
Chetan Gurung
देश-दुनिया के नामी वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और विशेषज्ञों ने पर्यावरण संरक्षण-Waste Management और हरित विकास की दिशा में नए नजरिए तथा व्यावहारिक समाधान पेश किए। उत्तराखंड के Minister of Forest सुबोध उनियाल ने इन सबके बीच कहा कि विश्व के सामने बढ़ते अपशिष्ट और संसाधनों की कमी की समस्या मुंह बाएँ किए हुआ हैं। सिर्फ लोगों की सहभागिता से ही उनका समाधान मुमकिन है।

आज Graphic Era डीम्ड यूनिवर्सिटी में International Seminar में वन मंत्री सुबोध ने कहा की मनुष्य का जंगलों के निर्माण में कोई योगदान नहीं रहा। इसके विपिरीत उनके विनाश में इन्सानों की भूमिका को ले के कोई शक नहीं है। हमने प्रकृति से अपना नाता अब नहीं जोड़ा तो आने वाली पीढ़ियां केवल किताबों में ही हरियाली देख पाएंगी। प्लास्टिक से मुक्ति, सर्कुलर इकोनामी के विस्तार और वेस्ट टू वेल्थ की दिशा में ठोस कदम उठाने की दरकार है।
कार्बन ट्रेडिंग को उन्होंने न केवल पर्यावरणीय संतुलन का माध्यम बताया बल्कि भारत की हरित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने का सशक्त कदम भी माना। मुख्य वक्ता यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के प्रोफेसर ओलाडेले ए. ओगुनसेतन ने कहा कि सर्कुलर इकोनामी का विचार नए प्रभाव के साथ उभर रहा है। सतत् विकास कोई नीति न हो के जीवन का दृष्टिकोण है।
इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ वेस्ट मैनेजमेंट, एयर एंड वॉटर के अध्यक्ष डा. साधन कुमार घोष ने कहा कि अपशिष्ट कोई आर्थिक या तकनीकी समस्या नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक मुद्दा है। HNB गढ़वाल यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति एवं ATI के अध्यक्ष प्रो. SP सिंह ने कहा कि हिमालय पृथ्वी का तीसरा धुव्र है। यह क्षेत्र विश्व के कुल कार्बन उत्सर्जन का एक प्रतिशत से भी कम योगदान देता है।
सिन्टेफ (नॉर्वे) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. क्रिश्चियन जे. एंगलसन ने कहा कि अपशिष्ट से निर्मित नए उत्पादों की उपयोगिता चार महत्वपूर्ण स्तंभों गुणवत्ता, उपलब्धता, लागत-प्रभावशीलता और उपयोग के प्रति प्रोत्साहन पर आधारित है।
सम्मेलन का आयोजन ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी और अंतर्राष्ट्रीय अपशिष्ट प्रबंधन वायु और जल समिति ने संयुक्त रूप से किया। सम्मेलन में कुलपति डा. नरपिंदर सिंह, UNCRD जापान के एनवायरमेंट प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर CRC मोहंती, एनवायरमेंटल साइंस डिपार्टमेंट की हेड डा. प्रतिभा नैथानी के साथ डा. सुमन नैथानी, अन्य शिक्षक-शिक्षिकाएं और छात्र-छात्राएं शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन डा. भारती शर्मा ने किया।



