The Corner View
Chetan Gurung
एक कहावत बचपन में सुनते थे। किसी कि मृत्यु की बात अफवाह और झूठी साबित हो तो वह शख्स लंबी जिंदगी जीता है। मौजूदा संदर्भ में इसको उत्तराखंड BJP की सियासत से जोड़ के देखना समीचीन हो सकता है। उनके हटने का शोर जितना मचाया गया, वह उतना ठोस होते गए। उत्तराखंड में TSR-1-2 के दौर में अचानक मरणासन्न हो चुकी BJP ने पुष्कर के उनके उत्तराधिकारी Covid-19 के दौर में बनने के बावजूद पार्टी को फिर सरकार में ले आए। इतिहास रचा। ऐसा उत्तराखंड में कभी नहीं हुआ था। सत्तारूढ़ दल ने कभी लगातार दो Assembly चुनाव नहीं जीते थे। युवा पुष्कर को अचानक सरकार की कमान सौंपा जाना उतना ही अप्रत्याशित था जितना कि तीरथ सिंह रावत को अचानक सिर्फ 4 महीने में पदच्युत कर दिया जाना। ऐसा युवा जो कभी राज्यमंत्री तक न रहा हो। सरकार का सिफर अनुभव रखता हो। जिसके दल में दिग्गजों-सूरमाओं और शातिर-बेहद महत्वाकांक्षी चेहरों की भरमार हो।
उत्तराखंड सियासत के इतिहास को देख के ये कहा जाना कहीं से अतिश्योक्ति लग भी नहीं रहा था। समझा जा रहा था कि चुनाव में BJP की लुटिया डूबनी तय है। Congress सरकार में वापसी करेगी। तमाम IAS-IPS और कारोबारी-पूंजीपति-हर किस्म के माफिया अपना दांव Congress पर लगा चुके थे। शायद मैं चंद लोगों में रहा होऊंगा जिसने कई मर्तबा एक खास समूह के कुछ लोगों से 2 बातें साफ कही और लिखी। पुष्कर खटीमा में घर के भेदियों के हाथों घेरे-लपेटे जाएंगे। फिर भी सरकार में BJP की आएगी। मुख्यमंत्री का चेहरा नया नहीं होगा। चुनाव में BJP जीती और पुष्कर को अपनों का धोखा भारी पड़ा। उनको भी चुनाव से पहले ही अपनी सीट का संभावित नतीजा पता चल चुका था। वह खुद की सीट बचाने के बजाए इसी लिए प्रदेश भर के मैदान-पहाड़ों में घूम-घूम के पार्टी को अधिक से अधिक सीट जिताने में जुट गए थे।
मुझे और शायद और भी सियासत की मजबूत जानकारी रखने वाले कई लोगों को ये मालूम था कि किस तरह BJP के कुछ बड़े चेहरों ने उनके खिलाफ Congress की मदद करने से गुरेज नहीं किया। हर किस्म से। पुष्कर ने समझदारी ये की कि चुनाव के पहले ही उन्होंने आला कमान को अपनी सीट पर चल रहे खेल के बारे में इत्तिला कर दी थी। जो लोग PM नरेंद्र मोदी और HM अमित शाह के स्वभाव और कार्यशैली को समझते हैं, वे भली-भांति जानते होंगे कि दोनों कभी ये सहन नहीं करेंगे कि उनके CM Project चेहरे को साजिशन मैदान से बाहर कर दिया जाए। उन्होंने ऐसे साजिश कर्ताओं को दंड और कामयाब इतिहास लिखने वाले PSD को फिर CM बना के उनको पुरस्कृत कर दिया। इसके उलट उनसे घरेलू सौतिया डाह रखने वालों को दोहरी मार दी।
इसके बाद ये अफवाह खास हलके की तरफ से बार-बार उड़ाई जाती रही। बस 6 महीने के मेहमान हैं पुष्कर। फिर नया CM आएगा। पुष्कर ने चंपावत By-Election एतिहासिक अंदाज में जीत के अपनी कुर्सी और मजबूत कर ली। फिर हल्ला हुआ कि एक साल तक ही रहेंगे। फिर 2 साल तक का ही कार्यकाल करार दिया गया। ये वक्फ़ा भी निकल गया। फिर हल्ला मचाया गया कि कभी भी नया मुख्यमंत्री आ जाएगा। विकल्प के तौर पर कुछ नाम भी तेजी से लिए गए। PSD कभी बेचैन नहीं दिखे। उन्होंने बदले में नकल विरोधी कानून-भू कानून-धर्मांतरण कानून-समान नागरिक संहिता (UCC) और तमाम कई कानून अमल में ला के आला कमान-RSS के Agenda को बतौर मिसाल राज्य में लागू कर दिया। IAS-IFS-PCS और कई अन्य अफसरों-नेताओं को भ्रष्टाचार में जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाना शुरू कर दिया।
