Something Political::सियासत के `आदि कैलाश’ पर `पुष्कर’!BJP के War Lords की लोकसभा चुनाव में नाकामयाबी-उत्तराखंड में स्वप्निल कामयाबी से राष्ट्रीय स्तर पर उभरे!PM के पदचिह्नों पर चल अध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा
UP-राजस्थान-महाराष्ट्र में BJP के ढीले प्रदर्शन के बाद PSD की TRP में जोरदार उछाल!

Chetan Gurung
PM नरेंद्र मोदी के पदचिह्नों पर चलने को तवज्जो देने वाले CM पुष्कर सिंह धामी BJP की सियासत के `आदि कैलाश’ के करीब तेजी से पहुँच रहे हैं.पिथौरागढ़ के ब्यास घाटी में शिव की धरती पर योग के जरिये उन्होंने अध्यात्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा देने की बेहतरीन कोशिश की.वह ये साबित करने में कामयाब हुए कि मोदी के एजेंडे पर फ़ौरन और तेजी से अमल करने में उनका सानी नहीं.इस दुर्गम और दुनिया से तकरीबन अछूती-अनजान जगह को मोदी ने पहली बार दुनिया के सामने खुद पहुँच के पेश किया था.उत्तराखंड में लोकसभा की पाँचों सीटें BJP के खाते में डालने के बाद पुष्कर पार्टी के प्रमुख उभरते चेहरों में शुमार हो गए हैं.UP-महाराष्ट्र-राजस्थान में बेहद निराशाजनक-ढीले नतीजों के बाद स्थानीय War Lords तकरीबन खामोश या फिर कुछ वक्त के लिए ठन्डे पड़ गए हैं.
CM पुष्कर सिंह धामी को मौजूदा तारीख में PM मोदी (ऊपर)-HM शाह के सबसे भरोसेमंदऔर सफल वफादारों में शुमार किया जाता है
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विधानसभा के आम चुनाव (साल-2022) में ऐतिहासिक पटकथा लिखते हुए PSD ने BJP को सत्ता में बरकरार रखने का नया इतिहास कायम किया था.लोकसभा चुनाव में इस बार 100 फ़ीसदी Strike Rate से पार्टी को सफलता दिलाना इसलिए अधिक चकित करता है कि BJP और मोदी-शाह का तिलिस्म इस बार देश में कमजोर पड़ा माना गया.टिहरी में महारानी और नैनीताल में अजय भट्ट-हरिद्वार में त्रिवेन्द्र सिंह रावत-पौड़ी में अनिल बलूनी को खुद BJP के लोग ही कम बेहतर प्रत्याशी मान रहे थे.ये भी कहा जा रहा था कि पार्टी में उनसे बेहतर चेहरे उपलब्ध हैं.
अजय टम्टा (अल्मोड़ा) BJP प्रत्याशियों में इसलिए अधिक बेहतर दिख रहे थे कि कांग्रेस के प्रदीप टम्टा को ख़राब प्रत्याशी चयन माना जा रहा था.पुष्कर ने रात-दिन और रोजाना की मेहनत से मोदी-शाह के साए तले दोनों को वह कामयाबी का तोहफा दिया, जो इस बार कायदे से देखा जाए तो सिर्फ मध्य प्रदेश में ही उनको मिल पाया.हिमाचल में बीजेपी को ले के माहौल था.इसका फायदा लोकसभा चुनाव में उसको मिला.वहां के बीजेपी नेताओं ने सौ फ़ीसदी विजय में कोई ख़ास योगदान दिया, ऐसा कुछ माना नहीं जा रहा है.
BJP और मोदी-शाह को बहुमत से दूर रह जाने का सबसे तगड़ा झटका UP-राजस्थान-महाराष्ट्र ने दिया.वहां के कथित सूरमाओं और War Lords का जादू कहीं नजर नहीं आया.या फिर उनकी ही भूमिका BJP के खराब प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार मानी जा रही है.ये भी समझा जा रहा है कि संघ ने भी अपनी जिम्मेदारियों को उस लगन और निष्ठा से इस बार अंजाम नहीं दिया, जिसके लिए वह जाना जाता है.UP में योगी आदित्यनाथ-राजस्थान में वसुंधरा राजे पर छींटे डाले जा रहे हैं कि उन्होंने अंदरखाने मोदी-शाह के अश्वमेध यज्ञ के अश्व को बस अब नहीं कर के थामने की परोक्ष कोशिश की.
