
Chetan Gurung
उत्तराखंड राज्य की मांग को ले के दिल्ली कूच कर रहे आन्दोलनकारियों पर गोलीबारी-महिलाओं के साथ साल-1994 के 2 October की रात दुराचार मामले में उस वक्त के 2 PAC जवानों को आज अपर सत्र न्यायाधीश, मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) की विचारण अदालत ने उम्र कैद और 1-1 लाख रूपये का जुर्माना देने की सजा सुनाई.इससे भले कुछ मरहम लगा लेकिन सरकारों की लापरवाही के चलते सिर्फ छोटी मछलियाँ ही उस बदनाम घटना में फंसी.उस रात के जिम्मेदार बड़े-बड़े मगरमच्छ आज तक बाहर हैं.CM पुष्कर सिंह धामी ने अदालत के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि अपने कुकृत्यों का ही फल उस वक्त की केंद्र में मौजूद कांग्रेस सरकार और UP की सपा सरकार भुगत रही है.दोनों का उत्तराखंड में तकरीबन समूल सफाया हो गया है.
सजा से मुजफ्फरनगर कांड के पीड़ितों को कुछ राहत मिलेगी-CM पुष्कर सिंह धामी
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अदालत ने उस वक्त के PAC जवांन मिलाप सिंह एवं वीरेंद्र प्रताप को दोषी तो ठहरा दिया था लेकिन आज सजा भी सुना दी. दोनों को IPC की धारा 376 (2) (जी), 392, 354 एवं 509 के तहत दोषी ठहराया गया. विचारण अदालत ने यह भी आदेश दिया कि जुर्माने की पूरी राशि पीड़िता को दी जाएगी।
आरोप है कि उत्तराखंड संघर्ष समिति ने दिनाँक 2.10.1994 को लाल किला, दिल्ली में एक रैली का आयोजन किया था.रैली में भाग लेने के लिए पहाड़ी क्षेत्रों से लोग बसों में दिल्ली आ रहे थे। उत्तर प्रदेश सरकार ने रैली में हिस्सा लेने वालों को रोकने के लिए जगह-जगह पुलिस बल तैनात कर सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए थे।
रैली में शिरकत करने के लिए लोग 2 October 1994 की रात रामपुर तिराहा, मुजफ्फरनगर के पास पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें रोक लिया. 345 लोगों को हिरासत में लिया गया.इनमें 47 महिलाएं थीं। हिरासत में ली गई महिला रैलीकर्ताओं के साथ बलात्कार व छेड़छाड़ के मामले सामने आए थे।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष उत्तराखंड संघर्ष समिति ने समादेश याचिका संख्या 32928 वर्ष 1994, दायर की थी। HC के 7.10.1994 के आदेश के अनुपालन में CBI ने प्रारंभिक जांच (PE) की। उसकी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के आधार पर उच्च न्यायालय ने CBI को प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए थे। CBI ने 25.1.1995 को विभिन्न आरोपों पर मामले दर्ज किए कि रैली में हिस्सा लेने वालों को ले जा रही एक बस को मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर रोका गया एवं बस के शीशे, हेड लाइट और खिड़की के शीशे तोड़ दिए गए.
ये भी आरोप लगाए गए कि मौके पर तैनात पुलिस कर्मियों ने रैली में शामिल लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया। सजा सुनने वाले दोनों पुलिसकर्मी PAC के थे. उन्होंने बस में घुसकर पीड़िता के साथ छेड़छाड़ और बलात्कार के अपराध किए थे। जांच पूरी होने के बाद CBI ने 21 मार्च 1996 को आरोप पत्र दायर किए थे। 15 गवाहों से पूछताछ की गई थी। दोनों आरोपियों को कसूरवार पाया गया था. दोनों को जुर्म के मुताबिक सजा सुना दी गई.
CM पुष्कर सिंह धामी ने अदालत के फैसले को राहतपूर्ण करार देते हुए कहा कि उनकी और केंद्र की मोदी सरकार महिलाओं-माताओं-बहनों की सुरक्षा और स्वाभिमान-सम्मान के लिए बेहद सजग है.उस वक्त की केंद्र की कांग्रेस सरकार और UP की मुलायम सरकार ने देवभूमि की माताओं-बहनों के साथ घृणित सुलूक किया था.उसका खामियाजा आज दोनों दल ऐसे भुगत रहे हैं कि उत्तराखंड में दोनों का नामलेवा नहीं रह गया है.