आज देश भर में छोटे से पहाड़ी राज्य उत्तराखंड और पुष्कर को पहचानने वालों की कमी नहीं है। मोदी-शाह-संघ उनकी कार्यशैली और रात-दिन मेहनत-भागदौड़ करने, लगातार बैठकें लेते रहने और राजनीतिक-सामाजिक-खेल आयोजनों से सरकार और पार्टी को चलायमान रखने के अंदाज से संतुष्ट से ज्यादा खुश नजर आते हैं। वह हर चुनाव जीतने का फन रखते हैं। Phantom की माफिक कहीं भी किसी भी वक्त पहुँच जाया करते हैं। एक शहर से दूसरे शहर या राज्य तक में चंद मिनटों में पहुँच जाना उनका खास शगल हो चुका है। CM helpline-भ्रष्टाचार के खिलाफ सीधे सरकार में अपील की उनकी योजना बहुत सफल साबित हो चुकी है। कहने का अभिप्राय ये है कि पुष्कर के हटने की हवा और अफवाह जब-जब तेजी से उड़ाई गई, वह अंगद के पाँव की तरह और मजबूती से कदम जमाते चले गए।
सबसे खास पहलू ये है कि वह बतौर CM अपने 2 कार्यकाल में 4 साल का अरसा पूरा कर चुके हैं। ये सम्मान अर्जित करने वाले वह उत्तराखंड BJP के पहले शख्स हैं। काबिलेगौर है कि उनसे पहले नित्यानन्द स्वामी-भगत सिंह कोश्यारी-BC खंडूड़ी-डॉ रमेश पोखरियाल निशंक,त्रिवेन्द्र सिंह रावत-तीरथ सिंह रावत सरीखे बहुत अनुभवी राजनीतिज्ञ भी मुख्यमंत्री के तौर पर ऐसा करने में सफल नहीं हो पाए। खंडूड़ी भी एक भी सत्ता कार्यकाल में 2 बार मुख्यमंत्री बने लेकिन वह भी इस मंजिल को नहीं छू सके। त्रिवेन्द्र छूते-छूटे रह गए। पुष्कर को अनुभवहीन मुख्यमंत्री के तौर पर सत्तानशीन किया गया था लेकिन आज उनके कार्य करने के ढंग को सियासी विश्लेषक और उनके विरोधी भी दबी जुबान बेहद परिपक्व और Smart मानने में नहीं हिचकते हैं।
पुष्कर आम लोगों के दिल जीतने के लिए उनके बीच में घुस जाते हैं। बुजुर्गों के पाँव छु के सिर पर आशीर्वाद लेने में नहीं चूकते। भीड़ में बच्चों को गोद में उठा के ये संदेश देने में कसर नहीं छोड़ते कि वह उनके बीच के हैं। बेटा-भाई-चाचा कुछ भी समझ लो किस्म के। उनके पूर्ववर्तियों में ऐसा गुण किसी में नहीं दिखाई दिया। पार्टी में मौजूद अन्य चेहरों में भी कोई ऐसा लगता नहीं। जो इस युवा मुख्यमंत्री के आज-कल हट जाने की उम्मीद लगाए या कयास लगाए रहते हैं, उनको ये समझना होगा कि मोदी-शाह तक न तो किसी की पहुँच है न ही दोनों के दिमाग को पढ़ पाना किसी के वश का है। फिर दोनों जिनको अपना मानते हैं, उनको वह आकाश-पाताल एक हो जाए तब भी पूरा संरक्षण देते हैं। जिसको मौका देते हैं, उनको फिर भरपूर वक्त काबिलियत-नतीजा दिखाने का देते हैं। जिस पुष्कर के UCC-नकल विरोधी कानून और मेहनती स्वभाव के साथ ही अपने प्रति निष्ठा-समर्पण के वे कायल हैं, उसको भला मजबूत करने से वे क्यों चूकेंगे!