महाराष्ट्र में देवेन्द्र फड़नवीस और नितिन गडकरी पर भी खराब प्रदर्शन के लिए सियासी विश्लेषक अंगुली उठा रहे हैं.ये बात दीगर है कि मोदी को फिर PM और अमित शाह को HM की कुर्सी पर बैठने से कोई नहीं रोक सका.पुष्कर की कामयाबी का Strike Rate ऐसे माहौल और सन्दर्भ में बेहद मायने रखना लाजिमी है.वह राष्ट्रीय स्तर का चेहरा बन चुके हैं.BJP के अधिकांश मुख्यमंत्रियों को लोग नाम या सूरत से जानते नहीं.PSD इनसे इतर है. सियासी दुनिया में उनको इसका फायदा जरूर मिलेगा.ये कयास तेजी से लगाए जा रहे हैं.
लोकसभा चुनाव की जंग में पार्टी की दूसरी पांत तकरीबन नाकाम साबित हुई या फिर मोदी-शाह की कसौटियों पर खरी नहीं उतरी.दोनों को अपने वफादारों और काबिल तथा नतीजे देने वाले चेहरों की नए सिरे से दरकार होगी.दोनों के पैमाने पर पुष्कर एकदम खरे उतर रहे हैं.इसका फ़ायदा उनको मिलना तय है.उत्तराखंड में वह सिरमौर और सबसे शक्तिशाली तथा मोदी-शाह के सबसे भरोसेमंद-वफादार Commander के तौर पर स्थापित हो चुके हैं.इसमें दो राय नहीं है.ये मुमकिन है कि उनको अपने मंत्रिमंडल में विस्तार और उससे अधिक फेरबदल का अधिकार जल्द मिल जाए.
पुष्कर की दिक्कत ये है कि अधिकांश मंत्री सिर्फ दौरे-मौज-मस्ती और नाम-शक्ति के इस्तेमाल भर के साबित हो रहे हैं.ये ही आलम पहले भी MP रह चुके चेहरों का है.वे किसी भी जरूरी मौके पर गायब ही दिखते हैं.उत्तराखंड में जंगल की आग हो या फिर आपदाओं के पल हों, हर जगह मुख्यमंत्री को ही मौजूद रहना पड़ता है.4 धाम यात्रा को ले के सरकार को खूब जूझना पड़ रहा.उम्मीदों से कई गुणा अधिक श्रद्धालुओं का सैलाब आ गया.उनके बीच जा के उनको सुनने-समझाने का फर्ज न मंत्री न MP करते नजर आ रहे.MLAs तो गिनती में ही नहीं हैं.
ये तब है जब मंत्रियों के पास खुली छूट है.तबादलों-टेंडर-अन्य मामलों में उनके विवादास्पद फैसलों की आलोचना खूब होती है.महकमों के अफसर मनमानियों पर उतरे हुए हैं.मंत्रियों को देख के लगता है कि उनको इसका इल्म तक नहीं है.या फिर मंत्री-अफसर मिल के मौज काट रहे हैं.CM के पास हर मंत्री और अफसर की ताजातरीन रिपोर्ट है.IAS-IPS-IFtS अफसरों को वह जल्द फेरबदल के जरिये कसने वाले हैं.पुष्कर के लिए राहत की बात ये है कि BJP के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के साथ उनका सामंजस्य बहुत अच्छा है.
सूत्रों के मुताबिक मोदी-शाह के हामी भरते ही मंत्रियों पर लगाम-फेरबदल-छुट्टी-नए की Entry का दौर भी वह शुरू कर सकते हैं.उनकी खासियत ये है कि वह हर छोटे-बड़े और अहम फैसले से पहले आला कमान की मंजूरी जरूर लेते हैं.इससे अंदरूनी विरोधियों के हौसले पस्त पड़ जाते हैं.मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार होता है तो PSD निस्संदेह और शक्तिशाली बन के उभर सकते हैं.वह अपने खासमखास और अधिक काबिल-वफादारों के सहारे खुद को और मंत्रिमंडल या मंत्रिपरिषद को सशक्त-असरदार बना सकेंगे.