अंतरराष्ट्रीयउत्तराखंडदेशराष्ट्रीयशिक्षा

विज्ञान-तकनीकी नवाचार पर ज़ोर-CM पुष्कर:इसरो प्रमुख नारायनन ने कहा,`Space World में भी ताकत बन रहा भारत’:CS ने इसरो से Science City गोद लेने पर बल दिया’

Chetan Gurung

मुख्यमंत्री ने `हिमालयी राज्यों के परिप्रेक्ष्य में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं अनुप्रयोग अन्तरिक्ष सम्मेलन-2025 में कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी सिर्फ अनुसंधान तक सीमित नहीं रह गया है। संचार, कृषि, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन, शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत ढांचे के विकास में भी ये अहम योगदान दे रहा है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में भारतीय वैज्ञानिक शुभांशु शुक्ला के तिरंगा फहराने पर इसरो समेत समस्त वैज्ञानिकों को बधाई दी और इसे देश के लिए गर्व का क्षण बताया।

मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर आयोजित सम्मेलन में चंपावत को मॉडल जिला बनाने के लिए इसरो और यूकास्ट के संयुक्त रूप से विकसित डैशबोर्ड का उद्घाटन करते हुए इसरो की पुस्तक का विमोचन भी किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार विज्ञान और तकनीकी नवाचार (Innovation) को बढ़ावा दे रही है। प्रदेश में साइंस सिटी, साइंस एवं इनोवेशन सेंटर, AI, रोबोटिक्स, ड्रोन व अन्य अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं की स्थापना पर कार्य तेजी से चल रहा है।

मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि यह सम्मेलन उत्तराखंड को “स्पेस टेक्नोलॉजी फ्रेंडली स्टेट” बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसरो के चेयरमैन डॉ. V नारायणन ने कहा कि 1963 में भारत ने पहला रॉकेट लॉन्च किया था। 1963 से अब तक भारत ने 100 से अधिक रॉकेट लॉन्च किए हैं। 1975 तक हमारे पास अपने कोई सेटेलाइट नहीं  थे। अब भारत के पास अपने 131 सैटेलाइट हैं। TV ब्रॉडकास्ट से लेकर हर जगह सैटेलाइट बड़े पैमाने पर मददगार साबित हो रहे हैं। इसरो ह्यूमन स्पेस प्रोग्राम पर भी कार्य कर रहा है।

उन्होंने कहा कि उस रॉकेट पर कार्य किए जा रहे हैं, जो पृथ्वी की लोवर ऑर्बिट पर 75 हजार किलो तक के सैटेलाइट को लॉन्च करेगा। इसको करीब 27 दिनों में पूरा कर लिया जाएगा। आज भारत ने कई विश्व रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। हमने दुनिया में सबसे पहले चंद्रमा पर पानी के अणु की मौजूदगी का पता से लगाया है।

उन्होंने कहा कि भारत पहला देश है जिसने चंद्रमा के साउथ पोल पर पहली बार लैंड किया। भारत, आदित्य L-1 मिशन के साथ सूर्य का अध्ययन करने वाला चौथा देश बन गया है। भारत ने पहले प्रयास में ही मंगल ग्रह की कक्षा में प्रवेश किया था और मंगल ग्रह की कक्षा में उपग्रह भेजने वाला चौथा देश है। हमारा लक्ष्य साल-2030 तक अपना स्पेस स्टेशन बनाने एवं साल-2040 तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने का है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं।

निदेशक (राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र) डॉ. प्रकाश चौहान ने कहा कि आज हमारे जीवन में हर समय अंतरिक्ष डाटा का प्रयोग हो रहा है। अंतरिक्ष में सेटेलाइट हमें GPC नेविगेशन के साथ कई तरह के अपडेट देते हैं। उत्तराखंड में हमने पशुधन का डाटा ऑनलाइन किया था। ऋषिगंगा, चमोली आपदा के दौरान हमने सेटेलाइट के माध्यम से मेपिंग की और डेटा तैयार किया। पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट में इस डाटा का इस्तेमाल किया गया। उत्तराखंड में आपदाओं के दौरान मैपिंग, वन संरक्षण एवं वनाग्नि की मैपिंग के क्षेत्र में सेटेलाइट डेटा का इस्तेमाल किया जा रहा है। ग्लेशियर लेक की मॉनिटरिंग, बाढ़, बादल फटने जैसी घटनाओं के पूर्वानुमान का भी काम किया जा रहा है।

मुख्य सचिव आंनद बर्द्धन ने कहा कि उत्तराखंड में अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी को अपनाने और इसके लिए स्थाई वैज्ञानिक अधोसंरचना को विकसित करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसरो से राज्य के कुछ साइंस सेंटर को गोद लेने तथा से कार्टोसेट के 50 सेमी या इस तरह के रिजोल्सयूशन की उपलब्ध इमेजरी को Real Time  व गैर व्यावसायिक आाधार पर राज्य को उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया। इस अवसर पर प्रमुख सचिव रमेश कुमार सुधांशु, R मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगोली, नितेश झा,  महानिदेशक यूकॉस्ट प्रो. दुर्गेश पंत एवं वैज्ञानिक मौजूद थे।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button