरशाहों के Role से नाखुश `PSD’:System साफ़-दुरुस्त करने का अभियान

शासन से ले के Districts तक पर दिखाई देगा मुख्यमंत्री के तेवर-नाखुशी का असर:नौकरशाहों में कुर्सी बचाने-छीनने का अंदरूनी संघर्ष छिड़ा:मलाईदार महकमे-DMs-SSPs-Commissioners-Range की कुर्सी पर नजरें

Chetan Gurung

लोकसभा चुनाव और आचार संहिता के दौरान कुछ IAS-IPS और IFTs अफसरों की भूमिका और रुख से CM पुष्कर सिंह धामी नाखुश हैं.उन्होंने तीनों All India Service से जुड़े अफसरों के Record तलब कर उन पर बारीकी से गौर करना शुरू कर दिया है.सूत्रों का मानना है कि इसके बाद तबीयत से फेरबदल संभव है.नौकरशाहों को उनकी काबिलियत-प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता के मानक पर तौला जाएगा.कुछ घिसेंगे,कुछ नपेंगे और जो अच्छे समझे जाएंगे, उनको ईनाम के तौर पर बेहतर Posting से नवाजा जाएगा.तीनों Cadre में खलबली बेशक न हो लेकिन बेचैनी और आशंका-उम्मीदों का आलम साफ झलकता है.तबादला Express एक किस्म से प्लेटफार्म पर खडी हो के रवाना होने की खातिर सीटी मार रही है.शासन और मुख्यालय से ले के जिलों तक के अफसरों के प्रभावित होने की पूरी संभावनाएं आंकी जा रही हैं.CM इस बार System को ढंग से साफ़-स्वच्छ और दुरुस्त करने के मूड में हैं.

IAS में सरकार और मुख्यमंत्री के पास सीमित विकल्प हैं.इसके बावजूद मुख्यमंत्री पुष्कर कम से कम कुछ कदम तो आवश्यक तौर पर हर हाल में उठा सकते हैं.जिन लोगों की भूमिका लोकसभा चुनाव आचार संहिता के दौरान कामकाज के मामले में निराशाजनक या फिर बेहद ढीली रही, उन पर गाज गिरना तय है.जिस वक्त सरकार चुनाव आयोग के कब्जे में थी और मुख्यमंत्री-मंत्री पार्टी के चुनाव प्रचार में व्यस्त थे, तब अफसरों को ही सब कुछ संभालना था.

इस पैमाने पर चुनींदा नौकरशाह, चाहे वे जिस कैडर के रहे हों, खरे उतरे.चुनाव के दौरान ही जंगलों में भीषण आग लगी और कई लोगों ने जिंदगी गंवाई.4 धाम यात्रा व्यवस्था श्रद्धालुओं और पर्यटकों के महासैलाब से बुरी तरह चरमरा उठी थी.मुख्यमंत्री पुष्कर को खुद प्रचार के बीच से वक्त निकाल के उत्तराखंड आ के यात्रा और जंगल की आग से जुड़ी व्यवस्थाओं को संभालना पड़ा था.एक दिन में अलग-अलग राज्यों में 5 चुनावी कार्यक्रमों के बावजूद राजधानी आ कर निरीक्षण-बैठकें करने के लिए मजबूर हुए.अफसरों को खूब फटकारा-कसा.

सरकार में शीर्ष स्तर पर सूत्रों का कहना है कि CM पुष्कर ऐसे नौकरशाहों को मिट्टी सुंघाने या आसमान दिखाने के लिए कमर कसे हुए हैं, जो उनकी और लोगों की उम्मीदों के खिलाफ रहे.आचार संहिता को महज छुट्टी और हनीमून से इतर नहीं समझा.पुष्कर के पास IAS में सीमित विकल्प हैं लेकिन IPS-IFTs Cadre में उनके पास विकल्प इफरात में हैं.ये तय लगता है कि कई आला नौकरशाहों के महकमों में इस बार अदला-बदली होगी.कुछ को अन्टार्कटिका के बर्फ में भी लगा दिया जाए तो ताज्जुब नहीं होगा.खराब छवि-प्रतिष्ठा वालों की तबीयत नासाज की जा सकती है.

सचिव-प्रमुख सचिव के साथ ही DMs भी प्रभावित हो सकते हैं.इस बार जो बच जाए समझें कि वे या तो CM की Good Books में हैं या फिर बहुत अच्छे Work Record रखते हैं.Commissioners और जिलों में DM ship के लिए IAS बेतरह बेचैन हैं.खुद की कुर्सी बचाने की कोशिश करने वाले भी घोड़े खोले हुए हैं.कुछ सचिव अन्य के पास मौजूद मलाईदार महकमों पर लार टपकाए हुए हैं.ये साफ़ नहीं हुआ है कि इसी महीने Retire होने जा रहे सचिव अरविन्द सिंह हयांकी को राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र वाले 3 माह का सेवा विस्तार दिया जा रहा है या नहीं.उनके पा पेयजल और परिवहन महकमे हैं.इन महकमों पर कब्जे के लिए सचिवों का जोर आजमाईश करना चौंकाता नहीं.

IPS Cader में SSPs और Range की Postings को ही सम्मान दिया जाता है.PAC-Radio-Fire-Intelligence-Vigilance-PHQ-STF की Posting किसी की भी प्राथमिकता में नहीं होती है.ये वैसा ही है, जिस तरह HoDs-MDs-DG और अपर सचिव बनने के बजाए हर Eligible IAS की चाहत प्रमुख जिले का Collector बनने की होती है.जिस IPS अफसर का CM दरबार में अच्छा रिकॉर्ड होगा, वह अपनी कप्तानी-Range की कुर्सी बचा ले तो अचम्भा नहीं होगा.जिनकी पकड़ अब उनसे ज्यादा बन गई होगी, वे उनको बेदखल कर खुद काबिज हो सकते हैं.इस द्वंद्व को देखना दिलचस्प रहेगा.

IFTs अफसरों पर फिलहाल जंगल की आग के मामले में मुख्यमंत्री की भृकुटी बुरी तरह तनी हुई है.कुमायूं में DFO-CCF-CF पर कार्रवाई के बाद वह अब नए सिरे से इस Cadre में पत्ते जरूर फेंटना पसंद करेंगे.हाल के महीनों में Forest Department पर सरकार की क़यामत बरसी है.उसके अफसरों पर खूब चाबुक चल रहे हैं.जंगल की आग में IFTs अफसरों पर जलजला गिरा है लेकिन IAS Cadre के अफसर बच गए.गाड़ियों के हादसों पर भी उनकी जिम्मेदारी तय नहीं की गई है.परिवहन महकमे के बड़े अफसर उस तरह बुरे नहीं फंसे, जिस तरह वन महकमे के अफसरों की घिग्घी बाँधी गई.

 

 

 

 

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