Media में भी दिल्ली-NOIDA की खास Lobby को ही उनके खिलाफ खबरें चलाते पाया गया। पुष्कर ऐसे मामलों में आम तौर पर जुबान खोलने से बचते हैं। इस बार लेकिन उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि कुछ लोग Fabricated खबरें (CM बदलने की) चलाते हैं। PSD के लिए एक चीज खराब है। कुछ मंत्री उनके लिए सिर दर्द बने हुए हैं। उनके कामकाज और उन पर लगे आरोपों से सरकार-BJP की छवि-प्रतिष्ठा पर आंच आ रही है। सत्ता के भीतर की खबर रखने वालों का ठोस अनुमान है कि शायद मोदी-शाह उनको ऐसे सिर दर्दों से जल्द निजात दिला देंगे। कम से कम 2 और अधिकतम 3 पर आला कमान खंजर गिरा सकता है। पुष्कर को अब वे Assembly Elections के मद्देनजर Free Hand के साथ ही उनको तमाम नाहक किस्म के दिक्कतों से बचा के रखने को तवज्जो देना चाहेंगे। पुष्कर में वे सत्ता की Hat Trick और पार्टी का भविष्य एक साथ देख रहे हैं।
मुख्यमंत्री के तौर पर पुष्कर खुद को लगातार निखार रहे। ये साफ झलकता है। वह जन-युवा सरोकारों से जुड़ने वाले आयोजनों से खुद को जोड़े रखते हैं। National Games का आयोजन इस खेल के इतिहास का सर्वश्रेष्ठ रहा। खुद IOA President PT Usha और तमाम बड़े Olympians ने भी ये माना। मोदी-शाह ने खुल के तारीफ की। IAS अफसरों के खिलाफ कार्रवाई को आम लोग सदा पसंद करते रहे हैं। हरिद्वार के DM समेत 2 IAS-PCS अफसर को Suspend करने का गुदा भी उन्होंने दिखाया। IAS अफसरों के हालिया तबादलों-फेरबदल में पुष्कर ने खूब तारीफ बटोरीं। इस वक्त ज़्यादातर DMs सरकार की अच्छी छवि पेश कर रहे। उनको वह प्रोत्साहन देने में नहीं चूक रहे।
देहरादून के DM सविन बंसल लोगों के दिलजीत बन चुके हैं। उधम सिंह नगर के DM नितिन भदौरिया और नैनीताल की DM वंदना भी गहरी छाप छोड़ रहे। रुद्रप्रयाग के DM बनते ही प्रतीक जैन ने अगले दिन ही केदारनाथ का पैदल निरीक्षण कर डाला। पौड़ी में स्वाति भदौरिया को DM बनाया। उत्तराखंड गठन के बाद मंडल मुख्यालय की वह पहली DM हैं। उत्तरकाशी के DM बनाए गए प्रशांत आर्य को ज़हीन और लोकप्रिय नौकरशाहों में शुमार किया जाता है। हरिद्वार के DM बनाए गए मयूर दीक्षित की छवि भी बहुत अच्छी है। सचिवालय में उन्होंने धिराज गर्ब्याल-युगल किशोर पंत को अहम महकमे सौंप के बेहतर छवि को अहमियत देने का संदेश साफ दे दिया। बतौर प्रशासक भी PSD निरंतर निखर रहे। सौ बात की एक बात। मोदी-शाह ने महेंद्र भट्ट को फिर उत्तराखंड BJP का सुल्तान बनाए रखा। भट्ट को पुष्कर के खासमखास में शुमार किया जाता है। उनको न बदल के ये ध्वनि आला कमान ने ज़ोर से सुनाई कि पुष्कर की सुनो।